अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य अब प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और दलाली के मामलों का खुलासा करने लगे हैं, पहले राज्य के ग्रामीण एवं विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने यह स्वीकार किया था कि वह बीस वर्षों तक विपक्ष में रहे लेकिन इतना भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा जितना अब है, भार्गव के बाद अब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने स्वीकार किया कि शहडोल में भ्रष्टाचार और दलाली चरम पर है, तो वह यह भी कहने से नहीं हिचके कि शहडोल प्रशासन की भर्राशाही से शहडोल में भ्रष्टाचार और दलाली की शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे? गोपाल भार्गव और ओमप्रकाश धुर्वे ही नहीं वर्षों तक शिवराज मंत्रीमण्डल के मंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी एक बयान देकर राज्य में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया था,
सवाल यह उठता है कि भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा अपने १३ वर्षों के शासनकाल के दौरान प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं दिलवा पाई जहां तक बात भय की है तो राज्य के भाजपा के नेताओं और मंत्रियों में नौकरशाही के भय के कारण वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे और शिवराज के शासनकाल के दौरान जितनी प्रदेश में नौकरशाही के हावी होने के आरोप संघ के नेताओं से लेकर शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा नेताओं द्वारा उठाई जा रही हैं ऐसा शायद कभी कांग्रेस शासनकाल में नहीं हुआ होगा और न इतनी नौकरशाही के हावी होने के आरोप लगे होंगे, मगर राज्य में भाजपा शासनकाल के दौरान नौकरशाही जनप्रतिनिधियों पर इस तरह से हावी है जिसको लेकर समय-समय पर संघ प्रमुख से लेकर संघ के अन्य पदाधिकारियों द्वारा चिंता व्यक्त की गई लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश की नौकरशाही पर लगाम नहीं कस पा रही है,
राज्य में संघ पदाधिकारियों से लेकर शायद ही ऐसा कोई जनप्रतिनिधि हो जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रदेश में हावी नौकरशाही की शिकायत नहीं की हो, लेकिन इसके बावजूद भी इसमें कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है, पता नहीं प्रदेश में हावी नौकरशाही के पीछे मुख्यमंत्री की शायद कोई रणनीति हो जिसके चलते वह अपने मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा नेताओं पर इस बहाने लगाम कसने के प्रयास में लगे हुए हों या फिर वह चाहते हों कि उनके सिवा नौकरशाही कोई किसी की न सुने मामला जो भी हो यह वह जानें लेकिन राज्य में हावी नौकरशाही को लेकर जिस तरह से राज्य के ज नप्रतिनिधि परेशान हैं उससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है और उसे भाजपा के शासनकाल के दौरान रोकने के जितने भी प्रयास किये जा रहे हैं उसी अनुपात यह दिन-दूनी रात चौगुनी फलफू ल रही है।
प्रदेश में हावी नौकरशाही और भ्रष्टाचार के कारण भाजपा सरकार की साख में जो गिरावट आ रही है उसमें संघ और भाजपा नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी स्वयं चिंतत हैं और हर कोई इसका हल खोजने में लगा हुआ है क्योंकि उन सबके सामने मिशन २०१८ और १९ है, यदि समय रहते इस समस्या का हल नहीं खोजा गया तो इसके परिणाम क्या होंगे यह तो भविष्य बताएगा? लेकिन यह जरूर है कि राज्य में अब भ्रष्टाचार मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के मुखाग्र बिन्दु से धीरे-धीरे उजागर हो रहा है और इससे यह साबित हो जाता है कि राज्य में भ्रष्टाचार, दलाली और नौकरशाही की भर्राशाही पूरी तरह से व्याप्त है जिसकी वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ सही हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है यदि यही स्थिति रही तो मिशन २०१८ और १९ की क्या स्थिति होगी यह तो भविष्य के गर्त में है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य अब प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और दलाली के मामलों का खुलासा करने लगे हैं, पहले राज्य के ग्रामीण एवं विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने यह स्वीकार किया था कि वह बीस वर्षों तक विपक्ष में रहे लेकिन इतना भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा जितना अब है, भार्गव के बाद अब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने स्वीकार किया कि शहडोल में भ्रष्टाचार और दलाली चरम पर है, तो वह यह भी कहने से नहीं हिचके कि शहडोल प्रशासन की भर्राशाही से शहडोल में भ्रष्टाचार और दलाली की शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे? गोपाल भार्गव और ओमप्रकाश धुर्वे ही नहीं वर्षों तक शिवराज मंत्रीमण्डल के मंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी एक बयान देकर राज्य में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया था,
सवाल यह उठता है कि भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा अपने १३ वर्षों के शासनकाल के दौरान प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं दिलवा पाई जहां तक बात भय की है तो राज्य के भाजपा के नेताओं और मंत्रियों में नौकरशाही के भय के कारण वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे और शिवराज के शासनकाल के दौरान जितनी प्रदेश में नौकरशाही के हावी होने के आरोप संघ के नेताओं से लेकर शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा नेताओं द्वारा उठाई जा रही हैं ऐसा शायद कभी कांग्रेस शासनकाल में नहीं हुआ होगा और न इतनी नौकरशाही के हावी होने के आरोप लगे होंगे, मगर राज्य में भाजपा शासनकाल के दौरान नौकरशाही जनप्रतिनिधियों पर इस तरह से हावी है जिसको लेकर समय-समय पर संघ प्रमुख से लेकर संघ के अन्य पदाधिकारियों द्वारा चिंता व्यक्त की गई लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश की नौकरशाही पर लगाम नहीं कस पा रही है,
राज्य में संघ पदाधिकारियों से लेकर शायद ही ऐसा कोई जनप्रतिनिधि हो जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रदेश में हावी नौकरशाही की शिकायत नहीं की हो, लेकिन इसके बावजूद भी इसमें कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है, पता नहीं प्रदेश में हावी नौकरशाही के पीछे मुख्यमंत्री की शायद कोई रणनीति हो जिसके चलते वह अपने मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा नेताओं पर इस बहाने लगाम कसने के प्रयास में लगे हुए हों या फिर वह चाहते हों कि उनके सिवा नौकरशाही कोई किसी की न सुने मामला जो भी हो यह वह जानें लेकिन राज्य में हावी नौकरशाही को लेकर जिस तरह से राज्य के ज नप्रतिनिधि परेशान हैं उससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है और उसे भाजपा के शासनकाल के दौरान रोकने के जितने भी प्रयास किये जा रहे हैं उसी अनुपात यह दिन-दूनी रात चौगुनी फलफू ल रही है।
प्रदेश में हावी नौकरशाही और भ्रष्टाचार के कारण भाजपा सरकार की साख में जो गिरावट आ रही है उसमें संघ और भाजपा नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी स्वयं चिंतत हैं और हर कोई इसका हल खोजने में लगा हुआ है क्योंकि उन सबके सामने मिशन २०१८ और १९ है, यदि समय रहते इस समस्या का हल नहीं खोजा गया तो इसके परिणाम क्या होंगे यह तो भविष्य बताएगा? लेकिन यह जरूर है कि राज्य में अब भ्रष्टाचार मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के मुखाग्र बिन्दु से धीरे-धीरे उजागर हो रहा है और इससे यह साबित हो जाता है कि राज्य में भ्रष्टाचार, दलाली और नौकरशाही की भर्राशाही पूरी तरह से व्याप्त है जिसकी वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ सही हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है यदि यही स्थिति रही तो मिशन २०१८ और १९ की क्या स्थिति होगी यह तो भविष्य के गर्त में है।
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