नई दिल्लीः देश की राजधानी में मंगलवार को एक दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में 23 देशों के 140 से ज्यादा सांसद शामिल हुए।
उद्घाटन अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न सिर्फ भारतीय नागरिकों, बल्कि प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर चैबीसों घंटे नजर रखती हैं। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने कौंसुलर शिकायतों की वास्तविक समय में निगरानी और रिसपॉन्स के लिए “मदद” पोर्टल की व्यवस्था खड़ी की है।
मोदी ने कहा कि मैं जब भी किसी देश की यात्रा करता हूँ, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से मिलूं। मेरे इस एफर्ट का सबसे बड़ा कारण है कि मैं मानता हूं कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई परमानेंट एंबेसेडर हैं तो वो भारतीय मूल के लोग हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में दोगुनी तेजी से नई रेलवे लाईन बिछ रही है। आज देश बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है। जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन के बदलाव का परिणाम आपको हर सेक्टर में नजर आएगा।
मोदी ने कहा, मैं देख रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक मिनी वर्ल्ड पार्लियामेंट मेरे सामने उपस्थित है। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट रह चुके हैं।
प्रवासी भारतीय ने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए।
पीएम मोदी ने कहा, आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं। वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर बहुत खुश होंगे। सैकड़ों वर्षों के कालखंड में भारत से जो भी लोग बाहर गए, भारत उनके मन से कभी बाहर नहीं निकला।
इससे पहले विदेश मंत्री स्वराज ने कहा कि साल 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जा रहा है लेकिन कभी भी ऐसा आयोजन नहीं किया गया जिसमें केवल भारतीय मूल के जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया हो।
दरअसल, महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से साल 1915 में स्वदेश वापस लौटे थे। महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है जिन्होंने न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया बल्कि भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।
विदेश मंत्रालय की मेजबानी में पहली बार हो रहे भारतवंशी सांसदों के इस सम्मेलन के लिए सबसे ज्यादा नुमाइंदे गयाना, फिजी, सूरीनाम, मॉरिशस जैसे गिरमिटिया मुल्कों से आए हैं। सबसे बड़ा दल गयाना का है जहां से 20 सांसद और तीन मेयर भाग ले रहे हैं। त्रिनिदाद और टोबेगो के 16 सांसद और चार मेयर शामिल है। ब्रिटेन की संसद में भारतीय मूल के सभी 15 सांसद और एक मेयर कार्यक्रम में शरीक हो रहे हैं।
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