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भोपाल । इस प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल के दौरान जो कुछ हो जाए वह कहा नहीं जा सकता हालांकि इस प्रदेश में प्रशासनिक तंत्र के संरक्षण और उनकी लापरवाही के चलते सैंकड़ों चिटफंड कंपनियां लोगों की मेहनत की कमाई के करोड़ों रुपये लेकर रफूचक्कर हो गईं तो कहीं बेरोजगारों को रोजगार का झांसा दिखाकर कई कंपनियां बेरोजगारों के साथ धोखाधड़ी कर रातों रात अपने शटर बंद कर गायब हो गईं, शायद यही वजह है कि इस राज्य में कोई न कोई संस्था ऐसी आयेदिन जन्म लेती नजर आती है जो कभी बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का झांसा देकर अपने जाल में फंसाकर उनका शोषण करती है, ऐसी फर्जी संस्थाओं का चालू और बंद होना इस राज्य में बदस्तूर जारी है,
लेकिन हाल ही में राजधानी में मनरेगा शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति का झांसा देने वाली एक कंपनी का पर्दाफाश कलेक्टर निशांत बरवड़े की सूझबूझ के चलते उजागर हुआ इससे यह साफ जाहिर होता है कि इस प्रदेश में इस तरह की बेरोजगारों को झांसा देकर उन्हें अपने जाल में फंसाने का गोरखधंधा करने में लगी हुई हैं, लेकिन प्रशासन में बैठे अधिकारियों की नजर इस तरह की संस्थाओं पर क्यों नहीं पड़ती यह भी एक सवाल खड़ा होता है, लेकिन राजधानी में मनरेगा शिक्षक, शिक्षिकाओं सहित कई अन्य पदों के लिए विज्ञापन जारी कर फर्जी नियुक्ति देने के मामले में गत दिवस जिला प्रशासन की टीम ने जांच कर मामले का भंडाफोड़ कर दिया है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर निशांत बरवड़े के निर्देश पर टीटी नगर एसडीएम अतुल सिंह के नेतृत्व में तहसीलदार भुवन गुप्ता और मनरेगा प्रभारी आशीष सक्सेना ने जांच पड़ताल में जहां फर्जी नौकरी देने का खुलासा किया, वहीं दूसरी ओर विज्ञापन जारी करने वाली इस संस्था का रजिस्टर्ड नहीं होना भी पाया गया। जांच के बाद पुलिस की मदद से तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कराकर मजदूर कल्याण संगठन के संचालक पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। मनरेगा मजदूर कल्याण संगठन के नाम से मनरेगा शिक्षक, शिक्षिका सहित कई पदों के लिए २९ जनवरी को जारी किये गए एक विज्ञापन को देखने के बाद संदेह के घेरे में आने पर कलेक्टर निशांत बरवड़े ने गत दिवस ई-२ अरेरा कालोनी स्थित मकान नं. ७४ पर एसडीएम अतुल सिंह के नेतृत्व में जांच के निर्देश दिये थे। जांच के अंतर्गत एसडीएम ने एक कर्मचारी को नौकरी के लिए आवेदन प्राप्त करने संगठन कार्यालय भेजा।
कर्मचारी द्वारा संगठन कार्यालय पहुंचकर जब आवेदन भरने वह फार्म मांगा तो वहां बैठे कर्मचारी द्वारा संगठन कार्यालय पहुंचकर जब आवेद न भरने वह फार्म मांगा तो वहां बैठे कर्मचारी ने कहा कि १५० रुपए में फार्म मिलेगा, लेकिन इसे यहीं भरकर जमा करना होगा। शासकीय कर्मी ने जब रसीद मांगी तो उसे नहीं दिया गया। शासकी य कर्मचारी ने पूरे मामले की जानकारी अतुल सिंह को देने के बाद एसडीएम मनरेगा प्रभारी हबीबगंज थाने से पुलिस लेकर तत्काल पहुंचे। वहां देखा नजारा यह देखा कि विदिशा, सागर व शहडोल सहित कई जिलों के लड़के लम्बी लाइन में लगे हैं। मौके पर जब टीम ने प्रारंभिक जांच की तो फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ गया।
इधर मनरेगा, प्रभरी आशीष सक्सेना द्वारा जांच की गई प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर हबीबगंज थाना प्रभारी ने संगठन कार्यालय में काम कर रहे लखनऊ के तीन कर्मचारियों को धारा ४२० और १२० बी के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं देर शाम तक संगठन संचालक संजय राव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। सवाल यह उठता है कि यदि कलेक्टर निशांत बरवड़े की नजर इस कंपनी के द्वारा विज्ञापन नहीं जाती तो राज्य में अभी तक सक्रिय रहीं अन्य कंपनियों की तरह ही यह संस्था भी बेरोजगार लोगों को रोजगार का झांसा देकर रफूचक्कर हो जाती, यदि इसी तरह से प्रशासन सचेत रहा तो इस तरह की कंपनियां लोगों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर पाएंगी।
(हिन्द न्यूज सर्विस)
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