मेधा पाटेकर और मारुति भापकर को उनके साथियों समेत अविलंब रिहा करने की आईएसी की मांग
देश के दो राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालने की खबरें व्यथित करने वाली हैं. मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर और महाराष्ट्र में मारुति भापकर को उनके साथी आंदोलनकारियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. ये दोनों सामाजिक कार्यकर्ता जल, जंगल और जमीन के संरक्षण की लड़ाई लंबे समय से लड़ रहे हैं.
मेधा पाटकर छिंदवाड़ा में किसान संघर्ष समिति के 17 किसानों के साथ पेंच नदी पर बांध बनाने के लिए सरकार द्वारा जबरदस्ती जमीनें छीने जाने के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही थीं. प्रदर्शनकारी किसान सरकार से उचित पुनर्वास की मांग करते हुए शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे. प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें जेल में डाल दिया. आईएसी मध्य प्रदेश सरकार से मेधा पाटेकर एवं उनके सहयोगियों को तुरंत रिहा करने की मांग करता है.
आईएसी के वरिष्ठ कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, “ मेधा पाटकर जी ने देश की नदियों की रक्षा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. मध्य प्रदेश सरकार ने बिना पर्यावरण मंजूरी के पेंच नदी पर बांध बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूमि पूजन भी कर दिया. यह तो सरासर गलत है. मेधा पाटकर इसका विरोध करने पहुंची थीं. सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना तो विपक्षी दलों का काम है. लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियां भूल गए हैं. जहां मेधाजी की इस बात के लिए प्रशंसा होनी चाहिए थी कि उन्होंने सरकार को कुछ गलत काम करने से रोकने की कोशिश की, उल्टे उनको गिरफ्तार कर लिया गया. क्या देश में लोकतंत्र नहीं बचा है?सरकार को इस कार्रवाई के लिए मेधाजी से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए.”
मध्य प्रदेश की तरह ही महाराष्ट्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन(आईएसी) के कार्यकर्ता मारुति भापकर और नेशनल अलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट(एनएपीएम) के सुनीति एस.आर के साथ सैकड़ों लोग पुणे में ल्वासा प्रोजेक्ट, मुल्सी डैम और वांग मराठवाड़ी डैम के निर्माण की वजह से विस्थापित हजारों लोगों के पुनर्वास की मांग के समर्थन में आए थे. प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन पुलिस ने कठोरता दिखाते हुए प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया और दो दिनों के हिरासत की मांग की. कोर्ट ने सभी आंदोनकारियों को दो दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
प्रदर्शनकारी यरवदा जेल में बंद हैं. इस पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में सुनिति एसआर और प्रसाद बागवे ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है. इससे पहले 1 अगस्त को महाराष्ट्र के पुनर्वास मंत्री पतंगराव कदम ने विस्थापितों को तुरंत सभी सरकारी सहायता मुहैया कराने का वादा किया था लेकिन तीन महीने के बाद भी उनके लिए कुछ भी नहीं हुआ तो वे विरोध में सड़क पर आए थे.
अरविंद केजरीवाल ने विस्थापितों के प्रति महाराष्ट्र सरकार की संवेदनहीनता की निंदा करते हुए कहा, “सरकार किसानों की जमीनें छीनकर बिल्डरों और उद्योगपतियों को दे रही है. लेकिन जिस किसान की जमीन छीन ली गई उसका परिवार कैसे चलेगा इसकी कोई चिंता नहीं. विस्थापित किसान जब सरकार के पास फरियाद लेकर जाता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है. क्या सरकारों ने ठान लिया है कि वे तानाशाही करेंगी और आम आदमी की आवाज़ को दबाने के लिए पुलिस को आगे कर देगी. यह तो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है. सभी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और विस्थापितों को एक महीने के भीतर उनका हक मिलना चाहिए.”
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