देश में एक और बाबा ने पूरे संत समाज को बदनाम कर दिया है। इस बार मामला शनिधाम के संस्थापक का है जो दाती महाराज के नाम से मशहूर है। दाती महाराज के लाखों अनुयायी हैं जो शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए इनके पास आते हैं। शिष्या के शोषण में फंसा दाती महाराज कभी राजस्थान का मदन हुआ करता था। आखिर कैसे वो एक गांव से निकलकर शनिधाम का संस्थापक बन गया। आइए जानें पूरी कहानी।
राजस्थान में जन्मा है दाती महाराज
खबर के मुताबिक दाती महाराज का असली नाम मदन है। उसका जन्म राजस्थान में जुलाई 1950 में हुआ था। मदन पाली के अलावास गांव में देवाराम के यहां जन्मा था। मदन यानि दाती महाराज का पिता ढोलक बजाकर अपना परिवार पाला करता था। वहीं दाती की मां तो उसके जन्म के कुछ समय बाद ही मर गई थी।
पिता की मौत के बाद आया दिल्ली, शुरू किया चाय के ठेले पर काम
मदन जब सात साल का था, तब उसके पिता देवाराम की मौत हो गयी। इसके बाद खाने-पीने का ठिकाना न होने की वजह से मदन गांव के एक आदमी के साथ दिल्ली आ गया। यहां पर मदन ने चाय के ठेले पर बर्तन धोने, चाय बनाने से लेकर सारे काम किये। जैसे तैसे दिल्ली में मदन ने पेट भरने का जुगाड़ करना सीख लिया लेकिन आगे बढ़ने की तमन्ना हमेशा दिल में रखी।
कैटरिंग के काम ने पलट दी किस्मत
मदन ने चाय की दुकान पर काम करते-करते ही कैटरिंग का काम भी सीख लिया। यहीं से उसकी किस्मत पलट गयी। मदन छोटी पार्टी और बर्थडे की कैटरिंग करने लगा। वो साल 1996 था। जब इसी काम के दौरान उसकी मुलाकात राजस्थान के एक ज्योतिषी से हुई। आगे बढ़ने की ललक रखने वाले मदन ने उस ज्योतिष से जन्म कुंडली देखना भी सीखी लिया और थोड़ी बहुत गणना जानने लगा।
कुंडली के व्यापार में दिखा फायदा तो बंद कर दी कैटरिंग
तरक्की की राह देख रहे मदन को ज्योतिष में फायदा और तरक्की नजर आई तो उसने कैटरिंग से जमा पैसों से कैलाश कॉलोनी में कुंडली देखने का केन्द्र खोल लिया। इसके बाद मदन ने कैटरिंग का काम बंद कर दिया और ज्योतिष केन्द्र में लोगों की कुंडलियां बांचने लगा। अंधविश्वास की वजह से उसका धंधा चल निकला और बस यहीं से मदन बन गया दाती महाराज।
एक नेता का भविष्य बताया और सच हो गई बात
मदन यानि दाती महाराज किस्मत का धनी था। बात 1998 की है, दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे। इस बीच एक नेता उसके केन्द्र में अपनी जन्म पत्री दिखाने आया तो दाती महाराज ने एलान कर दिया कि ये चुनाव जीत जाएगा। किस्मत से वो नेता चुनाव जीत भी गया और विधायक बन गया। नेता ने खुश होकर अपना पुश्तैनी मंदिर जो फतेहपुर बेरी में था, उसको दाती के नाम कर दिया।
सटीक भविष्यवाणियों ने बना दिया हीरो
थोड़ा बहुत कुंडली देखने का ज्ञान रखने वाले दाती महाराज का किस्मत ने खूब साथ दिया। शनि मंदिर में बैठकर लोगों का भविष्य बताने वाले दाती की भविष्यवाणियां सच निकलने लगीं तो लोगों का उस पर भरोसा भी होने लगा। दाती महाराज की ख्याति फैली जब टीवी चैनलों में भी उसको शनि के बड़े उपासक के रूप में दिखाया जाने लगा। दाती ने मंदिर के आसपास की जमीनों पर भी कब्जा कर लिया।
2010 में मिल गयी महामंडलेश्वर की उपाधि
दाती महाराज की ख्याति इतनी फैल गयी कि 2010 में जब हरिद्वार में महाकुंभ हुआ तो उसको महा मंडलेश्वर की उपाधि दे दी गयी। इसके बाद दाती ने मंदिर को सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीशवर नाम दे दिया। उसने अपना नाम भी श्री श्री 1008 महामंडलेशवर परमहंस दाती जी महाराज रख लिया। टीवी चैनल पर शनि शत्रु नहीं मित्र है नामकर प्रोग्राम से पूरे देश में उसका नाम हो गया।
कैसे खुली दाती महाराज बने मदन की पोल
कहते हैं कि पाप का घड़ा भरता है। यही हुआ दाती के साथ जब उसके कुकर्मों का काल चिट्ठा दुनिया के सामने आ गया। दाती की 25 साल की शिष्या ने उसकी सच्चाई लोगों के सामने लाई। उसने बताया कि नौ जनवरी, 2016 को उसको दाती महाराज के पास ले जाया गया। इसके बाद दाती, उसके शिष्य अर्जुन, अशोक व नीमा जोशी ने उसके साथ अलग-अलग दुष्कर्म किया। दाती के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है...
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