Saturday, November 17, 2012

धार्मिक कानूनों में पिसती औरतें


धार्मिक कानूनों में पिसती औरतें
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आयरलैंड में गर्भपात न किए जाने से भारतीय डॉक्टर सविता हलप्पानवर की मौत ने एक नई बहस की शुरुआत कर दी है। सविता हलप्पानवर को 17 हफ्ते का गर्भ था। डॉक्टरों ने बता दिया था कि बच्चे को बचाया नहीं जा सकता। लेकिन उन्होंने सविता की हलात बिगड़ने के बावजूद गर्भपात करने से मना कर दिया। दलील थी कि कैथोलिक देश होने के नाते आयरलैंड में भ्रूण में सांस रहते गर्भपात गैरकानूनी है। बाद में मृत भ्रूण को शरीर से निकाला गया इसके बाद सविता की मौत हो गई।


आयरलैंड में कैथोलिक चर्च का पूरा दबदबा है वहां की सरकारे चर्च से अपने संबध मुधर बनाएं रखने को प्रमुखता देती आयी है। हालांकि आम जनमानस में चर्च के इन गैर मानवीय एवं मध्ययुगीन बर्बर कानूनों के विरुध अवाज उठने लगी है। गर्भपात और तलाक संबधी सख्त कानूनों को लेकर वहा का आम कैथोलिक विश्वासी चर्च से बदलाव की मांग करने लगा है। बच्चों के साथ पादरियों द्वारा किये गए दुराचार के अनगिनत मामले आयरलैंड में सामने आए है जिन पर वहा की सरकार ने जांच करवाकर वेटिकन से पीड़ितों को मुआवजा देने और दोषी पादरियों के विरुद्व सख्त कारवाई करने की मांग की है।


पोप बैडिक्ट सोहलवें और वेटिकन की (कर्लजी और लेइटी ) दोहरी नीति  को देखते हुए आयरलैंड की सरकार ने पिछले साल वेटिकन से अपने राजदूत को वापिस बुला लिया था। हालांकि आयरलैंड के प्रधानमंत्री एंडा केनी ने इसे आर्थिक कारणों से उठाया गया कदम बताया था लेकिन कैथोलिक विश्व में इसे वेटिकन की दोगली नीति के विरुद्व उठाया गया कदम ही माना जा रहा है।


आयरलैंड की संसद के बाहर भारतीय डॉक्टर सविता हलप्पानवर की मौत के मामले पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। पचास हजार लोगों ने हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लेकर सरकार से गर्भपात कानून को सरल बनाने और इस मामले की स्वतंत्र आयोग से जांच करवाने की मांग की। आयरलैंड की विपक्षी पार्टियों ने भी गर्भपात से जुड़े कानूनों में बदलाव करने और उसे वैधानिक बनाने की मांग की है।


हालांकि बीस वर्ष पहले एक 14 वर्षीय स्कूली छात्रा जो बलात्कार का शिकार होकर गर्भवती हो गई थी और जिसे प्रशासन गर्भपात करवाने की अनुमति नही दे रहा था, ऐसे में दुखी होकर छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में आयरलैंड की सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा था कि यदि मां की जान को खतरा हो तो गर्भपात करना वैध होगा। लेकिन वहा की सरकार द्वारा खतरे को परिभाषित करने या कोई साफ नीति बनाने में बरती गई उदासीनता के कारण आज भी आयरिश चकित्सा जगत में मायूसी है। आयरिश सरकार के इस रैवये के पीछे कैथोलिक चर्च के आत्यधिक प्रभाव का होना ही है।


यूरोपीय मानवाधिकार आदलत ने 2010 में आयरलैंड से गर्भपात कानून पर सफाई मांगी थी। जवाब आज तक नही दिया गया क्योंकि सरकार ने इसी वर्ष जनवरी में 14 सदस्यों की एक समीति का गठन किया था जिसकी रिर्पोट आयरिश सरकार को इसी सप्ताह मिली है।


भारतीय डॉक्टर सविता हलप्पानवर की मौत निजि जीवन में धर्म के बढ़ते हस्तक्षेप का यह सीधा मामला है अभी तक महिलाओं के निजी जीवन में दखलअंदाजी के मामलों को लेकर इस्लाम धर्म ही आलोचकों के निशाने पर रहा है। लेकिन सविता की मौत ने इस तथ्य को उजागर किया है कि मानवता के प्रति उदारता, दया और करुणा-भाव रखने का दावा करने वाली ईसाइयत आज भी मध्ययुगीन युग से निकल नही पाई है।


कैथोलिक चर्च के दिवंगत पोप, पोप जॉन पॉल द्वितीय ने अपने ढाई दशक के शासनकाल में कैथोलिक मान्यताओं व परंपराओं में किसी प्रकार की कोई ढील नहीं दी, उन्होंने द्वितीय वेटिकन परिषद के प्रस्तावों व निर्णयों में भी भारी बदलाव किये, इन प्रस्तावों को पोप जोन पॉल 23वें ने स्वीकृत किया था। गर्भपात को लेकर कठोर रवैया अपनाने के कारण कैथोलिक महिलाओं ने उन्हें रुढ़ीवादी की संज्ञा दी थी। कैथोलिक महिलाओं का मानना था कि चर्च या सरकार यह दावा कैसे कर सकते है कि उसे गर्भस्थ भ्रूण की चिन्ता उसकी मां से ज्यादा है।


कैथोलिक समाज में गर्भपात का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है अमेरिका जैसे देश में भी यह पिछले तीन-चार चुनावों में चर्चा का विषय रहा है। लेकिन इस बार के चुनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जहां गर्भपात को लेकर व्यक्तिगत आजादी देने का पक्ष लिया वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी का रुख कैथोलिक चर्च वाला था। इसी कारण ओबामा को महिला वोटरों ने जोरदार समर्थन देकर उनकी जीत को असान बना दिया।


सविता हलप्पानवर की मौत की जांच के लिए बनाई गई समीति का नतीजा जो भी आए उसे दोबारा जीवन नही दिया जा सकता। उम्मीद की जानी चाहिए की चर्च और अन्य समाज महिलाओं को लेकर अपनी मध्ययुगीन सोच बदलेंगे और आयरिश सरकार चर्च के अपेक्षा नागरिकों के हितों को ध्यान में रखेंगी।



आर. एल. फ्रांसिस
अध्यक्ष, पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट
फोन - 9810108046

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