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धर्म डेस्क। हमारे हिंदू धर्म में बहुत सारी मांयताए और परंपराए है जिन पर हम हिंदू लोग आज भी चलते है या ये कहे इन मान्यताओं और परंपराओं को निभाते है। आप सब ये तो जानते ही है कि ब्राह्मण लोग प्याज और लहसुन नहीं खाते है। लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा क्या है जिसकी वजह से ब्राह्मण प्याज और लहसुन नहीं खाते है।
ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ लोग प्याज और लहसुन का धार्मिक मान्यता के कारण नहीं खाते है, तो कुछ इसके पीछे वैज्ञानिक कारण बताते हैं। चलिये आज हम आपको बताते है कि ब्राह्मण या अन्य लोग प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते है। ब्राह्मण प्याज और लहसुन का सेवन धार्मिक मान्यता के चलते नहीं करते है, तो कुछ इसके पीछे वैज्ञानिक कारण बताते हैं। चलिये आज इस बात से जुड़े सभी पहलुओं को जानने और समझने की कोशिश करते हैं।
खाद्य वर्गीकरण- आयुर्वेद के मुताबिक खाद्य पदार्थों को तीन भागों में बांटा जाता है- सात्विक, राजसिक और तामसिक । दरअसल मानसिक स्थितियां है जिन्हें निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है।
सत्वा : शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण राजस : जुनून और खुशी जैसे गुण तामस : क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण
अहिंसा के कारण- प्याज और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में बांटा गया है। इसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता को बढ़ाता है। अहिंसा – हिंदू धर्म में, हत्या (रोगाणुओं की भी) मना है। तो जमीन भोजन में सफाई की जरूरत है, जो सूक्ष्मजीवों की मौत का कारण बन जाती है। इसलिए एक कारण ये है जिसकी वजह से ब्राह्मण प्याज़ और लहसुन नहीं खाते है।
अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं- शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों को नहीं खाने चाहिए क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जो कि प्रकृति में सात्विक यानि शुद्ध होते हैं।
सनातन धर्म के अनुसार- सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता में वृद्धि करती हैं, जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस वजह से भी ब्राह्मण इनका सेवन नहीं करते है।
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