कहीं प्यार न हो जाए.........
आज अंतराष्ट्रीय प्रेम दिवस है। अपने प्यार को एजहार करने का दिन याने साल में 364 दिन लडक़े के घर के चक्कर लगाओं और साल के 365 वे दिन उसे कहो कि आई लव यू........... तीन अक्षरो के शब्दो को व्यक्त करने के लिए 364 दिन बेकार में यूं ही करवटे बदल कर रहने से तो अच्छा है हमारा स्वदेशी प्यार..... जिसमें प्यार हुआ एकरार हुआ और तकरार हुआ और जूतम पैजार हुआ...... वैसे प्यार को जितने दिनो तक रोक कर रखा जाएगा वह उतने दिनो तक विस्फोटक बनता जाएगा। प्यार का एजहार उसी वक्त कर देना चाहिए जब दिल बोले दिल है तुम्हारा ........ लेकिन प्यार को लटकाए रखने से कई बार दुसरो को मौका मिल जाता है और फिर चिडिय़ा चुग खई खेत अब पछताय होत क्या...? दिल के मामले में हमारा देश बड़ा दिल वाला है। हमारे देश में सब जो लफड़े - झपड़े होते है उसके पीछे दिल दिवाना ही तो है। लोग भले ही कहते फिरे कि दिल का मामला है दिलबर ... दिल के बारे में मेरे अपने कई अनुभव है। दिल के मामले में मैने मजनू से ज्यादा चोटे खाई है। मुझे तो लगता है कि दिल अपना और प्रीत पराई ... दिल के मामले लकी कम अनलकी ज्यादा लोग रहते है। दिल के बारे में लोग कहते है कि दिल लग गया गधी से तो परी क्या चीज है। दिल के मामले में मैं तो यही कहूंगा कि अंधो के हाथ बटेर लगती है। कई बार तो ऐसे मामले कई प्रकार के अपराधो को पैदा कर देते है।
अब माधुरी दीखित की बात करे या फिर करिश्मा कपूर की इन दोनो का दिल लगा जरूर किसी पर लेकिन शादी के बाद भी दिल का मामला तकरार और तलाक तक पहुंच जाता है। धकधक करने वाली माधुरी को ऐसा लगने लगा कि डाक्टर नैने में ऐसा क्या है..? कि अब तक उससे ही नैन मटका करती रहूं..? आखिर माधुरी को मुम्बई की चकाचौंध अपनी ओर घसीट कर ले ही आई। मैने ऐसे कई परिवार देखे है जहां पर हेडसम हसबैंड की पत्नि उसकी हमेशा बैंड बजाती रहती है। ऐसे अनेक उदाहरण बताए जा सकते है जहां पर शादीशुदा लोगो की जिदंगी शक के चक्कर में तबाह हो गई है। किसी को किसी पर शक यूं ही नहीं होता उसके पीछे भी दिल कहीं न कहीं आ ही जाता है। अब सोचिए कि किसी खुबसूरत पत्नि के पति के पति को बार - बार उसके मित्र छेड़े कि क्या किस्मत पाई है..? और फिर लोग उसकी पत्नि के ईद - गिर्द मंडारने लगे तो फिर दिल में कहीं न कहीं शक का छेद हो ही जाता है। किसी ने कहा है कि सुंदर बीबी का मतलब एक ऐसी तिजोरी है जिस पर हमेशा ताला लगाए रखना पड़ता है। पति पत्नि और वो के बीच में कहीं न कहीं दिल का मामला आ ही जाता है। ऐसे मामलो में अकसर किसी न किसी की जान जाती है।
