-मण्डी प्रशासन की देखरेख में चल रहा है पूरा खेल
Present by - toc news
-राहुल रावत मोबा. 9981828271
शिवपुरी। किसान दिन-रात खून पसीना बहाकर अपनी उपज को पैदा करने के बाद उसे बेचने के लिए जब कृषि उपज मंडी में आता है तो उसकी उपज की खरीद व्यापारी द्वारा तो कर ली जाती है, परंतु उसे बिल के नाम पर एक सादा कागज की पर्ची थमा दी जाती है जिस पर न तो यह अंकित होता है कि यह उपज कितने क्विंटल प्रति में बिकी और न ही आड़त कितनी ली गई और किस व्यापारी को बेची गई है। जिससे कृषक से लेकर प्रशासन को चूना लगाया जा रहा है।
बिना सूचना के बंद हो जाती है मंडी
कृषि उपज मण्डी शिवपुरी में बिना सूचना दिए ही आए दिन मण्डी में ताला लटका दिया जाता है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से अपनी उपज बेचने जब कृषक आता है तो मंडी में ताला लगा देखकर जब मंडी प्रशासन को फोन लगाया जाता है तो वह कृषकों को ताला खोलने का समय दे देते हैं यदि फिर भी मंडी नहीं खुलती है तो परेशान कृषक तहसीलदार से कलेक्टर तक पहुंच जाते हैं फिर यदि मंडी खुल भी गई तो उनकी उपज को औने पौने दामों में खरीदा लिया जाता है जिससे कृषक को दोहरी मार झेलनी पड़ती है और व्यापारी मजे छानते हैं।
व्यापारी और जनप्रतिनिधि आगे, मण्डी प्रशासन पीछे
यूं तो प्रशासन द्वारा मण्डी को संचालित करने के लिए शासकीय मंडी कर्मचारियों को नियुक्त किया है, लेकिन शिवपुरी कृषि उपज मंडी में उल्टी गंगा बह रही है। यहां तो ऐसा लगता है कि मंडी प्रशासन पूरी तरह से सोया हुआ है और मण्डी का संचालन यहां के व्यापारी और जनप्रतिनिधि कर रहे हो। इसकी शिकायत कई बार भारतीय किसान संघ द्वारा कलेक्टर, एसडीएम एवं मंडी सचिव को की जा चुकी है। इसके बाद भी मंडी व्यापारी और जनप्रतिनिधि ही चला रहे हैं।
2 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत आड़त की वसूली
जहां एक ओर कृषकों को अपनी उपज को बेचने के लिए आड़तियों को आड़त के नाम पर दो प्रतिशत आड़त देना होती है, लेकिन इन दिनों कृषकों से दो प्रतिशत आड़त के स्थान पांच प्रतिशत आड़त ली जा रही है जिससे कृषक परेशान है। इसकी शिकायत कई बार कृषक ने मंडी प्रशासन से लेकर प्रशासन तक से की है, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
शिवपुरी मंडी से कृषकों का मोहभंग
कृषि उपज मंडी में लूटखसौट के चलते कृषक अपनी उपज को बेचने के लिए कोलारस, लुकवासा, बदरवास, करैरा एवं अन्य क्षेत्रों में पहुंचने लगे हैं। मण्डी में अलाली एवं भर्राशाही का आलम यह है कि दोपहर 12 बजे बाद तक तो कर्मचारी कार्यालय में ही नहीं आते तथा ऑफिस मेें ताला झूलते रहते हैं। वहीं मण्डी प्रशासन द्वारा मण्डी कर की चोरी कर शासन को भी राजस्व की भारी चपत लगाई जा रही है जिससे शिवपुरी मण्डी की आय में निरंतर गिरावट आ रही है।
इनका कहना है
्रयदि व्यापारी टैक्स चोरी करता है तो उस पर कार्रवाई सेलटैक्स विभाग करेंगे। व्यापारी किसान को सादा पर्ची पर बिल दे रहा है तो यह जिम्मेदारी मेरी नहीं है। किसान को सादा पर्ची की बजाये व्यापारी से पक्का बिल लेना चाहिए और यदि कोई किसान मेरे पास शिकायत लेकर आता है तो मैं उसका निराकरण कराऊंगा।
रियाज खान मण्डी सचिव शिवपुरी
हम कई बार प्रशासन से लेकर मण्डी प्रशासन को कृषि मण्डी की समस्याओं से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी प्रकार का मण्डी में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। यह जानकारी हमने कृ़षकों से ली है और यदि आगे भी ऐसा चलता रहा तो इसकी शिकायत उच्च स्तर पर की जाएगी तथा कृषक आंदोलन के लिए भी बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
कल्याण सिंह यादव, जिला उपाध्यक्ष भारतीय किसान संघ
जब किसानों द्वारा हमें सूचित किया जाता है कि मण्डी प्रशासन द्वारा निर्धारित आड़त से अधिक आड़त वसूली जा रही है तो हमारे द्वारा कृषकों की ज्यादा ली गई आड़त को वापिस भी कराया है, लेकिन यह आए दिन हो रहा है। इस पर पूर्णता रोक लगनी चाहिए। यदि ऐसा चलता रहा तो आगे की रणनीति भारतीय किसान संघ द्वारा तैयार की जाएगी।
शेखर रावत, अध्यक्ष तहसील शिवपुरी भारतीय किसान संघ
