एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अब कोई बताये कि सरकार को जब यह गोरखधंधा दो साल पहले से मालूम था तब कार्रवाई कोबरा आपरेशन के बाद ही शुरु क्यों की जा रही है? सरकार किसे बचा रही थी? कालाधन जमा करने के लिए स्विस बैंक भारत में मौजूद, इसीलिए सरकारी बैंकों का सफाया! भारत के 3 बड़े बैंक एचडीएफसी, आईसीआईसीआई तथा एक्सिस बैंक ने खरबों रूपयों की काली कमाई को सफेद बनाने का धंधा कर भारी मुनाफा कमाया है। इसके लिए उक्त बैंकों ने फेरा कानून, विदेशी मुद्रा अधिनियम, रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के नियम-कानूनों की अनदेखी कर माफिया की तरह ब्लैकमनी के सफेद मनी में परिवर्तित करने का कार्य कर राष्ट्रद्रोह का काम किया है।
बैंकिंग क्षेत्र में उदारीकरण का कुल मकसद अबाध पूंजी प्रवाह के नाम कालेधन की व्यवस्था कायम करना है। कारपोरेट घरानों और पूंजीपतियों को, यहां तक कि चिट फंड को भी बैंकिंग लाइसेंस देने के पीछे पूंजी पर एकाधिकारवादी वर्चस्व कायम करने के साथ देश की बैंकिंग प्रणाली में ही कालाधन को सफेद बनाने का खेल है। स्विस बैंक खातों को लेकर बवाल विदेशी मीडिया की खबरों से होता है, देश के अंदर स्विस बैंक हो तो हमेशा के लिए यह सरदर्द खत्म। खबर हुई और हंगामा बरपा तो मामला रफा दफा करने के तौर तरीके सत्तावर्ग को खूब मालूम है। अगर कोबरा पोस्ट के स्टिंग आपरेशन में तथ्य नहीं होते तो इतनी खलबली मची न होती और न आईआईसीआई बैंक के अठारह कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जाता। मनी लांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोपों के बीच निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक हरकत में आए हैं और उन्होंने अपने स्तर पर आरोपों की जांच शुरू कर दी।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने काले धन की हेराफेरी में शामिल 3 निजी बैंकों की जांच शुरू कर दी है। लेकिन, 2 साल पहले ही एक गोपनीय जांच में सरकार के सामने ये सच्चाई आ गई थी। लेकिन तब इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब कोई बताये कि सरकार को जब यह गोरखधंधा दो साल पहले से मालूम था तब कार्रवाई कोबरा आपरेशन के बाद ही शुरु क्यों की जा रही है? सरकार किसे बचा रही थी? कोबरा पोस्ट के अनिरूद्ध बहल और उनकी टीम ने महीनों स्ट्रिंग ऑपरेशन कर उनके वीडियो तैयार किए हैं, जिनमें यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इसी तरह का एक सनसनीखेज खुलासा अरविंद केजरीवाल भी कर चुके हैं। उसमें रिलायंस समूह के शामिल होने तथा अन्य कारणों से केन्द्र सरकार ने चुप्पी साध रखी थी। अरविंद केजरीवाल ने आयकर विभाग के अधिकारियों की जांच के बाद निष्कर्ष के आधार पर पुख्ता आरोप लगाए थे। अब इस मामलों का स्टिंग ऑपरेशन होने से निजी बैंकों और सरकार को जवाब देना मुश्किल होगा कालाधन पर केजरीवाल का खुलासा याद है? इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अरिंवद केजरीवाल आज विदेशों में कालेधन पर खुलासा कर रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि स्विस बैंकों में कितना कालाधन जमा है, इस पर काफी कयास लगाए गए। स्विस बैंक में 700 लोगों 6000 करोड़ जमा हैं। केजरीवाल ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि स्विस बैंक में भारत का लाखों करोड़ रुपए काला धन है और इसकी जानकारी एक केंद्रीय मंत्री ने उन्हें एसएमएस करके दी है। केजरीवाल ने खुलासे में कई नामीगिरामी लोगों के नाम लिए, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी, उनके छोटे भाई अनिल अंबानी, जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल और उन्नाव से कांग्रेस सांसद अनु टंडन का नाम शामिल है। उन्होंने कहा कि सीबीआई के मौजूदा निदेशक ने कहा है कि 25 लाख करोड़ रुपये स्विस बैंकों में जमा हैं। केजरीवाल ने प्रणब मुखर्जी पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि लिस्ट जारी होने के बाद उस समय वित्त मंत्री रहे मुखर्जी से मुकेश अंबानी से मुलाकात करके मामला रफा दफा कर दिया। इसके अलावा अनिल अंबानी और नरेश गोयल के यहां भी आयकर विभाग ने छापा नहीं मारा। उन्होंने कहा कि डाबर और बिड़ला के यहां भी छापा पडऩा चाहिए, जिनके स्विस बैंक में खाते हैं। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय खुफिया तंत्र को वर्ष 2011-12 में संदिग्ध लेन देन के 13871 मामलों का पता चला है।
