उचित योग्यता के अभाव की वजह से देश में खबरों की गुणवत्ता प्रभावित होने की बात कहते हुए भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) मार्कण्डेय काटजू ने पत्रकार बनने के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित की है।
पीसीआई के सदस्य श्रवण गर्ग और राजीव सबादे के अलावा पुणे विश्वविद्यालय के संचार एवं पत्रकारिता विभाग की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वला बर्वे को समिति में शामिल किया गया है।
पीसीआई अध्यक्ष ने यहां जारी एक बयान में कहा कि पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता के पेशे में आने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए।
काटजू ने कहा, ‘वकालत के पेशे में एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी होता है। इसी तरह, मेडिकल पेशे में एमबीबीएस होना जरूरी योग्यता है और साथ में मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी कराना होता है।’
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए भी शैक्षणिक प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र या डिग्री जरूरी होती है। बाकी पेशे में भी कुछ ऐसा ही होता है लेकिन पत्रकारिता के पेशे में प्रवेश के लिए कोई योग्यता तय नहीं है।
काटजू ने कहा, ‘लिहाजा, इस पेशे में अक्सर ऐसे लोग चले आते हैं जिन्हें पत्रकारिता में बहुत कम या अपर्याप्त प्रशिक्षण मिला है। इससे नकारात्मक असर होता है क्योंकि ऐसे अप्रशिक्षित लोग प्राय: पत्रकारिता के उच्च मानदंडों को बरकरार नहीं रखते।’
उन्होंने कहा कि इसलिए पिछले कुछ समय से महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता में पेशे में आने के लिए कानूनी तौर पर कोई योग्यता निर्धारित हो। काटजू ने कहा कि लोगों की जिंदगी पर मीडिया का बहुत अहम प्रभाव होता है और अब वक्त आ गया है कि जब कानून में कोई योग्यता तय हो ।
पीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि उनकी ओर से गठित समिति सभी पहलुओं पर विचार करेगी और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी। काटजू ने कहा, ‘रिपोर्ट मिलने पर मैं उसे पूरी प्रेस परिषद के सामने रखूंगा और मंजूरी मिलने के बाद इसे सरकार के पास भेजूंगा ताकि इस बाबत उचित कानून बने।’
उन्होंने कहा कि केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों तथा पत्रकारिता विभागों और संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे समिति को पूरा सहयोग करें।
पीसीआई के सदस्य श्रवण गर्ग और राजीव सबादे के अलावा पुणे विश्वविद्यालय के संचार एवं पत्रकारिता विभाग की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. उज्ज्वला बर्वे को समिति में शामिल किया गया है।
पीसीआई अध्यक्ष ने यहां जारी एक बयान में कहा कि पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता के पेशे में आने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यता तय होनी चाहिए।
काटजू ने कहा, ‘वकालत के पेशे में एलएलबी की डिग्री के साथ बार काउंसिल में पंजीकरण जरूरी होता है। इसी तरह, मेडिकल पेशे में एमबीबीएस होना जरूरी योग्यता है और साथ में मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण भी कराना होता है।’
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए भी शैक्षणिक प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र या डिग्री जरूरी होती है। बाकी पेशे में भी कुछ ऐसा ही होता है लेकिन पत्रकारिता के पेशे में प्रवेश के लिए कोई योग्यता तय नहीं है।
काटजू ने कहा, ‘लिहाजा, इस पेशे में अक्सर ऐसे लोग चले आते हैं जिन्हें पत्रकारिता में बहुत कम या अपर्याप्त प्रशिक्षण मिला है। इससे नकारात्मक असर होता है क्योंकि ऐसे अप्रशिक्षित लोग प्राय: पत्रकारिता के उच्च मानदंडों को बरकरार नहीं रखते।’
उन्होंने कहा कि इसलिए पिछले कुछ समय से महसूस किया जा रहा था कि पत्रकारिता में पेशे में आने के लिए कानूनी तौर पर कोई योग्यता निर्धारित हो। काटजू ने कहा कि लोगों की जिंदगी पर मीडिया का बहुत अहम प्रभाव होता है और अब वक्त आ गया है कि जब कानून में कोई योग्यता तय हो ।
पीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि उनकी ओर से गठित समिति सभी पहलुओं पर विचार करेगी और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी। काटजू ने कहा, ‘रिपोर्ट मिलने पर मैं उसे पूरी प्रेस परिषद के सामने रखूंगा और मंजूरी मिलने के बाद इसे सरकार के पास भेजूंगा ताकि इस बाबत उचित कानून बने।’
उन्होंने कहा कि केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों तथा पत्रकारिता विभागों और संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे समिति को पूरा सहयोग करें।
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