कानपुर। इसे कहते हैं व्यवस्था की विसंगति।
बीते 1 हफ्ते में एक ओर हमारे सोशल मीडिया पत्रकार जागेंद्र सिंह के समर्थन में पूरे प्रदेश के पत्रकार एक जुट हुए और मंत्री और इन्स्पेक्टर के खिलाफ एफ आई आर करवाई वहीँ कल रात कानपुर में दैनिक मेरा सच के पत्रकार को जुएं का विरोध करने पर ताबड़तोड़ 5 गोली मारी गयीं जिसमें से 3 गोली उनके सीने और पेट को चीरती हुई पार हो गयी समर्थन में कानपुर का पूरा मीडिया प्रसाशन मौके पर पहुंचा लेकिन सुबह अखबारों की हेडलाइन देखकर फिर कानपुर में फ़र्ज़ी और असली पत्रकार की कहानी सामने आई लगभग सभी पेपरों ने उसकी आपसी रंजिश बताते हुए उसे कथित पत्रकार की संघ्या दे डाली।
भगवान् का शुक्र है कि हमारे प्यारे साथी दीपक मिश्रा ने इन ख़बरों को अभी तक नहीं पढ़ा नहीं तो उसे जो दर्द का अहसास होता वो मरने से भी बदतर होता मेरा सवाल है उन बड़े - बड़े मीडिया हाउसों से क्या यही है आपकी पत्रकारिता जो एक सच्चे पत्रकार को पत्रकार मैंने से इंकार करती है और सच्चाई लिखने से रोकती है।
दीपक जी ने अपने साहस का परिचय देते हुए गोली लगने के बावजूद पुलिस और अपने दोस्तों को फोन किया हिम्मत नहीं हारी आनन् फानन में उन्हें हैलट ले जाया गया जहाँ अब उनकी हालात खतरे से बाहर बताई गयी है।
कानपुर में एक पत्रकार को बदमाशों ने गोलियां मार कर मौत की देहलीज़ पर पंहुचा दिया। पत्रकार का क़सूर सिर्फ इतना था की उसने क्षेत्र में चल रहे जुआड़ खाने की शिकायत पुलिस से कर दी थी।
घटना बुधवार रात दस बजे की है जब दैनिक मेरा सच के संवाददाता दीपक मिश्रा कल्याणपुर से लौट कर अपने घर बिधनू जा रहे थे तभी राजा पाण्डेय व उसके दो अन्य साथियों ने नवबस्ता इलके में उनको घेर कर ताबड़ तोड़ गोलियां बरसा दीं इस गोलीबारी में दीपक के सीने और पेट में गोलियां लगीं । घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी असलहे लहराते हुए फरार हो गए। वहीँ गोली लगने से घायल दीपक को इस बीच किसी ने छुआ तक नहीं। अच्छी कदकाठी के दीपक ने गोलियां लगने के बावजूद हिम्मत नही हारी और नज़दीक रहने वाले मित्र को फ़ोन किया। खून से लथ पथ घयल पत्रकार को हैलट अस्पताल लाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें आकस्मिक उपचार दिया। एक्सरे में शरीर में बुलेट नही मिली जिस से अंदाज़ा लगाया जा रहा है की गोलियां शरिर से पार हो गईं।
पत्रकार की हालात अब खतरे से बाहर है। घायल जर्नलिस्ट को देखने के लिए शहर भर के सैकडों पत्रकार हैलट पहुचे वहीँ अस्पताल में एस.एस.पी शलभ माथुर व एस.पी. पूर्वी सहित कई थानो का फोर्स पंहुचा। एस एस पी ने बदमाशों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार दबिशें दी जा रही है जल्द गिरफ्तारी होगी। लेकिन सवाल फिर वही कि क्या पत्रकारों पर इस तरह के हो रहे हमलों के बाद भी पत्रकारों की कलम खामोश होने के साथ ही उसे तथाकथित पत्रकार की संघ्या देने पर मज़बूर क्यों ??????