दिल बहुंत कमजोर होता है। जरा सी चोट लगी और फिर दिल के टुकड़े - टुकड़े हो जाते है। किसी ने कहा भी है कि इस दिल के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा..? प्यार में वासना भी है और वासना के लिए जरूरी नहीं है कि प्रेमिका ही हो वासना का कीड़ा तो पति - पत्नि के नाजूक रिश्तो को तार - तार कर देता है। प्यार में वासना के पीछे का सबसे बड़ा कारण और कारक है मन की सोच जो कि दिल की धडक़नो की तरह घटती - बढ़ती है। दिल के मामले में अकसर यही कहा जाता है कि दिल मन का गुलाम होता है और मन चंचल होता है। वैसे लोग कहते है कि जैसा खाओगें अन्न वैसा रहेगा मन लेकिन मैं इसे इसलिए सही नहीं मानता कि कई बार बिना खाए - पीए भी मन भटक जाता है। मन एक सपने की तरह होता जो पलक झपकते ही आता और जाता है। आजकल प्यार में दिल का मामला कम और दिमाग का मामला ज्यादा होता है। मेरा अपना अनुभव है कि प्यार सही मामले में पत्नि और पत्नि के बीच होता है तब तक जब तक कि उनके बीच में तीसरा न आ जाए..? वैसे तीसरे से वो का मतलब नहीं है कई बार तीसरे का मतलब संतान से भी है। अकसर देखने को मिलता है कि शादी के बाद संतान होने तक प्यार -प्यार रहता है उसके बाद वह तकरार में बदल जाता है।
कई बार समझौता और जुदाई भी राह के भटकने का कारण बनती है। ऐसे में अकसर यह देखने को मिलता है कि किसी की लम्बी जुदाई उसके भटकाव का कारण बन जाती है। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला है कि ऐसे लोगो को लम्बी जुदाई प्यार के प्रति ऐसा जख्म दे देती है कि वह पूरी जिदंगी उसी दर्द से कहारता रहता है। ऐसे लोगो के बीच में लम्बी जुदाई के बाद घर कर बैठे अकेलेपन के कारण प्यार घृणा और तिस्कार में बदल जाता है। प्यार हमेशा शक की सबुह में जीता और रात की करवटो में मरता है। हमारे देश में अंतरजातिय प्रेम विवाह के पीछे की दर्दनाक कहानी एक दुसरे की जान की दुश्मन बन जाती है। घर परिवार - मान सम्मान को दरकिनार कर शुरू की गई ऐसी जिदंगी एक प्रकार का एग्रीमेंट होती है जिसमें एक ने भी किसी शर्त का उल्लघंन किया तो फिर तकरार और तलाक तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में जाति समाज और घर परिवार से बगावत करने वाले अधिकांश लोग अपनी जान तक दे देते है।
वैसे भारत में आमतौर पर कहा जाता है कि लव मैरिज से ज्यादा टिकाऊ अरेंज मैरिज होती है। प्यार का जीवन में बहुंत बड़ा मतलब होता है लेकिन प्यार कभी भी एक तरफा नहीं होना चाहिए। प्यार दर असल में गुडडा - गुडडी का खेल नहीं है अगर ऐसा होता तो आनंदी आज हर समाज में होती। कई बार बचपन का प्यार भी ताश के बावन पत्तो की तरह बिखर कर रह जाता है। प्यार के मामले में इंसान से जावर बेहतर है क्योकि उसका प्यार वासना रहित होता है। ऐसा नहीं कि जानवर कभी प्यार नहीं करते है। आज भी ऐसे कई उदाहरण पशु - पक्षियों के बताए एवं गिनाए जा सकते है। प्यार तो चकोर और चांद का है जो उसे टकटकी निगाहे लगाए देखता रहता है। प्यार फिल्मी नहीं होना चाहिए क्योकि फिल्मी प्यार तीन घंटे बाद समाप्त हो जाता है। प्यार जनम - जनम को होना चाहिए। हमारे देश में भी ऐसे कई प्रेमी हुए है जिनके प्यार के किस्से अग्रेंजी प्रेम पुजारी संत वेलेटाइन से अच्छे है। अंत में इस लेख को समाप्त करने से पहले मैं एक फिल्मी तराना जरूर गुणगुनान चाहंूगा कि तेरा मेरा प्यार अमर फिर क्यों मुझको लगता है.........
No comments:
Post a Comment