ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल, जल संसाधन विभाग द्वारा जिले के सबसे बड़े सांपना जलाशय की जहां एक ओर बटामा नहर को अतिक्रमण मुक्त करके सौ करोड़ की कृषि उपयोगी भूमि को अतिक्रमण कत्र्ता से मुक्त कराई है वहीं विभाग को जलाशय से जलकर का लगभग बारह लाख रूपैया किसानो से लेना बाकी है। जल संसाधन विभाग की ओर से बताया गया कि जिले के सांपना जलाशय की बटामा नहर पर विगत कई वर्षों से अतिक्रमण होने से नहर लगभग विलोपित हो गई थी। इस नहर की जमीन पर 20 अतिक्रामकों द्वारा अतिक्रमण किया गया था, जिससे अनेक छोटे कृषक सिंचाई के पानी से वंचित थे।
गत दिनों इस अतिक्रमण को हटा दिया गया है। जिला कलैक्टर श्री बी. चन्द्रशेखर के निर्देश पर हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के फलस्वरूप अब इस नहर से जुड़े 90 कृषकों की 200 एकड़ से अधिक भूमि विगत लगभग 20 वर्षों बाद पुन: सिंचित हो सकेगी। श्री टेकाम ने बताया कि नहर की जमीन की लंबाई लगभग डेढ़ किलोमीटर एवं चौड़ाई 60 फीट है, जिसकी मौजूदा बाजार दर अनुमानित 100 करोड़ रुपये है, जिसे अतिक्रमणकारियों से पूर्णत: मुक्त करा दिया गया है। इसके साथ ही विद्युत विभाग द्वारा शासन की जमीन से ट्रांसफारमर हटा कर निजी भूमि पर स्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है। कार्यपालन यंत्री श्री एन के टेकाम ने बताया कि अतिक्रमण में कुछ स्थायी निर्माण जिनमें कृषकों का गेहूं रखा गया है, वह अतिक्रामकों द्वारा स्वयं हटाने का अनुरोध किया गया है, जिसके लिये उन्हें समय सीमा दी गई है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में अनुविभागीय राजस्व अधिकारी श्री सत्येन्द्र अग्रवाल सहित पुलिस एवं विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया गया। श्री टेकाम के अनुसार सालों से नहर से पानी उलीचकर खेतों को हरा-भरा कर समृद्ध हो रहे किसानों ने शायद सोचा था पानी तो मिल ही गया है अब कौन चुकाए पैसा, पर सरकारी बकाया में तो हिसाब हर साल बढ़ते ही जा रहा है।
आखिरकार जब वसूली का भूत जागा तो विभाग भी आनन-फानन में बकायादार किसानों की सूची तैयार करने पर जुट गया है जिनसे वर्षो से सिंचाई के पानी का पैसा ही वसूल नहीं हुआ था। अब इस वसूली के लिए विभाग इन किसानों पर कुर्की की कार्रवाई भी करने की तैयारी में है क्योंकि वसूली नहीं हुई तो विभाग के अफसरों पर ही गाज गिरने की नौबत नजर आ रही है। जलसंसाधन विभाग के बैतूल संभाग में तकरीबन डेढ़ सौ किसानों से करीब 12 लाख रूपए पानी के शुल्क के रूप में वसूल करना है। जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से यह वसूली हर साल होनी चाहिए, लेकिन यह बात सामने आ रही है कि जल संसाधन विभाग में वसूली का काम देखने वाले अमीन का पद वर्षो से कई जलाशयों में खाली पड़ा है और इसीलिए वसूली की स्थिति लचर चल रही है।जलसंसाधन विभाग द्वारा नहर के माध्यम से छोड़े गए पानी के हिसाब से शुल्क का निर्घारण किया जाता है। जो जलसंसाधन विभाग का नियम है उसके अनुसार रबी सीजन में सिर्फ पलेवा का पानी देने पर 125 रूपए प्रति हेक्टेयर लगता है। पलेवा के अलावा दो पानी देने पर 150 रूपए प्रति हेक्टेयर और उपकर 25 रूपए प्रति हेक्टेयर शुल्क निर्घारित किया जाता है। एक किसान पर तकरीबन 300 रूपए प्रति हेक्टेयर का शुल्क निर्घारित होता है।
जलसंसाधन विभाग द्वारा इस वर्ष वसूली के लिए 339.093 लाख रूपए का लक्ष्य निर्घारित किया गया है। जो वित्तीय वर्ष मार्च खत्म होने के पूर्व वसूला जाना , लेकिन अभी तक सिर्फ 231.361 लाख रूपए की ही वसूली हो सकी है। इस स्थिति के चलते विभाग ने पूर्व के बकायादारों से भी वसूली के लिए अब सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस राशि को वसूलने के लिए विभाग दो बार इन्हें नोटिस भी जारी कर चुका है। अब वसूली के लिए सीधे कुर्की करने की तैयारी शुरू की जा रही है। वसूली को लेकर अफसरों को साफ निर्देश दिए हैं कि लापरवाही उन्हें महंगी पड़ सकती है। निर्देश में लिखा है कि लक्ष्य के अनुरूप वसूली न करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी की वेतनवृद्धि रोकी जा सकती है। यदि वसूली शून्य से 25 प्रतिशत होती है तो दो वेतन वृद्धि और 25 से 50 प्रतिशत की जाती है तो एक वेतनवृद्धि रोकने तथा गोपनीय चरित्रावली में टीप अंकित करने की कार्रवाई भी प्रस्तावित है।
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