जिसने ग़रीबो मजबूरों को लूटा, तड़फ तड़फ के मरने को मजबूर किया... उनकी भावनाओं को समझे बिना विधायकजी आपने एक पापी को माफ़ कर दिया...!
( उमेश नेक्स की रिर्पोट )
मंदसौर. जो लोग आम जन को नुकसान पहुंचाते है उनके साथ अन्याय और अत्याचार करते है... उनसे बचाने और आम जन के अधिकारों की रक्षा के लिए जनता के प्रतिनिधि हमेशा आमजन के साथ खड़े रहते है... लेकिन हमारे मंदसौर में ऐसा नही होता... यहाँ जनता के साथ कोई लूट खसोट करे या खून चूसे किसी जनता के प्रतिनिधि को इससे कोई फर्क नही पड़ता... फर्क पड़ता है तो इस बात से की इनके गलत होने पर भी कोई इनको गलत न कहे... कोई भ्रष्टाचारी, पापी, इनको गलत न कहे इन पर कोई आरोप न लगाएं... उसके बाद भी वो माफ़ी मांग जाये और फिर से आम जनता को लूट खाये...! ये उसको बड़ा दिल रखते हुए... बहादुरों की पहली निशानी को यूज कर उसे माफ़ कर देते हैं...!*
ऐसा ही कुछ हुआ मंदसौर में! जब जिला अस्पताल का सबसे बड़ा भ्रष्ट निकम्मा और शिवराज सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं पर पलीता लगाने वाला पूर्व सिविल सर्जन चर्चित डॉ.एस.एस.वर्मा के मामले के मामलें में... डेढ़ साल पहले हजारों आम गरीब मजबूर लोगों को प्रताड़ना देनें का रिकार्ड बनाने वाले... भ्रष्टाचार शिरोमणि डॉ वर्मा ने भाजपा विधायक यशपाल सिसोदिया पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था... और विधायक को विवादित बनाओं योजना का शुभ मुहर्त किया था...! डेढ़ साल बाद न जाने कौन सा चमत्कार हुआ या समझौता हुआ... जो अचानक डॉ वर्मा ने विधायक से माफ़ी का एक सावर्जनिक बयान जारी कर दिया... और तत्काल प्रभाव से विधायकजी ने भी इस नरभक्षी और आमजन का खून चूसने वालें को आमजन की भावनाओं के विपरीत उसे माफ़ कर दिया...!
अब समझ में यह नही आता है कि डेढ़ साल पहले विधायक साहब ने जो कुछ डॉ वर्मा के साथ किया था... वो जनहित में डॉ.वर्मा की *लूट खाओ हाथ न आओं योजना* को बन्द करवाने के लिए किया था... आमजन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पर विधायक ने डॉ.वर्मा को ठीक करने का अभियान छेड़ा था... फिर अचानक ये घटनाक्रम हो जाना... डेढ़ साल बाद माफ़ी माँगो और माफ़ी दो अभियान चलाना... क्रांतिकारी रिपोर्टर के तो ठीक किसी की भी समझ में नही आ रहा...? लोग कह रहे है कि जनता का प्रतिनिधि जनता का होता है... वो जो कुछ भी करता है उससे जनता का हित जुड़ा होता है... डॉ. वर्मा ने जो कुछ इतने सालों में किया उससे आमजन का बहुत नुकसान हुआ है... इस लिए उसे माफ़ करने का अधिकारी जनता के पास है... विधायकजी के पास तो उसके गुनाह की सजा देने का अधिकार है... फिर जनता के साथ गुनाह करने वाले को अचानक विधायकजी ने कैसे माफ़ कर दिया... ये सबकी समझ से परे है...! और विधायकजी पर प्रताड़ना का आरोप लगाने से जनता के बीच इस बात से कोई फर्क नही पड़ता है किंतु विधायकजी की माफ़ी से जनता पर बुरा प्रभाव पड़ता है... ये समझने वाली बात है...
चर्चित और अपने नाम के अनुसार सुन्दर लोगों पर मेहरबान रहने वाले विचित्र किस्म के अमानव डॉ. श्याम सुंदर वर्मा को जो लोग नजदीक से समझते है! वे ये भी अच्छी तरह समझते है कि डॉ. वर्मा किसी मेनका से कम नही है... और ये किसी भी विश्वामित्र की तपस्या भंग कर सकते है... और जिसका जीता जागता उदाहरण हम सबके सामने है? *जो जनता को लूट खाये... जनता का प्रतिनिधि उसी से हाथ मिलाये... ये गाँधी वाद का नही गाँधी छाप का प्रतीक है... ये क्रांतिकारी रिपोर्टर की नही, किसी पीड़ित की राय है...!
