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कर्ज के बोझ तले दबा किसान खुदकुशी करने को मजबूर है लेकिन सीएजी के खुलासे से पता चला है कि किसानों को कर्ज से मुक्त कराने की योजना सरकारी बंदरबांट का शिकार हो गई। राज्यसभा में पेश सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक 52 हजार करोड़ रुपए की इस योजना में जरूरतमंदों से ज्यादा गलत लोगों को फायदा पहुंचाया गया और कम से कम आधे मामले कृषि कर्ज माफी की। यह वही योजना है जिसके दम पर यूपीए सरकार 2009 में दोबारा सत्ता में लौटी थी।
2जी और कोयला आवंटन में अनियमितता के मामले सामने लाने के बाद अब सीएजी ने यूपीए सरकार की फ्लैगशिप योजना किसानों की कर्ज माफी योजना में बंदरबांट का पर्दाफाश किया है। सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि किसानों का कर्ज माफ करने के लिए इस्तेमाल किए गए 52 हजार करोड़ रुपये की योजना में काफी अनियमितता बरती गई और करीब 50 % मामलों में किसी ना किसी तरीके से गलतियां सामने आई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज माफी के लिए जरूरतमंदों की ठीक से पहचान नहीं की गई और उन्हें भी इसका फायदा दिया गया, जो इस योजना की पात्रता नहीं रखते थे। जांच के बाद जो तथ्य सामने आए उसके मुताबिक 9 राज्यों में करीब 13 % सही खातों को लाभ नहीं मिला और जिन 80,277 खातों को फायदा मिला, उनमें 8.5% इसके लायक नहीं थे। करीब 22 % मामलों में योजना को लागू करने के बारे में गंभीर चिंता जाहिर की गई है।
रिपोर्टे के मुताबिक योजना की निगरानी भी खामियों से भरपूर थी और 34 % मामलों में किसानों को कर्ज माफी का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। वहीं एक निजी बैंक को नियमों के खिलाफ करीब 164 करोड़ रुपये दिए जाने की भी बात साने आई है। आपको बता दें कि 2008 में यूपीए-1 सरकार के वक्त वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने किसानों की कर्ज माफी योजना की घोषणा की थी। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य कृषि कर्ज के बोझ से बैंकों व किसानों को मुक्ति देना और नए सिरे से कृषि कर्ज को बांटना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कर्ज के बोझ तले आज भी किसान खुदकुशी करन को मजबूर हैं हालांकि इस घोषणा के बाद कांग्रेस को 2009 के आम चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल हुई थी।
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