अध्ययन के अनुसार यदि इस गैर कानूनी ब्लैक मनी का पता लगा लिया जाए और उस पर 30 फीसद की दर से टैक्स लगाया जाए तो उससे प्राप्त होने वाले 8.5 लाख करोड़ रुपए से देश के 626 जिलों में दो हजार बिस्तरों वाले सुपर स्पेशलिटी वाले अस्पताल खोले जा सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि यदि यह सारी ब्लैक मनी वापस आ जाए तो तो देश के प्रत्येक नागरिक और उद्योगों को एक साल तक टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आगामी लोकसभा चुनाव में मंहगाई और भ्रष्टाचार के बाद यदि तीसरा कोई बड़ा मुद्दा है जो सत्तापक्ष के सियासी गडि़त को गड़बड़ा सकता है तो वह ब्लैक मनी का है। देश की खस्ता हाल अर्थव्यवस्था को विदेशी बैंकों में जमा यह काला धन संजीवनी देने का काम कर सकता है। देश की धन संपदा को गैर कानूनी तरीके से जोंक की तरह चूस कर विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ाने के इस खेल में राजनेताओं से लेकर बड़े उद्योगपति शामिल हैं।
रीयल एस्टेट, सोने, बुलियन और शेयर मार्केट के कारोबारियों से लेकर अनके नौकरशाहों की भी अकूत संपत्ति विदेशी बैंकों में जमा है। काले धन को वापस लाना तो दूर की बात है फिलहाल तो सरकार ऐसे लोगों के नाम भी उजागर करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है। इसलिए उच्चतम न्यायालय के कड़े रुख के बाद सरकार ने जो लिफाफा न्यायालय को सौंपा उसमें यह कहा गया कि नाम उजागर न किए जाएं। कोबरापोस्ट स्टिंग में देश के 3 दिग्गज निजी बैंक आईसीआईसीआई बैंक, एचडी एफसी बैंक और एक्सिस बैंक पर काले धन की हेराफेरी में शामिल होने का आरोप है। तीनों बैंकों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। 2 साल पहले सरकार को पता चला था कि कई निजी बैंक ब्लैक मनी को व्हाइट करने का गोरखधंधा कर रहे हैं। सरकार की जांच में दिल्ली के एक मिडिलमैन अब्दुल मुनाफ खान का पता चला था जो एचडीएफसी बैंक, आईएनजी वैश्य बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक में करोड़ो रुपये जमा कराता था।ये रिपोर्ट 2011 में तैयार हुई थी और इसे वित्त मंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, आरबीआई, सीबीआई और ईडी के डायरेक्टरों को भेजा गया था। रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया था कि मुनाफ ने जनवरी से जून 2011 के बीच इन 6 बैंकों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा करवाए। सीबीआई ने मुनाफ को पकड़ा भी था, लेकिन जांच पूरी नहीं होने के चलते उसे छोड़ दिया गया। कोबरा पोस्ट डॉट कॉम ने देश के कई निजी बैंकों से जुड़े कई सनसनीखेज दावे किए हैं। कोबरा पोस्ट ने दावा किया है कि देश के कई बड़े निजी बैंक काले धन को सफेद करने में मदद कर रहे हैं। कोबरा पोस्ट के मुताबिक देश के कुछ बड़े बैंक कालाधन नकद लेते हैं और उसे बीमा और सोने में निवेश करते हैं।
