राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा सरकार ने राज्य के एक बड़े अख़बार के सरकारी विज्ञापनों पर ही रोक लगा दी।
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नई दिल्ली : देश में पत्रकारिता पर सत्ता कैसे शिकंजा कसती इसका उदाहरण राजस्थान में देखने को मिला। राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा सरकार ने राज्य के एक बड़े अख़बार के सरकारी विज्ञापनों पर ही रोक लगा दी। मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह राज्य में सबसे ज्यादा प्रसार वाले अख़बार राजस्थान पत्रिका को तुरंत विज्ञापन जारी करे। राजस्थान पत्रिका की ओर से पैरवी कर रहे अधिकक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार उसे विज्ञापन देने में भेदभाव कर रही है।
सिंघवी के तर्कों से न्यायधीश ए. के. सीकरी और डी. वाई चंद्रचूड़ सहमत दिखाई दिए। राजस्थान सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर पीएस नरसिम्हा ने भी इस बात को माना कि साल 2016 में राजस्थान सरकार ने इस अख़बार को विज्ञापन नहीं दिए। अदालत में पेश याचिका में कहा गया था कि राज्य में इस अख़बार का प्रसार 16 लाख है, ऐसे में वह अख़बार को विज्ञापन न देकर लोगों के सूचना पाने के अधिकार को छीन रही है।
वरुण गाँधी ने किया था जिक्र
गौरतलब है कि एक दिन पहले बीजेपी नेता वरुण गाँधी ने भी वसुंधरा राजे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि किसी बड़े अख़बार के विज्ञापन पर रोक लगाना सही नहीं है। वरुण गाँधी ने कहा मैंने सुना है कई प्रदेशों की सरकारें अपने लिखने वालों को विज्ञापन नहीं देती हैं। उन्होंने कहा मैंने सुना है कि एक बड़े अख़बार के साथ ऐसा ही हुआ, जो कि सरासर गलत है।
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