भोपाल . बहुचर्चित काजल हत्याकांड में 9 दिनों की सुनवाई में ही भोपाल की स्थानीय अदालत ने न्याय कर दिया। 8 साल की बच्ची को किडनैप करके रेप और हत्या करने वाले दरिंदे नंदकिशोर बाल्मिकी को अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई। काजल की लाश इसी साल 4 फरवरी को मध्य प्रदेश के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता के घर के पास मिली थी। इस हत्याकांड से शहर में सनसनी फैल गई थी और विरोधी पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन किया था।
डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज सुषमा खोसला ने महज नौ दिनों की सुनवाई के बाद गुरुवार को खचाखच भरी अदालत नंदकिशोर को फांसी का फैसला सुनाया। जज ने फैसले में लिखा है,'नंदकिशोर का अपराध अमानवीय है। मामले में आई गवाही से साबित हुआ है कि उसने मासूम से दुष्कर्म करने के बाद कन्नी से गला रेतकर उसकी हत्या की है। साथ ही पहचान छुपाने के लिए उसके सिर को पत्थर से कुचला है। नंदकिशोर के अमानवीय कृत्य के लिए मृत्युदंड से भी बड़ी सजा कम है। समाज में सुरक्षा, अपराधियों में भय, फरियादी, पीड़ित की अपेक्षाओ को ध्यान में रखकर अदालतों को फैसला सुनाना चाहिए। नंदकिशोर को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसका प्राणांत न हो।'
अदालत ने फैसले की पुष्टि के लिए हाई कोर्ट को भेजने के निर्देश भी दिए हैं। काजल के अपहरण के आरोप में सात साल, दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद, लैंगिक अपराधों में बच्चों का संरक्षण अधिनियम के आरोप में उम्र कैद और साढ़े तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है। सरकारी वकील राजेंद्र गिरि ने बताया कि यह प्रदेश में पहला मामला है जब 9 दिनों की सुनवाई में फैसला हो गया है।
3 फरवरी की काजल अपने छह साल के भाई चुन्नू के साथ भोपाल उत्सव मेला घूमने गई थी। जब दोनों वापस घर आ रहे थे तब नंदकिशरों ने दोनों को रोका और काजल को ऑटो में बैठाकर ले गया था। उसके बाद काजल से झाड़ियों में ले जाकर ज्यादती की और कन्नी से गला रेतकर हत्या कर उसके एक पैर को काटा था। पहचान छुपाने के लिए उसके सिर को पत्थर से कुचल दिया था। माता-पिता ने थाना टीटी नगर में काजल की गुमशुदगी कि रिपोर्ट लिखाई थी। मेला ग्राउंड में किताब की दुकान लगाने वाले अनूप मौर्य ने 4 फरवरी को कुत्ते को एक बच्ची का पैर ले जाते हुए देखा था। उसके बाद मौर्य ने झाड़ियों में जाकर देखा तो बच्ची का सिर कटा शव मिला था। पुलिस ने आरोपी नंद किशोर को 5 फरवरी को कलारी की दुकान से गिरफ्तार किया था।
जज सुषमा खोसला की अदालत ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नियमित रूप से गवाही का सिलसिला जारी रखा। लगातार पांच दिन तक चली गवाही में प्रॉसिक्यूशन ने 33 गवाहों की गवाही कराई थी। खास बात यह रही है कि गुरुवार को अदालत ने 15 मिनट की सुनवाई के बाद ही फैसला सुना दिया।
फैसले के दौरान जज ने नंदकिशोर से पूछा कि तुम्हें अपहरण, बलात्कार, हत्या और साक्ष्य छुपाने के आरोप में दोषी पाया है। तुम्हे कुछ कहना है? नंदकिशोर ने अदालत को बताया कि उसने कोई अपराध नहीं किया है, पुलिस उसे फंसा रही है। जज ने इसके बाद पूछा, 'तुमने अपनी सफाई में यह बात क्यों नहीं कही?' इसके जवाब में नंदकिशोर कुछ भी नहीं बोला। अदालत ने नंदकिशोर को धारा 363 के तहत 7 साल, धारा 366 के तहत में 10 साल, धारा 376 (दो) (एच) 201 के तहत 5 साल, धारा 302 के तहत फांसी और धारा 5(1) लैगिंक अपराधों बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है। नंदकिशोर ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगा।
डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज सुषमा खोसला ने महज नौ दिनों की सुनवाई के बाद गुरुवार को खचाखच भरी अदालत नंदकिशोर को फांसी का फैसला सुनाया। जज ने फैसले में लिखा है,'नंदकिशोर का अपराध अमानवीय है। मामले में आई गवाही से साबित हुआ है कि उसने मासूम से दुष्कर्म करने के बाद कन्नी से गला रेतकर उसकी हत्या की है। साथ ही पहचान छुपाने के लिए उसके सिर को पत्थर से कुचला है। नंदकिशोर के अमानवीय कृत्य के लिए मृत्युदंड से भी बड़ी सजा कम है। समाज में सुरक्षा, अपराधियों में भय, फरियादी, पीड़ित की अपेक्षाओ को ध्यान में रखकर अदालतों को फैसला सुनाना चाहिए। नंदकिशोर को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसका प्राणांत न हो।'
अदालत ने फैसले की पुष्टि के लिए हाई कोर्ट को भेजने के निर्देश भी दिए हैं। काजल के अपहरण के आरोप में सात साल, दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद, लैंगिक अपराधों में बच्चों का संरक्षण अधिनियम के आरोप में उम्र कैद और साढ़े तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है। सरकारी वकील राजेंद्र गिरि ने बताया कि यह प्रदेश में पहला मामला है जब 9 दिनों की सुनवाई में फैसला हो गया है।
3 फरवरी की काजल अपने छह साल के भाई चुन्नू के साथ भोपाल उत्सव मेला घूमने गई थी। जब दोनों वापस घर आ रहे थे तब नंदकिशरों ने दोनों को रोका और काजल को ऑटो में बैठाकर ले गया था। उसके बाद काजल से झाड़ियों में ले जाकर ज्यादती की और कन्नी से गला रेतकर हत्या कर उसके एक पैर को काटा था। पहचान छुपाने के लिए उसके सिर को पत्थर से कुचल दिया था। माता-पिता ने थाना टीटी नगर में काजल की गुमशुदगी कि रिपोर्ट लिखाई थी। मेला ग्राउंड में किताब की दुकान लगाने वाले अनूप मौर्य ने 4 फरवरी को कुत्ते को एक बच्ची का पैर ले जाते हुए देखा था। उसके बाद मौर्य ने झाड़ियों में जाकर देखा तो बच्ची का सिर कटा शव मिला था। पुलिस ने आरोपी नंद किशोर को 5 फरवरी को कलारी की दुकान से गिरफ्तार किया था।
जज सुषमा खोसला की अदालत ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नियमित रूप से गवाही का सिलसिला जारी रखा। लगातार पांच दिन तक चली गवाही में प्रॉसिक्यूशन ने 33 गवाहों की गवाही कराई थी। खास बात यह रही है कि गुरुवार को अदालत ने 15 मिनट की सुनवाई के बाद ही फैसला सुना दिया।
फैसले के दौरान जज ने नंदकिशोर से पूछा कि तुम्हें अपहरण, बलात्कार, हत्या और साक्ष्य छुपाने के आरोप में दोषी पाया है। तुम्हे कुछ कहना है? नंदकिशोर ने अदालत को बताया कि उसने कोई अपराध नहीं किया है, पुलिस उसे फंसा रही है। जज ने इसके बाद पूछा, 'तुमने अपनी सफाई में यह बात क्यों नहीं कही?' इसके जवाब में नंदकिशोर कुछ भी नहीं बोला। अदालत ने नंदकिशोर को धारा 363 के तहत 7 साल, धारा 366 के तहत में 10 साल, धारा 376 (दो) (एच) 201 के तहत 5 साल, धारा 302 के तहत फांसी और धारा 5(1) लैगिंक अपराधों बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है। नंदकिशोर ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगा।
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