कोबरा पोस्ट ने देश के बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक पर आरोप लगाया है कि वो अपनी शाखाओं में कालेधन को अपनी निवेश योजनाओं में खपाते हैं और इसके लिए वो बाकायदा अकाउंट खोलते हैं। कोबरा पोस्ट का आरोप है कि काले धन को सफेद करने वालों के लिए ये अकाउंट बिना पैन कार्ड के खुल जाता है और इसमें रिजर्व बैंक के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।कोबरा पोस्ट के मुताबिक बैंक बहुत ही शातिर तरीके से काले धन को सफेद करते हैं। आरोप है कि ग्राहक के कालेधन को छोटे टुकड़ों में बांट कर बैंक में जमा किया जाता है। कोबरा पोस्ट का आरोप है कि बैंक कालेधन को सफेद में बदलने के लिए बेनामी अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं, आरोप ये भी है कि कालेधन को खपाने के लिए दूसरे ग्राहकों के अकाउंट का इस्तेमाल होता है। ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए निजी बैकों की मदद से चल रहे हवाला कारोबार को लेकर बड़ा खुलासा किया है। ‘ऑपरेशन रेड स्पाइडर’ में देश के तीन सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों एचडीफीसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक में यह धंधा बेरोकटोक चल रहा है। कोबरा पोस्ट के अनिरुद्ध बहल के अनुसार के दौरान उनके अंडरकवर रिपोर्टरों ने एक काल्पनिक नेता का एजेंट बनकर इन बैकों के अधिकारियों से बात की तो वे तमान नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ब्लैक मनी को बैंक में जमा करने के लिए तैयार हो गए।
खास बात यह है कि ऐसा करने वाले ग्राहकों से केवाईसी (नो योर कस्टमर) और पैन तक नहीं मांगे जाते हैं। कोबरा पोस्ट ने सैंकड़ों घंटो के विडियो फुटेज में इस गोरख धंधे को कैद किया है। कोबरा पोस्ट का कहना है कि उसके पास स्पष्ट, मजबूत और अकाटय सबूत हैं। इस खुलासे के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने उच्चस्तरीय जांच कमेटी बना दी है। एचडीएफसी और एक्सिस बैंक ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कोबरा पोस्ट की टीम इन बैंकों की कई ब्रांचों और इनकी सहयोगी बीमा कंपनियों में गई। तहकीकात में मनी लांड्रिंग का गोरखधंधा तीनों बैंकों में बेरोकटोक चलाया जा रहा है। इन बैंकों की ओर से मनी लॉंिन्ड्रग की सेवाओं के लिए बिल्कुल खुले तौर पर पेशकश की जाती है। ग्राहकों को सुविधाएं जो गैरकानूनी रकम निवेश करना चाहते हैं। कोबरा पोस्ट का दावा है, उक्त तीनों बैंक पूरी तरह से नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। बैंकों के प्रबंधक जानबूझ कर सुनियाजोत रूप से इनकम टैक्स ऐक्ट, फेमा, रिजर्व बैक के मानदंडों, केवाईसी के नियमों, बैंकिंग ऐक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग ऐक्ट का उल्लंघन करते हैं। इन बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्टिंग के दौरान कोबरा पोस्ट के पत्रकारों को बिना हिचक के बताया कि किस तरह बीमा और दूसरे निवेश प्लान की मदद से ब्लैक मनी की बड़ी से बड़ी रकम को वाइट मनी में बदला जा सकता है। बैंक कर्मियों ने नियमों से बचने के सारे दांवपेच बताए। कोबरा पोस्ट का आरोप है कि कालेधन को सफेद बनाने के लिए बैंक बनाते हैं। कोबरा पोस्ट ने देश के बड़े और प्रतिष्ठित निजी बैंकों पर लगाए हैं।
क्या हैं आरोप पढि़ए-
पहला आरोप - 1. नकद कालाधन लेकर इंश्योरेंश और सोने में निवेशदूसरा आरोप - 2. कालेधन को बैंकों की निवेश योजनाओं में खपाने के लिए खोलते हैं अकाउंट
तीसरा आरोप - 3. बिना पैन कार्ड के खुल जाता हैं काले धन वालों का अकाउंट
चौथा आरोप - 4. आरबीआई के नियमों की उड़ाई जाती हैं धज्जियां
पांचवा आरोप - 5. ग्राहक के कालेधन को छोटे हिस्सों में बांट कर जमा करते हैं बैंक
छठा आरोप - 6. बैंक कालेधन को सफेद में बदलने के लिए बेनानी अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं
सातवा आरोप - 7. कालेधन को खपाने के लिए दूसरे ग्राहकों के अकाउंट का इस्तेमाल
आठवां आरोप - 8. कालेधन को सफेद बनाने के लिए बैंक बनाते हैं ड्राफ्ट जिसका जिक्र ग्राहक के अकाउंट में नहीं होता
नौवां आरोप - 9. कालाधन देने वाले ग्राहकों की पहचान बैंक गोपनीय रखते हैं
दसवां आरोप - 10. किसी ग्राहक का कालाधन खपाने के लिए कई अकाउंट खोले और जरूरत के हिसाब से बंद किए जाते हैं
