चाहेतों को दे रहे लाखों के विज्ञापन मध्य प्रदेश जनसंपर्क
लाजपत आहूजा ने लूट लिया मध्य प्रदेश जनसंपर्क
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एपीपोस्ट साइट का स्क्रीनशॉट और विज्ञापन जिसके एवज में पंद्रह लाख रूपये जारी कर दिये गये हैं |
सरकार का पैसा हो और उसकी रखवाली करने के लिए लाजपत आहूजा जैसे लोगों को नियुक्त कर दिया जाए तो परिणाम वही होता है जो ताजा मामले में सामने आया है. जिस लाजपत आहूजा को मध्य प्रदेश जनसंपर्क की प्रभारी जिम्मेदारी दी गई है कि वे जनता के पैसे की रखवाली करें, वही आहूजा और उनके दरबारी मिलकर जनसंपर्क को लूट रहे हैं. बड़े से बड़े प्रकाशन समूह को भी पच्चीस पचास हजार का विज्ञापन देने में आनाकानी करनेवाले मध्य प्रदेश जनसंपर्क की काली करतूत का एक नायाब नमूना देखिए. उसने एक ऐसी वेबसाइट को 15 लाख रूपये का विज्ञापन दे दिया जिसका नामो निशान न के बराबर है. न सिर्फ एक ही झटके में 15 लाख का विज्ञापन दे दिया बल्कि डेढ़ महीने के अंदर एकमुश्त रकम भी अदा कर दी.
मध्य प्रदेश वैसे भी पत्रकारों का स्वर्ग कहा जाता है. स्वर्ग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां के सरकारी जनसंपर्क के सैकड़ों करोड़ के बजट की जो बंदरबांट होती है उसमें सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और पत्रकार आपस में मिलकर ऐसी मलाई काटते हैं कि देखनेवाला भौचक्का रह जाए. ताजा मामला जुड़ा है एक एमपीपोस्ट.कॉम वेबसाइट से. इस वेबसाइट का संचालन शर्मन नगेले नाम के एक व्यक्ति करते हैं. नगेले वैसे तो अपने आपको आईटी विशेषज्ञ पत्रकार कहते हैं और जब अपना लिखा बांटना होता है तो दूसरी वेबसाइटों की तरफ रुख करते हैं. इंटरनेट की दुनिया में उनकी वेबसाइट की न तो चर्चा है और न पहुंच. साइटों की रैंकिंग निर्धारित करनेवाली एलेक्सा में अगर उनकी साइट की रैंकिंग देखी जाए तो वह 26 लाख पर नजर आती है.
फिर भी मध्य प्रदेश जनसंपर्क ने न जाने किस तर्क और नियमावली के तहत उनको विज्ञापन के नाम पर एकमुश्त पंद्रह लाख रूपये का भुगतान कर दिया. मध्य प्रदेश जनसंपर्क से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शर्मन नगेले बहुत व्यावहारिक व्यक्ति हैं और हाल में जनसंपर्क के प्रभारी बने लाजपत आहूजा व्याहारिक लोगों को अधिक पसंद करते हैं. इसलिए संभवत: दोनों ने मिलकर एक हाथ दे और दूसरे हाथ ले का कोई व्यापारिक सूत्र विकसित किया और एकमुश्त पंद्रह लाख का भुगतान हासिल कर लिया.
मध्य प्रदेश जनसंपर्क के आदेश क्रमांक डी-72316 एमपी पोस्ट के नाम जारी किया गया है. यह आदेश 17 अगस्त 2012 को जारी किया गया है जिस पर 15 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की गई है. कमाल देखिए की वेबसाइट को विज्ञापन देने के एक सप्ताह के अंदर ही शर्मन नगेले 15 लाख रूपये का बिल जनसंपर्क में जमा करा देते हैं. वे 25 अगस्त को अपना बिल जमा कराते हैं और उनके बिल पर आनन फानन में कार्रवाई करते हुए डेढ़ महीने के अंदर जनसंपर्क विभाग भुगतान भी कर देता है. शर्मन नगेले 25 अगस्त 2012 को बिल जमा कराते हैं और 11 अक्टूबर 2012 को उन्हें 14 लाख 70 हजार ई ट्रांसफर के जरिए जारी कर दिया जाता है.
अव्वल तो इस आदेश पर ही सवाल उठता है कि एक अदना सी वेबसाइट को आखिर किस आधार पर पंद्रह लाख का विज्ञापन दिया गया. यह सच है कि मध्य प्रदेश जनसंपर्क में वेबसाइटों को लेकर कोई नियम कानून नहीं है और अपनों को उपकृत करने के लिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क के विज्ञापन वेबसाइटों को भरपूरी मात्रा में बांटे जाते हैं. लेकिन इस मामले में कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. एक तो यह साइट कोई ऐसी विशेषज्ञता वाली वेबसाइट नहीं है और न ही इसकी दर्शकों की संख्या इतनी बड़ी है कि जनसंपर्क उसके जरिए लोगों तक पहुंचने के लिए एक विज्ञापन के ऐवज में 15 लाख रूपये का भुगतान कर दे. फिर आखिर क्या कारण है कि लाजपत आहूजा ने यह कमाल कर दिखाया?
मध्य प्रदेश जनसंपर्क में लूट की इस अनहोनी कहानी के सामने आने आने के बाद मध्य प्रदेश सरकार और संबंधित मंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि वह जनसंपर्क द्वारा जारी इस विज्ञापन की जांच करवाएं कि आखिर किस आधार और क्राइटेरिया के तहत जनता के 15 लाख रूपये एमपीपोस्ट.कॉम को जारी किये गये. साथ ही साथ शर्मन नगेले के एकाउण्ट की भी जांच होनी चाहिए कि एकममुश्त रकम हासिल करने के बाद क्या उन्होंने कोई बड़ी रकम किसी को अदा की है. अगर दी है तो वह व्यक्ति कौन है? साथ ही साथ इस संबंध में एक विभागीय जांच भी करनी चाहिए कि लाजपत के राज में लूट की और कौन कौन सी कहानी लिखी जा रही है?
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