( उमेश नेक्स की रिर्पोट )
मंदसौर. जो लोग आम जन को नुकसान पहुंचाते है उनके साथ अन्याय और अत्याचार करते है... उनसे बचाने और आम जन के अधिकारों की रक्षा के लिए जनता के प्रतिनिधि हमेशा आमजन के साथ खड़े रहते है... लेकिन हमारे मंदसौर में ऐसा नही होता... यहाँ जनता के साथ कोई लूट खसोट करे या खून चूसे किसी जनता के प्रतिनिधि को इससे कोई फर्क नही पड़ता... फर्क पड़ता है तो इस बात से की इनके गलत होने पर भी कोई इनको गलत न कहे... कोई भ्रष्टाचारी, पापी, इनको गलत न कहे इन पर कोई आरोप न लगाएं... उसके बाद भी वो माफ़ी मांग जाये और फिर से आम जनता को लूट खाये...! ये उसको बड़ा दिल रखते हुए... बहादुरों की पहली निशानी को यूज कर उसे माफ़ कर देते हैं...!*
ऐसा ही कुछ हुआ मंदसौर में! जब जिला अस्पताल का सबसे बड़ा भ्रष्ट निकम्मा और शिवराज सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं पर पलीता लगाने वाला पूर्व सिविल सर्जन चर्चित डॉ.एस.एस.वर्मा के मामले के मामलें में... डेढ़ साल पहले हजारों आम गरीब मजबूर लोगों को प्रताड़ना देनें का रिकार्ड बनाने वाले... भ्रष्टाचार शिरोमणि डॉ वर्मा ने भाजपा विधायक यशपाल सिसोदिया पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था... और विधायक को विवादित बनाओं योजना का शुभ मुहर्त किया था...! डेढ़ साल बाद न जाने कौन सा चमत्कार हुआ या समझौता हुआ... जो अचानक डॉ वर्मा ने विधायक से माफ़ी का एक सावर्जनिक बयान जारी कर दिया... और तत्काल प्रभाव से विधायकजी ने भी इस नरभक्षी और आमजन का खून चूसने वालें को आमजन की भावनाओं के विपरीत उसे माफ़ कर दिया...!
अब समझ में यह नही आता है कि डेढ़ साल पहले विधायक साहब ने जो कुछ डॉ वर्मा के साथ किया था... वो जनहित में डॉ.वर्मा की *लूट खाओ हाथ न आओं योजना* को बन्द करवाने के लिए किया था... आमजन के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पर विधायक ने डॉ.वर्मा को ठीक करने का अभियान छेड़ा था... फिर अचानक ये घटनाक्रम हो जाना... डेढ़ साल बाद माफ़ी माँगो और माफ़ी दो अभियान चलाना... क्रांतिकारी रिपोर्टर के तो ठीक किसी की भी समझ में नही आ रहा...? लोग कह रहे है कि जनता का प्रतिनिधि जनता का होता है... वो जो कुछ भी करता है उससे जनता का हित जुड़ा होता है... डॉ. वर्मा ने जो कुछ इतने सालों में किया उससे आमजन का बहुत नुकसान हुआ है... इस लिए उसे माफ़ करने का अधिकारी जनता के पास है... विधायकजी के पास तो उसके गुनाह की सजा देने का अधिकार है... फिर जनता के साथ गुनाह करने वाले को अचानक विधायकजी ने कैसे माफ़ कर दिया... ये सबकी समझ से परे है...! और विधायकजी पर प्रताड़ना का आरोप लगाने से जनता के बीच इस बात से कोई फर्क नही पड़ता है किंतु विधायकजी की माफ़ी से जनता पर बुरा प्रभाव पड़ता है... ये समझने वाली बात है...
चर्चित और अपने नाम के अनुसार सुन्दर लोगों पर मेहरबान रहने वाले विचित्र किस्म के अमानव डॉ. श्याम सुंदर वर्मा को जो लोग नजदीक से समझते है! वे ये भी अच्छी तरह समझते है कि डॉ. वर्मा किसी मेनका से कम नही है... और ये किसी भी विश्वामित्र की तपस्या भंग कर सकते है... और जिसका जीता जागता उदाहरण हम सबके सामने है? *जो जनता को लूट खाये... जनता का प्रतिनिधि उसी से हाथ मिलाये... ये गाँधी वाद का नही गाँधी छाप का प्रतीक है... ये क्रांतिकारी रिपोर्टर की नही, किसी पीड़ित की राय है...!
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