ग्यारहवां आरोप - 11. कालेधन को खपाने के लिए कई योजनाओं में अलग-अलग नामों से निवेश, फर्जी नामों का इस्तेमाल
बारवां आरोप - 12. अवैध नगदी रखने के लिए लॉकर दिए जाते हैं, करोड़ों की नगदी रखने के लिए बड़े लॉकर का भी इस्तेमाल
तेरहवां आरोप - 13. डील करने और कालाधन ले जाने के लिए बैंक के लोग खुद ग्राहक के घर आते हैं, नोट गिनने की मशीन भी लाते हैं
चौदहवां आरोप - 14. कालेधन को निवेश करने के लिए फॉर्म 60 का होता है इस्तेमाल
पंद्रहवां आरोप - 15. कालेधन को विदेश भेजने में भी बैंक करता है मदद उधऱ, एचडीएफसी ने कहा है कि इन आरोपों में दम नहीं है और हम बाद में अपना पक्ष रखेंगे। वहीं आईसीआईसीआई ने आरोपों की जांच के लिए कमेटी बना दी है जो दो हफ्ते में रिपोर्ट देगी। बैंक का कहना है कि बैंक में नियम-कानून के मुताबिक ही लेनदेन होता है।
स्टिंग ऑपरेशन के बाद बैंकों को लेकर गोल्डमैन सैक्स चिंतित है। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि मनी लॉन्डरिंग के आरोपों के बाद केवाईसी नियमों को लेकर आरबीआई का रवैया और सख्त होगा।मनी लांड्रिंग में कथित तौर पर शामिल होने के मामले में वित्त मंत्रालय ने कहा कि उसने बैंकों से इस बारे में ब्यौरा मांगा है। बैंकिंग सचिव राजीव टकरू ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने मामले में शामिल बैंकों से संपर्क किया है, हमने बैंकों से इस बारे में और जानकारी मांगी है।’ टकरू ने संकेत दिया कि तीनों बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक तथा एक्सिस बैंक से जानकारी मिलने के बाद सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। इस बीच, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल ने मुंबई में कहा कि केंद्रीय बैंक संबंधित बैंकों के संपर्क में हैं और सूचना एकत्रित कर रहा है।
गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक आरबीआई की बैंकों पर निगरानी बढ़ेगी, जिससे फैसलों में देरी होगी। इस वजह से बैंकों के कारोबार फैलाने पर असर दिखना तय है। 2005 के डीमैट घोटाले के बाद भी बैंकों पर दबाव बढ़ा था। गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि निजी बैंकों के डिपॉजिट और कारोबार की ग्रोथ में सुस्ती आएगी। विस्तार से ज्यादा आरबीआई रिस्क मैनेजमेंट में सुधार लाने पर फोकस करेगा।
गोल्डमैन सैक्स ने एचडीएफसी बैंक में बिकवाली की सलाह दी है। शेयर के लिए लक्ष्य 560 रुपये दिया गया है। आरबीआई भी स्टिंग का वीडियो देखकर मामले की जांच-पड़ताल कर रहा है। वित्त मंत्रालय भी मामले की जांच में जुट गया है। सरकार ने साफ किया है कि जांच में बैंको के दोषी पाए जाने पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाएगा।इसमें यह भी बताया गया कि इन बैंकों केदेश भर में फैले शाखाओं में हवाला का काम भी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम किया जा रहा है। आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगने के बाद दूसरे बैंक भी केवाईसी नियमों को लेकर सतर्क हो गए हैं। सोमवार को सरकारी बैंकों और वित्त मंत्री की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने जांच पूरी होने तक कल ही अपने 18 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। एक्सिस बैंक ने भी अपने 16 अधिकारियों को जांच पूरी होने तक प्रशासनिक कार्यालयों को रिपोर्ट करने को कहा है। उधर, एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों के बाद जांच के लिए अलग-अलग समितियां गठित की हैं। एक्सिस बैंक सूत्रों ने बताया बैंक ने एक आंतरिक जांच शुरू की है। जब तक जांच पूरी नहीं होती, हमने 16 संबंधित कर्मचारियों को बैंक के प्रशासनिक कार्यालयों को रिपोर्ट करने को कहा है।
