मेरी छवि सुधारने वाले-पहले अपनी छवि सुधारे?-शिवराज
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भोपाल। मुख्यमंत्री ने साफतौर पर अधिकारियो को चेतावनी देते हुए कहा कि विभाग मेरी छवि से पहले अपनी छवि सुधारे। गौरतलब है कि जनसंपर्क विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर बातें मुख्यमंत्री तक समय समय पर पहुँचती रही है। किन्तु इन सबमें असहाय दिखने वाले मुख्यमंत्री ने गुस्से में मीटिंग में मौजूद चपरासी को भी नहीं बक्शा?
मीडिया और मुख्यमंत्री की चाहत?
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है ऐसे में अधिकारीयों का कहना है कि जनसंपर्क विभाग क्या कर सकता है? सरकार का सच सामने लाना मीडिया की जिम्मेदारी है और मीडिया अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा है। सरकार की बदनामी की वजह भी सरकार, मंत्रियों के कार्यकलाप ही है। ऐसे में जनसंपर्क विभाग का क्या दोष है?यह तर्क हैं दबी जबान में अधिकारीयों के . आज तक मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में एक भी अधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया से मुखातिब नहीं हुए है? मीडिया से सीधे संवाद न होना भी इसका एक कारण हो सकता है? किन्तु मुख्यमंत्री की चाहत है की सरकार जो चाहे, मीडिया वही छापे?
बेवसाइट और फीचर एजेन्सी पर रोक?
नयी जनसंपर्क नीति बनाकर चुनाव समय में वाहवाही लूटने का प्रयास करने वाले मुख्यमंत्री ने अपनी जनसंपर्क नीति पर स्वयं ही सवाल खड़े कर दिए है? जहाँ एक ओर भारत सरकार के विभाग वेब जर्नलिस्म को मान्यता दी हैं वहीँ मध्यप्रदेश में बेवसाइट और फीचर एजेन्सी के कार्यों में रोक लगाना क्या मुख्यमंत्री की हताशा का परिणाम है? गौरतलब है कि सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामले समय समय पर विभिन्न समाचार बेवसाइट ने ही उजागर किये है। और कई मीडिया मामलों का पर्दाफाश भी किया है। ऐसे में एक तथाकथित पत्रकारों की गेंग के वशीभूत शिव राज ने सारा गुस्सा वेबसाइट व फीचर एजेंसी की सेवाए बंद कर शांत किया।
बड़ा सवाल - क्या शिवराज का मीडिया तंत्र लडखडाया?
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार कुनबे में रमेश शर्मा, महेश श्रीवास्तव, गिरिजाशंकर जैसे वरिष्ठ पत्रकारों का साथ है और दिल्ली का मीडिया प्रबंधन नरसिम्हन के हाथों है। ऐसे में सरकार व मुख्यमंत्री की मीडिया में छवि विपरीत क्यूँ? मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकारों के बारे में मीडिया जगत में ओपिनियन किसी से छिपी नहीं है। गिरिजाशंकर पूर्व में कांग्रेस शासन काल में दिग्विजय सिंह व अजित जोगी व छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के भी मीडिया सलाहकार रह चुके है। सूत्रों की माने तो मीडिया सलाहकारों मे से कोई भी व्यक्ति संघ विचारधारा के समीप नहीं है। भारत का सबसे तेजी से बढ़ता अखबार भी समय समय पर सरकार को आईना दिखता है। दिल्ली में भी लगातार म. प्र. के कुपोषण व मिड डे मिल की विपरीत रिपोर्ट से सरकार की छवि को लेकर मुख्यमंत्री परेशान है, ढीली प्रशासनिक पकड़ व मीडिया में सरकार का विपरीत प्रस्तुतिकरण मुख्यमंत्री को तंग किये रहता है। मुख्यमंत्री का मीडिया से सीधा संवाद न होना भी उनकी साख पर बट्टा लगाता है ? ऐसे में बढ़ा सवाल है क्या मीडिया में मुख्यमंत्री को चाहने वाला कोई नहीं?
sabhar - (साई)
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