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भोपाल . चिरायु हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेन्टर भोपाल के मशहूर अस्पतालों में से एक है। अभी उन्होंने बड़े से कॉलेज के साथ साथ बहुत बड़ा सा अस्पताल बैरागढ़ और खजूरी के बीच में बना लिया है जिसमे हज़ारों मरीज़ इलाज के लिए जाते हैं। एक अनुभव मेरा भी है इस अस्पताल से जुड़ा हुआ। मुझे 5 दिसम्बर को छाती में दर्द के कारण से सिहोर के चिकित्सक द्वारा प्राथमिक चिकित्सा के बाद चिरायु अस्पताल ले जाने को कहा। चिरायु लाने के बाद मुझे उन्होंने तुरंत ICU में भर्ती कर लिया और ECG तथा बहुत सारी जांचों के बाद ह्रदय रोग का इलाज शुरू कर दिया।
उसी दिन सब कुछ सामान्य हो गया। 48 घंटे के बाद जब सब कुछ बिल्कुल सामान्य हो गया तब उन्होंने एंजियोग्राफी कराने के लिए दबाव बनाना शुरू किया, अलग अलग डॉक्टरों से डरा डरा कर कि मुझे बहुत खतरा है कुछ् भी हो सकता है आदि आदि, एंजियोग्राफी कराने और एंजियोप्लास्टी के लिए परिजनों को पैसे का इंतज़ाम करने को कहा।
हमारे द्वारा इसके लिए जब सहमति व्यक्त नहीं की गई तो पूरे स्टाफ का रवैया ही बदल गया और जब उन्हें मेरी अस्पताल से छुट्टी कर देने को कहा तो उन्हें अपना कोई "नुकसान" होता दिखा। पुनः डॉक्टरों ने एंजियोग्राफी के लिए मेरे परिजनों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। अंततः जब हमने इसके लिए स्पष्ट मना कर दिया, और छुट्टी देने को 7 तारीख को कहा तब जाकर कहीं 8 तारीख को दोपहर तीन बजे के बाद लिखापढ़ी और सहमति LAMA के बाद कागज़ तैयार करवाकर पैसे जमा करने को कहा।
जब सब कुछ हिसाब हो गया और मुझे अस्पताल से ले जाने पर बात आई तो अचानक उन्होंने मेरे परिजनों से कहा कि आपके पेपर्स की फोटो कॉपी चाहिए और हमारी फोटोकॉपी मशीन ख़राब है, आप बैरागढ़ से करवाकर दे दीजिए और पेशेंट को ले जाइए। यानि अस्पताल में कमाई करने और जांचे करने वाली सारी मशीनें ठीक हैं और बस केवल फोटोकॉपी मशीन ही खराब थी। बहरहाल, वहां से जान छुड़ाने के बाद हम भोपाल मेमोरियल अस्पताल आये और वहाँ सारी रिपोर्ट्स दिखाई, तो उन्होंने एंजियोग्राफी को बिलकुल आवश्यक नही बताया और ECG तथा इको करने के बाद सामान्य रूप से 15 दिन की दवाइयां देकर रवाना कर दिया।
तात्पर्य यह कि राजधानी का एक अस्पताल इस बुरी कदर लूट में लगा हुआ है और कोई देखने वाला नही है। यदि चिरायु का कहना मानकर एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करवा ली जाती तो न केवल हमारे धन का अपव्यय होता बल्कि मेरी जान से अनावश्यक खिलवाड़ भी होता। इस बारे में मेरे परिजनों ने बताया कि चिरायु में अन्य मरीजों के परिजन भी अस्पताल के इलाज और व्यवहार से कोई भी सन्तुष्ट नही थे और अस्पताल की लूट से दुखी थे। यहाँ चल रहा मेडिकल शॉप भी सब्सिट्यूट दवाइयाँ देने और महँगी दवाओं का बिल बना बना कर मरीजों और परिजनों को चूना लगा रहे हैं।
ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, मुझे लगा कि सबसे साझा करना चाहिए ताकि अन्य परिजन या मरीज इस प्रकार के अस्पतालों में जाने के पहले विचार करें।
राजेश पण्डया अधिवक्ता भोपाल नाका
सीहोर 9893164964
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