निजी क्षेत्र के इन तीनों प्रमुख बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक पर अंदर और बाहर दोनों तरह से मनी लांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। एक ऑनलाइन पोर्टल कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि उसके स्टिंग आपरेशन में मनी लांड्रिंग घोटाले का खुलासा हुआ है। आईसीआईसीआई बैंक ने अपने 18 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। ये सभी कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में काले धन के सफेद करने की तरकीब बताते हुए फंसे थे। वहीं, एक्सिस बैंक ने भी 16 आरोपी कर्मचारियों को बैंकिंग के काम से हटाकर प्राशसनिक कार्यों में लगाया है। एचडीएफसी बैंक ने मामले की फॉरेंसिक जांच के लिए ऑडिट एजेंसी डेलॉयट टच को नियुक्त किया है। साथ ही, नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए अमरचंद एंड मंगलदास और सुरेश ए श्रॉप एंड कंपनी को भी नियुक्त किया गया है। स्टिंग ऑपरेशन में दिखाए ब्रैंच का स्पेशल ऑडिट कराया जाएगा। देश के बड़े निजी बैंकों पर काले धन (मनी लांड्रिंग) से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया गया है। एक ऑनलाइन मैग्जीन कोबरा पोस्ट ने गुरुवार को दावा किया कि आईसी आईसीआई बैंक, एचडी एफसी बैंक और एक्सिस बैंक के कई अधिकारी ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने का काम खुले आम कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि निजी सेक्टर के ये बड़े बैंक देश में काले धन की गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। जारी वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे बैंक अधिकारी सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया के तहत बीमा पॉलिसी और गोल्ड खरीद के जरिये ब्लैक मनी को व्हाइट करने के तरीके बताते हैं। इस मामले का खुलासा होने के बाद तीनों बैंकों की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने बताया कि वह उच्च स्तर पर जांच समिति का गठन करेंगे और इस मामले की आंतरिक जांच करेंगे।
इस जांच में जो भी पाया जाएगा उसे दो सप्ताह के भीतर संबंधित नियामकों को सौंपा जाएगा। एचडीएफसी बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। हम इसकी जांच को प्राथमिकता से पूरा करेंगे। एक्सिस बैंक ने कहा कि हमें जो भी जानकारी मिली है उसकी जांच कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि बिक्री गतिविधियों और बैक ऑफिस ऑपरेशन पर निगरानी रखी जाएगी। वर्ष 2011 में 782 ऐसे भारतीयों का पता लगा जिनके खाते एचएसबीसी में थे। इस पर एक हजार करोड़ रुपए का टैक्स लगाया गया है। वर्ष 2012-13 के बजट सत्र में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने ब्लैक मनी को गंभीर समस्या मानते हुए श्वेत पत्र निकाला था। काले धन के मुद्दे पर कानून वेत्ता राम जेठमलानी, सुब्रह्मयम स्वामी, योग गुरु रामदेव टीम अन्ना ने पिछले कुछ सालों में सरकार पर दवाब बनाया। जेठमलानी की पीआईएल पर उच्चतम न्यायालय ब्लैक मनी को वापस लाए जाने के प्रयासों की जांच करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया।सरकार द्वारा ब्लैक मनी के स्रोत और उसे रोकने के उपाय सुझाने के लिए 2011 में सीबीडीटी के तत्कालीन चेयरमैन एमसी जोशी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। 30 जनवरी 2012 को अपनी रिपोर्ट में उन्होंने जो खुलासा किया उससे दोनो बड़े राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के होश उड़ा दिए। रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दावा करते हैं कि उनकी आय 500 करोड़ और 200 करोड़ है. उन्होंने सवाल उठाया कि यही दोनों दल 10,000 करोड़ व 15,000 करोड़ का सालाना खर्च करते हैं। इसमें चुनाव का खर्च अलग से है। विशेषज्ञों के अनुसार काले धन को वापस लाने के लिए कड़े सरकारी उपायों के साथ ही दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति भी जरूरी है। इसके अलावा काले धन के स्रेत वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पारदर्शिता और सुधार के कदम उठाने होंगे।