बीते 1 हफ्ते में एक ओर हमारे सोशल मीडिया पत्रकार जागेंद्र सिंह के समर्थन में पूरे प्रदेश के पत्रकार एक जुट हुए और मंत्री और इन्स्पेक्टर के खिलाफ एफ आई आर करवाई वहीँ कल रात कानपुर में दैनिक मेरा सच के पत्रकार को जुएं का विरोध करने पर ताबड़तोड़ 5 गोली मारी गयीं जिसमें से 3 गोली उनके सीने और पेट को चीरती हुई पार हो गयी समर्थन में कानपुर का पूरा मीडिया प्रसाशन मौके पर पहुंचा लेकिन सुबह अखबारों की हेडलाइन देखकर फिर कानपुर में फ़र्ज़ी और असली पत्रकार की कहानी सामने आई लगभग सभी पेपरों ने उसकी आपसी रंजिश बताते हुए उसे कथित पत्रकार की संघ्या दे डाली।
भगवान् का शुक्र है कि हमारे प्यारे साथी दीपक मिश्रा ने इन ख़बरों को अभी तक नहीं पढ़ा नहीं तो उसे जो दर्द का अहसास होता वो मरने से भी बदतर होता मेरा सवाल है उन बड़े - बड़े मीडिया हाउसों से क्या यही है आपकी पत्रकारिता जो एक सच्चे पत्रकार को पत्रकार मैंने से इंकार करती है और सच्चाई लिखने से रोकती है।
दीपक जी ने अपने साहस का परिचय देते हुए गोली लगने के बावजूद पुलिस और अपने दोस्तों को फोन किया हिम्मत नहीं हारी आनन् फानन में उन्हें हैलट ले जाया गया जहाँ अब उनकी हालात खतरे से बाहर बताई गयी है।
कानपुर में एक पत्रकार को बदमाशों ने गोलियां मार कर मौत की देहलीज़ पर पंहुचा दिया। पत्रकार का क़सूर सिर्फ इतना था की उसने क्षेत्र में चल रहे जुआड़ खाने की शिकायत पुलिस से कर दी थी।
घटना बुधवार रात दस बजे की है जब दैनिक मेरा सच के संवाददाता दीपक मिश्रा कल्याणपुर से लौट कर अपने घर बिधनू जा रहे थे तभी राजा पाण्डेय व उसके दो अन्य साथियों ने नवबस्ता इलके में उनको घेर कर ताबड़ तोड़ गोलियां बरसा दीं इस गोलीबारी में दीपक के सीने और पेट में गोलियां लगीं । घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी असलहे लहराते हुए फरार हो गए। वहीँ गोली लगने से घायल दीपक को इस बीच किसी ने छुआ तक नहीं। अच्छी कदकाठी के दीपक ने गोलियां लगने के बावजूद हिम्मत नही हारी और नज़दीक रहने वाले मित्र को फ़ोन किया। खून से लथ पथ घयल पत्रकार को हैलट अस्पताल लाया गया जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें आकस्मिक उपचार दिया। एक्सरे में शरीर में बुलेट नही मिली जिस से अंदाज़ा लगाया जा रहा है की गोलियां शरिर से पार हो गईं।
पत्रकार की हालात अब खतरे से बाहर है। घायल जर्नलिस्ट को देखने के लिए शहर भर के सैकडों पत्रकार हैलट पहुचे वहीँ अस्पताल में एस.एस.पी शलभ माथुर व एस.पी. पूर्वी सहित कई थानो का फोर्स पंहुचा। एस एस पी ने बदमाशों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार दबिशें दी जा रही है जल्द गिरफ्तारी होगी। लेकिन सवाल फिर वही कि क्या पत्रकारों पर इस तरह के हो रहे हमलों के बाद भी पत्रकारों की कलम खामोश होने के साथ ही उसे तथाकथित पत्रकार की संघ्या देने पर मज़बूर क्यों ??????
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