मध्यप्रदेश में 60 लाख फर्जी मतदाता, सबूतों के साथ चुनाव आयोग पहुंची कांग्रेस |
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सत्तारूढ़ और विपक्षी दल चुनाव जीतने की कवायद शुरू | उसमें लोक लोकलुभावन वादों से लेकर कुटिलता तक सब शामिल होता है| कहा जाता है कि चुनाव आयोग निष्पक्षता से चुनाव संपन्न करवाता है तथा राजनीतिक दल की कुटिलता को लोकतंत्र पर हावी नहीं होने देता, परंतु अब चुनाव आयोग ने ही मध्यप्रदेश में 60 लाख फर्जी वोटर होने की बात कहकर सूची जारी की है|
दरअसल, मतदाता सूची में एक व्यक्ति का फोटो दर्जनों वोटर आईडी पर लगा है तो दूसरी ओर एक ही नंबर से कई वोटर आईडी तैयार किए गए हैं| बात यहीं नहीं थमी| ये मतदाता दूसरे मतदान केंद्रों पर भी कई मतदाताओं के रूप में पंजीकृत हैं और आलम ये हैं कि पुरुषों के वोटर आईडी कार्ड पर फोटो महिला की लगी है| कांग्रेस ने इस तरह के 60 लाख फर्जी वोट आईडी तैयार करवाने का आरोप लगाया है|
भोजपुर विधानसभा के मतदाता केंद्र 245 में मतदाता कार्ड नंबर आईजेपी 3297140 वाले देवचंद इसी बूथ पर आईजेपी 3297249 से मुकेश कुमार हो गए| बूथ नंबर 270 में यही तस्वीर तीन अलग-अलग नामों से है| पोलिंग बूथ नंबर 272 पर दो नाम से बूथ नंबर 273 में चार नाम से तो 275 में दो नाम से 276 में भीमसेन नाम से तो बूथ नंबर 280 में तीन अलग-अलग नामों से वोटर आईडी हैं| इस तरह की सूची एक या दो नहीं कई मतदान केंद्रों पर है|
कांग्रेस का आरोप है कि इन दस्तावेजों का पुलिंदा वो दिल्ली लेकर जाएंगे क्योंकि प्रदेश में ऐसे 1-2 नहीं बल्कि 60 लाख फर्जी वोटर हैं जिसे सराकर ने प्रशासन की मदद से तैयार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा, ‘एक फोटो है, 40 लोग मतदान कर रहे हैं, उसमें भी पुरूष हैं, महिला भी। पूरे मध्यप्रदेश में हुआ है, हमें जो जानकारी है उसमें 60 लाख फर्जी वोट तैयार किये गये हैं, सारे कलेक्टरों का उपयोग किया गया है। उनको माध्यम बनाया है बीजेपी सरकार ने।
बीजेपी भी कह रही है ऐसी लिस्ट की जांच हो और खामियां दूर की जाएं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, ‘वोटर लिस्ट में गलती है तो उसका निराकरण हो लेकिन कहा जाता है कि वोटर लिस्ट ब्रेक नहीं हो सकता ये भी जांच का विषय है। इसमें सरकार या सरकारी अमले का लेना देना नहीं है, चुनाव आयोग को जांच करनी चाहिये।’
ऐसी लिस्ट सिर्फ एक विधानसभा नहीं बल्कि कई विधानसभा क्षेत्रों में मिली। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने कहा, ‘कुछ तस्वीरें पूर्व वर्षों से हैं, शायद अमले ने जब मतदाता पत्र में तस्वीर लगाने का काम किया तब उनके पास जो तस्वीर नहीं थीं, वहां एक जैसी तस्वीर चिपका दी। मुद्दा ये है ये नहीं होना चाहिये। हम लोग सूची निकाल रहे हैं, प्रयास कर रहे हैं कि हर जिले से वो चेहरे हटा सकें। पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम बीएलओ है, कलेक्टर सुपरवाइज करेंगे ये फोटो कटेंगी।
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