इनमें प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन, शेयर मार्केट, रीयल स्टेट, निर्माण क्षेत्र वित्तीय क्षेत्र का लेन देन, नकद अर्थव्यवस्था शामिल हैं। नकद लेन देन को कम करने के उपाय भी इस बजट में किए जा सकते हैं। पिछले दिनों प्रकाश में आए घोड़ा कारोबारी हसन अली के विदेशी बैंकों में जमा 36 हजार करोड़ रुपए का पता चला। उसके राजनीतिक गठजोड़ से भी यह बात पुख्ता हुई कि काले धन के इस खेल में कई राजनेता भी शामिल हैं। कालाधन का अहम योगदान है। राजनेताओं और सरकार को चिंतित करने के लिए ये खबर काफी है। भारत से केवल 2010 में 1.6 बिलियन डालर पैसा बाहर गया। एक दशक की बात करें तो 123 बिलियन डालर पैसा कालेधन के रूप में देश से निकल गया। एक दशक में सबसे ज्यादा कालाधन बाहर जाने वाले देशों की सूची में भारत का स्थान आठवां है। वाशिंगटन स्थिति ग्लोबल फाइनेंस इंटिग्रिटी के एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन, मैक्सिको, मलेशिया, सउदी अरब, रूस, फिलीपिन्स और नाईजीरिया के बाद सबसे ज्यादा पैसों का प्रवाह हमारे ही देश में है। विकासशील देशों का अवैध वित्तीय प्रवाह 2001-2010 शीर्षक नाम से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सभी अविकसित और विकासशील देशों द्वारा कालाधन प्रवाह की बात करें तो करीब 858.8 बिलियन डालर केवल 2010 में बाहर चला गया। 2008 में ग्लोबल मंदी के दौरान 871.3 बिलियन डालर कालाधन बना जिससे ये 2010 का साल महज थोड़ा ही कम है।
जीएफआई के डाइरेक्टर रेमंड बेकर के मुताबिक एक तरफ जहां भारत का विकास हो रहा हैं वहीं दूसरी तरह इस सालों में भारत ने कालाधन के रूप में लगातार अपनी संपदा खोया है। कालाधन वापस लाने का मुद्दा मीडिया में अत्यधिक छाया रहा। लेकिन चर्चा उन बातों पर हो रही थी जो कि पैसा चला गया है। अब कानून बनाने वालों का ध्यान इस पर होना चाहिए कि अब पैसा बाहर नहीं जा पाए। इस रिपोर्ट के सह लेखक और जीएफआई के मुख्य आर्थिक विशेषज्ञ देव कर कहते हैं 123 बिलियन डालर का नुकसान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी नुकसान है. यह भारत के विकास के लिए पर्याप्त धन था। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में अहम योगदान हो सकता था। जीएफआई के नवंबर के 2010 के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 1948 से 2008 बीच ़462 बिलियन डालर का नुकसान भारत को उठाना पड़ा है। जीएफआई ने विश्व के नेताओं से अंतरराष्ट्रीय फाइनेंसियल व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की मांग की है ताकि अवैध धन के प्रवाह को रोका जा सके। इसी बीच स्टॉक गुरु घोटाले के आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का शिकंजा कस गया है। 500 करोड़ रुपये के घोटाले की रकम का पता लगाने और उन्हें जब्त करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] ने मनी लांड्रिंग रोकने के कानून के तहत केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में ईडी घोटाले के आरोपियों से आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने की भी जांच करेगा।
आयकर विभाग के उपायुक्त योगेंद्र मित्तल पर आरोपी उल्हास खैरे और उसकी पत्नी से 60 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। उल्हास और उसकी पत्नी को दिल्ली पुलिस और योगेंद्र मित्तल को सीबीआइ पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस सिलसिले में उल्हास खैरे और उसकी पत्नी को जल्द ही हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी। ईडी मुख्य तौर पर लोगों की ठगी से बनाई गई संपत्तियों का पता लगाकर उन्हें जब्त करेगी। वैसे दिल्ली पुलिस इस मामले में पहले ही खैरे की 11 संपत्तियां जब्त कर चुकी है। दोनों