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शास्त्रों और पुराणों में ऐसे बहुत से वृतांत हैं कि राजा इंद्र किसी न किसी की देवता की तपस्या भंग करने के लिए किसी न किसी अप्सरा को भेजते थे। आज भी रामलीलाओं में हम जो 'किसी नाचने वाली को बुलाओ' वाला कड़कता डायलाग सुनते हैं वो दरअसल उसी परंपरा से चला आ रहा है। परंपराएं अक्सर आसानी से मरा नहीं करतीं। अभी अगर परंपरा पे ही रुकें तो सच ये भी है कि इंग्लैंड का तो संविधान और शासनतंत्र मूल रूप से है ही परंपराओं पे आधारित। वहां के लोग भी ऐसे हैं कि सैंकड़ों साल बीत जाने के बाद भी उन्होंने उन परंपराओं को कमज़ोर भी नहीं होने दिया है।
इधर भगवान कृष्ण के हरियाणा में रास लीला की परंपरा भी अनवरत जारी है। फर्क सिर्फ ये है कि उस में से धर्म गायब है, अधर्म बाकी है। नैसर्गिक प्रेम विलुप्त है, वासना हावी है। बेशक कूटनीति इस में भी है। अप्सरा यहां भी है। पहले वो केवल नृत्य कर के तंद्रा भंग करती थी। अब उसे अपना स्त्रीत्व भी गंवाना पड़ता है। वो सतयुग था। अब कलियुग है तो उस क्रीड़ा के कान्हा एक नेता हैं। बदनामी से बचाने के लिए हम उन्हें बदले हुए नाम के साथ बुरजेवाला कह लेते हैं। उनकी रासलीला की एक सीडी हमें मिली है। इस में वे एक लड़की के साथ पूरी तरह निर्वस्त्र और पूरे समय आपत्तिजनक अवस्था में हैं। जिस बेड पे वे हैं वो किसी होटल की बजाय किसी घर का ज्यादा लगता है। दोनों के पैर सिरहाने वाली तरफ हैं। लड़की के हाथों में चूड़ियां नहीं हैं। उस की देह काया इतनी दुबली है कि वो नाबालिग भी हो सकती है।
बुरजेवाला के एक करीबी सूत्र के अनुसार ये सीडी असल में 2009 के आसपास की है। उस का ये भी कहना है कि ये किसी विरोधी नेता की साजिश है। उस की इस दलील में सच्चाई भी हो सकती है। फिल्म किसी ख़ुफ़िया कैमरे से ली गई लगती है। ये कहीं पे फिक्स किया हुआ सीसीटीवी भी हो सकता है। क्योंकि कैमरा एक बार भी हिला नहीं है। पूरी फिल्म में कहीं कोई आवाज़ भी शायद इसी लिए नहीं है। हमारे पास जो वीडियो है उस के पहले ही द्रश्य से दोनों निर्वस्त्र और प्रणयरत दिखाई दे रहे हैं। ज़ाहिर है ये वीडियो भी पूरा नहीं है। चूंकि वीडियो सीधे प्रणय मुद्रा से शुरू होता है इस लिए ये पता नहीं चलता दोनों में से कोई एक पहले कमरे में आया या दोनों एक साथ।
शायद याद हो आपको 2005 के चुनावों और उस में कांग्रेस की 90 में से 64 सीटें आ जाने के बावजूद तब के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के प्रबलतम दावेदार भजन लाल के बारे में एक खबर एक चैनल पे चली थी। चैनल पे एंकर ने सिर्फ इतना ही कहा था कि चैनल के पास एक सीडी है लेकिन वो कुछ ऐसी है कि चैनल उस को दिखा नहीं सकता। बाद में पता चला कि उस सीडी में भजन लाल किसी होटल या रेस्तरां में हैं और उनकी मेज़ पे दारु का एक पेग रखा है। लेकिन कहीं कोई सीडी भी नहीं चलने के बावजूद भजनलाल का पत्ता कट गया था। भूपेंद्र हुड्डा सीएम बन गए थे। अब अगर बुरजेवाला वाली ये सीडी 2009 में बनी और यूट्यूब पे चली भी तो चुनाव तो 2009 में फिर हुए। मुख्यमंत्री पद के दावेदार बुरजेवाला भी थे। मुख्यमंत्री फिर भूपेंद्र हुड्डा बन गए थे।
2009 में सीडी आने और मुख्यमंत्री की शपथ हो जाने के बाद सीडी हर जगह से गायब हो गई। अब फिर वो सामने आई है तो फिर एक ऐसे समय पे आई है कि जब खासकर कांग्रेस में कोहराम मच हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री तक बदलने के कयास रोज़ लगते हैं।
2005 में भजनलाल के बारे में उस सीडी में तो सिर्फ दारु का एक वो गिलास था जिस में छुपाने लायक कुछ भी नहीं था। लेकिन अब हमारे पास मौजूद ये सीडी सच में ही दिखाई जा सकने की हालत में नहीं है। लेकिन अगर कभी किसी वजह से किसी अदालत को देनी या दिखानी पड़ी तो ज़रूर दी जाएगी।
पहली बात तो ये है कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले किसी नेता को अपने निजी जीवन में भी अपनी उम्र के मुकाबले आधी से भी कम लड़की के साथ हमबिस्तर नहीं होना चाहिए। उस पर किसी की कुर्सी छीनने और पाने के खेल में कोई लड़की मोहरे की तरह इस्तेमाल हुई है तो ये और भी लज्जाजनक है। इस रिपोर्ट का असल मतलब सत्ता के संघर्ष में आई इस नई अनैतिकता को बेनकाब करना है। इस दलील की भी निंदा की जानी ही जानी चाहिए कि ये किसी विरोधी नेता की साजिश है। ये बड़ा आसान सा जवाब, आरोप और सफाई है। पलट के पूछने को दिल करता है कि है कि साज़िश वो अगर विरोधी नेता की थी तो बीच बीच में अपनी हथेली पे बार बार थूक तुम क्यों लगा रहे थे?
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