जंजाल न बन जाए यह तकनीक का जाल
अधिकारियों ने जाने सायबर क्राइम से बचने के उपाय
Present by : toc news internet channal
हरदा // जितेन्द्र अग्रवाल : 80851 99183
हरदा 18 मार्च/ तकनीक ने हमारी जिंदगी को नई रफ्तार दी है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन जरूरत से ज्यादा तकनीक पर हमारी निर्भरता से जिंदगी तेज होने के साथ साथ असुरक्षित भी हो गई है। तकनीक का दुरुपयोग कर इस तरह अब तक कई वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है। साफ है कि जिंदगी को आसान बनाने वाली तकनीक ही अब सुकून में खलल डाल रही है। जहाँ एक ओर तकनीक का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ करता है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते अपराधों के पीछे भी तकनीक का ही हाथ है। आज के समय में लूट, चोरी, धोखाधड़ी जैसी शायद ही कोई घटना हो जिसमें तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हो। तकनीक की अति हमारे लिए किस तरह घातक साबित हो सकती है? इससे क्या परेशानियाँ हो सकती हैं और इसके दुरुपयोग से कैसे बचा जा सकता है? कंप्यूटर वायरस, अकाउंट हैग और हैगिंग के प्रति अवेयर करने के उद्देश्य से स्थानीय पालीटेक्निक जिले के अधिकारियों ने सायबर क्राईम तथा सुरक्षा वर्कशॉप में उपरोक्त बाते के अलावा बहुत सी बातंे सीखी और सायबर क्राइम से बचने के उपाय जाने। कलेक्टर डॉ. सुदाम खाडे भी यहां मौजूद थे। एक्सपर्ट्स पैनल में इंदौर के श्री नवनीत चौधरी तथा खरगौन के श्री जी.के. शर्मा ने अधिकारियों को कम्प्यूटर नेट, फेसबुक, ट्विटर, मेल आदि पर होने वाले क्राइम की भी जानकारी दी।
तकनीक ही सायबर क्राइम का आधार
विशेषज्ञों ने बताया कि हर तकनीक की कोई न कोई कमजोरी होती है और इसी का फायदा उठाकर बिगड़ी मानसिकता के लोग अपराध करते हैं, क्योंकि उनका शोध आम आदमी से ज्यादा मजबूत होता है। इनसे बचने के लिए नवीनतम तकनीक पर आधारित एंटीवायरस का उपयोग किया जाना चाहिए। वायरस, हैकिंग और अन्य किस्म के सायबर क्राइम से बचने के लिए कम्प्यूटर ऑन करने से लेकर हर स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। साइबर क्राइम का दायरा दिनों दिन बढ़ता चला जा रहा है। ऐसा कोई भी इलेक्ट्रोनिक यंत्र जो किसी सूचना को अपने में समेटता है और इस सूचना का उपयोग अवैधानिक तरीके से किया जाता है। वह सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिये बनाए गए आईटी एक्ट के दायरे में आता है। एक्ट के साथ सायबर क्षेत्र की गूढ़ जानकारी ही सायबर क्राइम पर नियंत्रण लगा सकती है। आमंत्रित विशेषज्ञों ने सायबर क्राइम की प्रकृति तथा उसके नियंत्रण के तरीकों पर बहुमूल्य जानकारी कार्यशाला में उपस्थित लोगों को दी। उन्होंने सायबर क्राइम के रोज बदलते चरित्र पर बेहतर नियंत्रण और इसकी रोकथाम के बारे में भी बताया।
खुलासे में जोखिम
सायबर दुनिया के जानकारों के मुताबिक इंटरनेट पर लुभावने आफर्स व गेम के जरिए जालसाज कंपनियां बैंक एकाउंट व पैन कार्ड नंबर, मोबाइल समेत अन्य डिटेल लोगों से उगलवा लेती हैं। जाने-अनजाने दी गई यह जानकारी ही उन पर भारी पड़ती है। खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट के बढ़ते चलने के बाद से प्रवृत्ति बढ़ी है। नतीजतन, बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर कर लेने, ईमेल एकाउंट हैक करने जैसी वारदातें हो रही है।
तकलीफ से बचने के नुस्खे अपनाएँ
गोपनीय दस्तावेज बनाते समय इंटरनेट का कनेक्शन पूरी तरह हटा दें। इंटरनेट कनेक्ट होने पर दस्तावेज चोरी हो सकता है। इंटरनेट कनेक्ट करने से पहले कम्प्यूटर पर मौजूद जरूरी दस्तावेजों को पूर तरह सुरक्षित कर लें । सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अनजान लोगों के संपर्क में आने से बचें ।इंटरनेट बैंकिंग और अन्य लेन-देन में सावधानी रखें । इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ी सावधानियों की जानकारी अधिकारियों से लें और अच्छी तरह समझ लेने के बाद ही काम शुरू करें। कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए नवीनतम और अपडेट एंटीवायरस का उपयोग करें ।
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