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लखनऊ। गोवा और पंजाब में चुनाव हो चुके हैं। तीन राज्यों में अभी चुनाव शुरू होने वाले हैं। इनमें यूपी चुनावों पर भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस ने पूरे दम के साथ चुनावी अभियान शुरू कर रखा है। इसमें सबसे खास बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदीलहर के सहारे केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बीजेपी जनता को नहीं लुभा पा रही। सिर्फ ढाई साल में ही मोदी और बीजेपी अपना विश्वास खोते नजर आ रहे हैं। इसका अंदाजा मोदी और अमित शाह की रैलियों को लेकर लगाया जा सकता है।
दरअसल पीएम मोदी ने मेरठ में करीब तीन साल पहले रैली की थी। इसमें लाखों लोग इकट्ठे हुए। उसी मैदान में पीएम ने शनिवार को रैली की। यहां पीएम की रैली में खाली पड़ी कुर्सियों ने जो हालात बयां किए वह भाजपा के लिए बिल्कुल भी शुभ संकेत नजर नहीं आते।
साल 2014 में भाजपा की रैली में महिलाओं और किसानों की संख्या काफी ज्यादा थी जोकि शनिवार को हुई रैली में बहुत कम नजर आई। इसके पीछे मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल चुनावों से पहले की गई नोटबंदी भाजपा को भारी पड़ने के संकेत दे रही है। इस मुद्दे पर सरकार ने कालाधन वापस लाने का वायदा किया था जबकि कालेधन के नाम पर कुछ नहीं मिला बल्कि जीडीपी में करीब एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
लोकसभा चुनावों के वक्त भाजपा द्वारा अच्छे दिन का वायदा और हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वायदा भी भाजपा को उल्टा पड़ रहा है। यही कारण है कि शुक्रवार को अमित शाह की बुलंदशहर की रैली में 10 हजार लोग भी नहीं पहुंचे और कुर्सियां भी खाली पड़ी रहीं। इसके बाद उनकी मेरठ में पदयात्रा प्रस्तावित थी। यहां एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इसी का हवाला देते हुए यह पदयात्रा टाल दी गई। जबकि वहां से ग्राउंड रिपोर्ट खंगाली गई तो पता चला कि शाह के साथ पदयात्रा में शामिल होने के लिए लोग ही नहीं थे। ऐसे में इस पदयात्रा को रद्द करने में ही भाजपा अध्यक्ष ने भलाई समझी।
इसके एक दिन बाद ही पीएम ने रैली की। इसमें भी लोग नहीं पहुंचे। वहीं लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए कि जिस व्यक्ति की हत्या के चलते शाह की पदयात्रा टाली गई थी क्या उसके परिजनों को एक दिन में ही इंसाफ मिल गया। वहीं यह भी सवाल खड़ा हुआ कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए केंद्र सरकार ने एक सांसद की मृत्यु हो जाने पर भी बजट नहीं टाला वह एक व्यक्ति की हत्या पर इतनी संवेदनशील कैसे हो गई कि शाह ने अपनी पदयात्रा रद कर दी। ऐसे में ये सभी मामले बीजेपी के लिए यूपी विधानसभा चुनावों में काफी डराने वाले हैं।
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