पति-पत्नी और उनकी कंपनी स्टॉक गुरु के खिलाफ शिकायतों के बाद जनवरी 2011 में योगेंद्र मित्तल की अगुआई में आयकर विभाग ने कंपनी के ठिकानों पर छापा मारा था। लेकिन निवेशकों की शिकायतों के बावजूद आयकर विभाग ने खैरे को क्लीन चिट दे दी थी। अंतत: नवंबर 2012 में दिल्ली पुलिस इन दोनों को पकडऩे में सफल रही। दिल्ली पुलिस की पूछताछ में उल्हास खैरे ने बताया कि आयकर विभाग से बचने के लिए उसने योगेंद्र मित्तल को 60 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। स्विस बैंक में 700 लोगों के 6000 करोड़ जमा इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अरिंवद केजरीवाल आज विदेशों में कालेधन पर खुलासा कर रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि स्विस बैंकों में कितना कालाधन जमा है, इस पर काफी कयास लगाए गए. स्विस बैंक में 700 लोगों 6000 करोड़ जमा हैं.केजरीवाल ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि स्विस बैंक में भारत का लाखों करोड़ रुपए काला धन है और इसकी जानकारी एक वेंसद्रीय मंत्री ने उन्हें एसएमएस करके दी है।
केजरीवाल ने खुलासे में कई नामीगिरामी लोगों के नाम लिए,जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी,उनके छोटे भाई अनिल अंबानी, जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल और उन्नाव से कांग्रेस सांसद अनु टंडन का नाम शामिल है। उन्होंने कहा कि सीबीआई के मौजूदा निदेशक ने कहा है कि 25 लाख करोड़ रुपये स्विस बैंकों में जमा हैं केजरीवाल ने दावा किया कि कोकिला धीरू भाई अंबानी का अकाउंट है,लेकिन उसमें दिसंबर में पैसे नहीं थे. जेट एयरवेज के नरेश कुमार गोयल के 80 करोड़ रुपये, डाबर के तीन लोगों के 25 करोड़ रुपये स्विस बैंकों में हैं. डाबर रुप के तीन लोगों के 20 करोड़ रूपए स्विस बैंक में जमा है। मोटेक सॉफ्टवेयर के 21 करोड़ रूपए स्विस बैंक में जमा हैं। केजरीवाल ने कहा कि विदेशी बैंकों में 700 भारतीयों के खाते हैं। जुलाई 2011 में सरकार को यह जानकारी मिली थी। इसकी सीडी भारत सरकार के पास है। उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी बैंकों में काला धन जमा कराने वालों को बचा रही है। जिन 700 लोगों के विदेशी बैंकों में खाते हैं, उनमें से सिर्फ 100 लोगों के खिलाफ ही छापा मारा गया। उन्होंने कहा कि 28 जुलाई 2011 को आई जानकारी के मुताबिक, तीन लोगों के यहां इनकम टैक्स ने रेड की, जिनके 8 से 15 करोड़ रुपए स्विस खातों में जमा थे।
लेकिन इस स्विस बैंक में खाता रखने वाले आई लिस्ट में मुकेश अंबानी का भी नाम था, लेकिन उनके यहां रेड क्यों नहीं पड़ी। केजरीवाल ने कहा कि अंबानी और बिड़ला पर छापा मारो और उनको तुरंत गिरफ्तार करो। केजरीवाल ने उद्योगपति मुकेश अंबानी और कांग्रेस-बीजेपी के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया. केजरीवाल ने प्रणब मुखर्जी पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि लिस्ट जारी होने के बाद उस समय वित्त मंत्री रहे मुखर्जी से मुकेश अंबानी से मुलाकात करके मामला रफा दफा कर दिया। इसके अलावा अनिल अंबानी और नरेश गोयल के यहां भी आयकर विभाग ने छापा नहीं मारा। उन्होंने कहा कि डाबर और बिड़ला के यहां भी छापा पडऩा चाहिए, जिनके स्विस बैंक में खाते हैं। केजरीवाल ने कहा कि स्विस बैंक में खाता खोलना एसबीआई में एकाउंट शुरू करने से ज्यादा आसान है। उन्होंने कहा कि, एचएसबीसी बैंक भारत में मनी लाउंडिंरग को बढ़ावा दे रहा है। यही नहीं, एचएसबीसी बैंक आतंकवाद, भ्रष्टाचार और किडनैपिंग को बढ़ावा दे रहा है। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ केजरीवाल का यह पांचवां खुलासा है. इससे पहले उन्होंने वेंसद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी के कथित भ्रष्टाचार का खुलासा किया था.
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