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'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002' को खारिज करने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली 32 याचिकाएं (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। यह याचिकाएं अजाक्स और उसके सहयोगी संगठनों के सदस्यों ने लगाई थीं। कोर्ट ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की।
सामान्य वर्ग के कर्मचारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील आलोक श्रीवास्तव के मुताबिक याचिकाकर्ताओं ने 32 अलग-अलग याचिकाओं में 'स्टेटस को' (यथास्थिति) के आदेश को निरस्त करने और मामले की अगली सुनवाई या निर्णय तक नियम 2002 के तहत अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति जारी रहने देने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि नियम 2002 संविधान के तहत है और सरकार संविधान के अनुरूप ही काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को हाईकोर्ट ने 14 साल पुराने 'मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) अधिनियम 2002' को खारिज कर दिया था।
वकील श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने सभी मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इनमें से किसी ने भी हाईकोर्ट में केस नहीं लड़ा है, इसलिए ये हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी कैसे लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो राज्य शासन विरुद्ध आरबी राय प्रकरण में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से एसएलपी लगाना होगी.
'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) अधिनियम 2002' को खारिज करने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली 32 याचिकाएं (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। यह याचिकाएं अजाक्स और उसके सहयोगी संगठनों के सदस्यों ने लगाई थीं। कोर्ट ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की।
सामान्य वर्ग के कर्मचारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील आलोक श्रीवास्तव के मुताबिक याचिकाकर्ताओं ने 32 अलग-अलग याचिकाओं में 'स्टेटस को' (यथास्थिति) के आदेश को निरस्त करने और मामले की अगली सुनवाई या निर्णय तक नियम 2002 के तहत अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति जारी रहने देने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि नियम 2002 संविधान के तहत है और सरकार संविधान के अनुरूप ही काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को हाईकोर्ट ने 14 साल पुराने 'मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) अधिनियम 2002' को खारिज कर दिया था।
वकील श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने सभी मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इनमें से किसी ने भी हाईकोर्ट में केस नहीं लड़ा है, इसलिए ये हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी कैसे लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो राज्य शासन विरुद्ध आरबी राय प्रकरण में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से एसएलपी लगाना होगी.
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