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-राहुल रावत मोबा. 9981828271
शिवपुरी। किसान दिन-रात खून पसीना बहाकर अपनी उपज को पैदा करने के बाद उसे बेचने के लिए जब कृषि उपज मंडी में आता है तो उसकी उपज की खरीद व्यापारी द्वारा तो कर ली जाती है, परंतु उसे बिल के नाम पर एक सादा कागज की पर्ची थमा दी जाती है जिस पर न तो यह अंकित होता है कि यह उपज कितने क्विंटल प्रति में बिकी और न ही आड़त कितनी ली गई और किस व्यापारी को बेची गई है। जिससे कृषक से लेकर प्रशासन को चूना लगाया जा रहा है।
बिना सूचना के बंद हो जाती है मंडी
कृषि उपज मण्डी शिवपुरी में बिना सूचना दिए ही आए दिन मण्डी में ताला लटका दिया जाता है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से अपनी उपज बेचने जब कृषक आता है तो मंडी में ताला लगा देखकर जब मंडी प्रशासन को फोन लगाया जाता है तो वह कृषकों को ताला खोलने का समय दे देते हैं यदि फिर भी मंडी नहीं खुलती है तो परेशान कृषक तहसीलदार से कलेक्टर तक पहुंच जाते हैं फिर यदि मंडी खुल भी गई तो उनकी उपज को औने पौने दामों में खरीदा लिया जाता है जिससे कृषक को दोहरी मार झेलनी पड़ती है और व्यापारी मजे छानते हैं।
व्यापारी और जनप्रतिनिधि आगे, मण्डी प्रशासन पीछे
यूं तो प्रशासन द्वारा मण्डी को संचालित करने के लिए शासकीय मंडी कर्मचारियों को नियुक्त किया है, लेकिन शिवपुरी कृषि उपज मंडी में उल्टी गंगा बह रही है। यहां तो ऐसा लगता है कि मंडी प्रशासन पूरी तरह से सोया हुआ है और मण्डी का संचालन यहां के व्यापारी और जनप्रतिनिधि कर रहे हो। इसकी शिकायत कई बार भारतीय किसान संघ द्वारा कलेक्टर, एसडीएम एवं मंडी सचिव को की जा चुकी है। इसके बाद भी मंडी व्यापारी और जनप्रतिनिधि ही चला रहे हैं।
2 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत आड़त की वसूली
जहां एक ओर कृषकों को अपनी उपज को बेचने के लिए आड़तियों को आड़त के नाम पर दो प्रतिशत आड़त देना होती है, लेकिन इन दिनों कृषकों से दो प्रतिशत आड़त के स्थान पांच प्रतिशत आड़त ली जा रही है जिससे कृषक परेशान है। इसकी शिकायत कई बार कृषक ने मंडी प्रशासन से लेकर प्रशासन तक से की है, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
शिवपुरी मंडी से कृषकों का मोहभंग
कृषि उपज मंडी में लूटखसौट के चलते कृषक अपनी उपज को बेचने के लिए कोलारस, लुकवासा, बदरवास, करैरा एवं अन्य क्षेत्रों में पहुंचने लगे हैं। मण्डी में अलाली एवं भर्राशाही का आलम यह है कि दोपहर 12 बजे बाद तक तो कर्मचारी कार्यालय में ही नहीं आते तथा ऑफिस मेें ताला झूलते रहते हैं। वहीं मण्डी प्रशासन द्वारा मण्डी कर की चोरी कर शासन को भी राजस्व की भारी चपत लगाई जा रही है जिससे शिवपुरी मण्डी की आय में निरंतर गिरावट आ रही है।
इनका कहना है
्रयदि व्यापारी टैक्स चोरी करता है तो उस पर कार्रवाई सेलटैक्स विभाग करेंगे। व्यापारी किसान को सादा पर्ची पर बिल दे रहा है तो यह जिम्मेदारी मेरी नहीं है। किसान को सादा पर्ची की बजाये व्यापारी से पक्का बिल लेना चाहिए और यदि कोई किसान मेरे पास शिकायत लेकर आता है तो मैं उसका निराकरण कराऊंगा।
रियाज खान मण्डी सचिव शिवपुरी
हम कई बार प्रशासन से लेकर मण्डी प्रशासन को कृषि मण्डी की समस्याओं से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी भी प्रकार का मण्डी में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। यह जानकारी हमने कृ़षकों से ली है और यदि आगे भी ऐसा चलता रहा तो इसकी शिकायत उच्च स्तर पर की जाएगी तथा कृषक आंदोलन के लिए भी बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
कल्याण सिंह यादव, जिला उपाध्यक्ष भारतीय किसान संघ
जब किसानों द्वारा हमें सूचित किया जाता है कि मण्डी प्रशासन द्वारा निर्धारित आड़त से अधिक आड़त वसूली जा रही है तो हमारे द्वारा कृषकों की ज्यादा ली गई आड़त को वापिस भी कराया है, लेकिन यह आए दिन हो रहा है। इस पर पूर्णता रोक लगनी चाहिए। यदि ऐसा चलता रहा तो आगे की रणनीति भारतीय किसान संघ द्वारा तैयार की जाएगी।
शेखर रावत, अध्यक्ष तहसील शिवपुरी भारतीय किसान संघ
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