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नीमच - म.प्र. तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा कि आज अध्यापक मुंडन आंदोलन में बहन शिल्पी सिवान सहित कई भाई बहनों ने अपनी मांगों के समर्थन में केश कटवाकर कर्मचारी आंदोलन का इतिहास रच दिया। यह आंदोलन मील का पत्थर साबित होगा। चाणक्य ने नंद वंश के सर्वनाश के लिए कसम खा कर अपनी चोटी में गांठ बांध कर कसम परी होने पर गांठ खोली थी ।
शिल्पी सिवान की चेतावनी के बाद भी म.प्र. सरकार ने हल्के में लेकर अध्यापक मुंडन आंदोलन को अनदेखा किया। आखिर शिल्पी सिवान ने अपने साथियों के साथ मुंडन करवा कर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सरकार के तमाम दावों की पोल खोल दी जिसमें सरकार कहती है कि हमने इन्हे बहुत कुछ दिया है। सरकार को समझना होगा कि तीन बार आपको सत्ताधारी करने में इस वर्ग ने महती भूमिका अदा की है।
यह उपेक्षा की पराकाष्ठा है इस गूंज की अनुगूंज सत्ताधारी दल के लिए चुनावी वर्ष में नुकसानदेह हो सकती है ! दमन की राजनीति म.प्र. में बर्दाश्त नहीं होगी । समय रहते इनकी न्यायोचित मांगों को पूरा करना चाहिए । शिक्षक संवर्ग को डाइंग केडर घोषित करने वाला आदेश अपास्त कर वहीं से इस संवर्ग को शिक्षा विभाग में संविलियन कर पांचवे,छटवें एवं सातवें वेतनमान का लाभ राज्य कर्मचारियों के समान सेवाशर्तो के साथ देना समय की पुकार है, इसके लिए बहुमत आपके पास है विधानसभा में विधेयक लाकर इसका निराकरण करें।
अब तक इस संवर्ग के शोषण से बची राशि के ब्याज से ज्यादा खर्च सरकार पर नहीं आने वाला है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं संविधान का सम्मान करते हुए समान कार्य का समान वेतन देकर इस वर्ग के साथ न्याय किया जाए। माननीयों के वेतन भत्तो एवं कर्मचारियों के वेतन भत्तो में बढोतरी के समय प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अंतर क्यों आ जाता है,यह शोध का विषय हो सकता है!
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