कुपोषण एवं टीबी निवारण में विश्वविद्यालय भी करें योगदान – राज्यपाल श्रीमती पटेल |
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भोपाल : मंगलवार, जून 19, 2018, विश्वविद्यालय केवल शिक्षा देने तक ही सीमित न रहकर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी करें। समाज को कुपोषण एवं टीबी मुक्त बनाने के लिए विश्वविद्यालय आगे आएँ। विश्वविद्यालय अपने नजदीक के गाँवों को गोद लें और वहाँ काउंसलिंग के जरिए कुपोषण और टीबी के प्रति जन-जागरूकता लाएं। यह बात राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज ग्वालियर में टीबी एसोसिएशन एवं रेडक्रॉस सोसायटी की बैठक में कही।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और रजिस्ट्रार इस पुनीत पहल की अगुआई करें। गोद लिए हुए गाँवों में जाकर गर्भवती माताओं एवं नागरिकों को काउंसलिंग के जरिए बताएं कि सरकार द्वारा गर्भवती-धात्री माताओं को दी जाने वाली 16 हजार रूपए की राशि का उपयोग पौष्टिक आहार में ही करना है। उन्होंने कहा कि यदि हम यह समझाने में सफल रहे, तो कुपोषित बच्चे पैदा ही नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को समझाएं कि सरकार द्वारा टीबी का नि:शुल्क इलाज कराया जाता है और नियमित इलाज से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है।
राज्यपाल के साथ बच्चों ने मनाई जन्म-दिन की खुशियाँ
आँगनवाड़ी के बच्चों ने श्रीमती पटेल के साथ अपना जन्म-दिन मनाया। श्रीमती पटेल ने आँगनवाड़ी केन्द्र में बच्चों को टॉफियाँ और फल बाँटे। केन्द्र में मयंक, लिवेन, दक्षम, कृष्णा, प्राची और अल्मिया का सामूहिक रूप से जन्म-दिन मनाया गया। श्रीमती पटेल ने सभी बच्चों को जन्म-दिन की टोपियाँ पहनाईं और केक भी काटा। बच्चों को रसभरे आम, आलूबुखारा, केले तथा अन्य फल भी बाँटे।
राज्यपाल बारादरी स्थित शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 पहुँचीं। उन्होंने बच्चों को स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूक कर टॉफी और फल वितरित किये। राज्यपाल ने जिला चिकित्सालय मुरार और उससे जुड़े नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई का सघन निरीक्षण किया। उन्होंने चिकित्सालय में भर्ती बच्चों को फल वितरित किये और डायलिसिस, दवा वितरण केन्द्र, आकस्मिक चिकित्सा सेवा और ओपीडी कक्ष इत्यादि का जायजा लिया।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं के हितग्राहियों से सीधा संवाद कर उनके अनुभव सुने तथा योजनाओं से उनके जीवन में आयी खुशियाँ साझा की। कोई पक्का घर मिलने से खुश था, तो कोई रसोई गैस से, तो कोई लाभार्थी कह रहा था कि मुद्रा योजना ने उन्हें स्वावलम्बी बना दिया है। सीधे संवाद में प्रधानमंत्री आवास योजना सहित उज्जवला, जन-धन, मुद्रा, जीवन-ज्योति, बीमा सुरक्षा योजनाएँ, फसल बीमा, राष्ट्रीय ग्रामीण एवं शहरी आजीविका मिशन, कौशल्या और कौशल संवर्धन योजना, स्टार्ट-अप, स्वच्छ भारत मिशन इत्यादि योजनाओं से लाभान्वित लगभग 135 लाभार्थी मौजूद थे। उन्होंने लाभार्थियों का आह्वान किया कि वे जल-संरक्षण एवं संवर्धन में भी योगदान दें। ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आत्म-निर्भर बनें।
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