स्व. एमएन बुच |
स्व. एमएन बुच के निधन को ब्यूरोक्रेट्स ने न सिर्फ भोपाल बल्कि प्रदेश के लिए बड़ी क्षति कहा है। अफसरों का
कहना है कि बुच के विजन का कोई विकल्प नहीं
है। सेवानिवृत्ति उनके विकास रूपी विजन पर
हावी नहीं हो पाई। अभी भी वे जब कभी
वल्लभ भवन की सीढ़ियां चढ़ जाते थे तो आईएएस
लॉबी में हड़कम्प मच जाता था कि जाने
किसकी शामत आ जाएगी।
अरेरा कॉलोनी स्थित निवास पर एमएन बुच के बारे में आज
सेवानिवृत्त और वर्तमान आईएएस अफसरों ने अपने
विचार साझा किए। अपर मुख्य सचिव के पद से
रिटायर हुए ओपी रावत ने कहा कि बुच ऐसे
विजनरी आॅफीसर थे, जिनका निधन देश, प्रदेश के
लिए क्षति है। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे गलत
बात कहने वालों को रोकने के लिए संघर्ष करते
रहते थे। प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं
पर्यावरण मलय श्रीवास्तव ने कहा कि वे
भारतीय प्रशासनिक सेवा के आदर्श अफसरों में
थे। योजना बनाने और निर्णय लेने की उनकी
क्षमता अद्भुत थी। भोपाल में प्लानिंग की
फाउंडेशन उन्होंने ही डाली।
शहरी क्षेत्र के विकास के लिए वे सपना देखते थे। उनके आइडिया यूनिक होते थे। भोपाल के कलेक्टर रह चुके
रिटायर्ड आईएएस मोती सिंह ने कहा कि वे
बहुत अच्छे प्रशासक थे। पर्यावरण, फारेस्ट,
हाउसिंग समेत आधा दर्जन सेक्टर में उनका अच्छा
खासा दखल था। उनकी भरपाई असंभव है।
गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि देश के नक्शे पर
भोपाल को बेहतरीन शहर की श्रेणी में लाने का
काम एमएन बुच ने ही किया है।
वे कुशल प्रशासक और विकास के लिए हमेशा जुटे
रहने वाली शख्सियत थे।
बहुत मुश्किल लग रहा है, उनके बारे में कुछ कहना। वे
मेरे 55 साल पुराने दोस्त थे। उनके निधन से
व्यक्तिगत रूप से मुझे बड़ा आघात पहुंचा है। आज
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और उसके संशोधन पर
चर्चा और हंगामा मचा हुआ है। बुच साहब ने अपने
समय में लोगों को खुद आगे रहकर उनकी जमीनों
का उचित मुआवजा दिलवाया है। बुच साहब
की संवेदनशीलता के लोग कायल थे।
एससी बेहार, पूर्व मुख्य सचिव म.प्र.
वे असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे, वे नेताओं से
खरी बात कहने से भी कभी नहीं हिचकते थे।
उनकी साफगोई, कल्पनाशीलता और जमीनी
सोच ने उनकी कार्यशैली को हमेशा असरदार
रखा। विकास से जुड़ा कोई भी मामला होता
था, वे इस पर निर्णय लेने के लिए बेकरार नजर आते
थे। मैंने अपने लम्बे करियर में बुच साहब जैसा अफसर
नहीं देखा।
केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव म.प्र.
उनमें काम करने की लगन थी, वे अलग किस्म के
अफसर थे। वे सख्त और बहुत दमदार अफसर थे। वे
नहीं होते तो पता नहीं भोपाल शहर कैसा
होता। वे इरादे के पक्के और कर्मठ अधिकारी थे।
उन्होंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से
निभाई।
एवी सिंह, पूर्व मुख्य सचिव, म.प्र.
वे काफी सक्रिय रहते थे। डीजीपी बनने के
दौरान उन्होंने खासा गाईड किया। भोपाल
आईजी बनने के दौरान उनसे लगातार चर्चा
होती रहती थी। तब से अब तक उनसे लगातार
सम्पर्क बना रहा। वे जनता के हित के साथ
प्रशासन में सुधार की चिंता भी करते थे।
नंदन दुबे, पूर्व डीजीपी म.प्र.
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी की कलम से
मॉडर्न भोपाल बुचसाब के विजन की देन
मैं जब से भोपाल आया तभी से एमएन बुच से
परिचय हो गया था, धीरे-धीरे हमारे संबंधों में
निकटता आई और संबंध काफी आत्मीय हो गए।
जानकारियों का उनके पास खजाना था।
मुझे जब भी कोई जानकारी चाहिए होती थी मैं
उनके पास चला जाता था, कई बार ऐसा भी
होता था कि वे खुद जानकारी लेकर मेरे पास
आ जाते थे। बुचसाहब शहरों के सुनियोजित
विकास के प्रबल पक्षधर थे। भोपाल के विकास
के लिए उन्होंने काफी काम किया। इस शहर
का पहला मास्टर प्लान उन्होंने ही तैयार
किया था। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहकर न
सिर्फ भोपाल के विकास की रूपरेखा तैयार
की बल्कि उसे पूरी लगन से क्रियान्वित भी
किया। भोपाल का आज जो साफ-सुथरा स्वरूप
दिखता है यह उन्हीं की देन है।
उनकी प्रशासनिक क्षमता अद्वितीय थी। कुशल
प्रशासक होने के साथ साथ वे सख्त व्यक्ति की
छवि रखते थे और नियम-कानूनों के पालन को भी
पूरी तरजीह देते थे पर उनका हमेशा मानना रहता
था कि किसी नियम से जनकल्याणकारी
कामों और विकास में बाधा आती है तो उसका
सरलीकरण किया जाना चाहिए। मेरे सांसद
रहने के दौरान भी कई बार भोपाल के विकास के
लिए सुझाव लेकर वे मेरे पास आते थे और मैं उन्हें
मानता भी था। उनके निधन से प्रदेश ने एक
ईमानदार प्रशासक खो दिया है। उनके निधन से
प्रदेश को अपूर्णीय क्षति हुई हैं जिसकी निकट
भविष्य में भरपाई हो पाना संभव नहीं है। मैं
अपनी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित
करता हूं।
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