अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल। नर्मदा के प्रदूषण को लेकर भाजपा शासनकाल के दौरान शायद ही ऐसा कोई वर्ष रहा हो जब नर्मदा में फैल रहे प्रदूषण को लेकर भाजपा नेताओं ने चिंतन और मंथन न किया हो, एक ओर जहां नर्मदा में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सत्ताधीशों द्वारा चिंतन मनन और अध्ययन का सिलसिला जारी है तो दूसरी ओर वहीं नर्मदा किनारे स्थापित हो रहे उद्योगों द्वारा नर्मदा को प्रदूषित करने का दौर भी लगातार जारी है, हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा के प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की गई और अमरकंटक से लेकर नर्मदा किनारे आने वाले शहरों से दूषित जल को मिलने से रोक ने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाने, नर्मदा किनारे सभी ग्रामों को खुले में शौच मुक्त किए जाने की योजना बनाई तो वहीं नर्मदा किनारे के गांव को नशामुक्त बनाये जाने की बात कही गई।
यही नहीं नर्मदा किनारे वृक्षारोपण भी करने की योजना तैयार की गई हालांकि इस तरह की योजनाएं और घोषणाएं वर्षों से शासन द्वारा चलाई जा रही हैं और इन योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च भी कर दिए गए यही नहीं पिछले सालों में मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल के द्वारा नर्मदा किनारे वृक्षारोपण करने की एक योजना बनाई थी जिसके तहत नर्मदा किनारे करोड़ों का वृक्षारोपण कर दिया गया लेकिन पता नहीं यह वृक्षारोपण कहाँ हुआ यह नर्मदा किनारे कहीं दिखाई नहीं दे रहा इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि नर्मदा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए कार्ययोजनाएं तो बनती हैं और कागजों में उन्हें संचालित किया जाता है लेकिन आज जिस अनुपात से यह योजना बनती है उसी अनुपात से नर्मदा प्रदूषित हो रही है।
नर्मदा किनारे के शहरों में स्थापित उद्योगों से प्रतिदिन दूषित कचरा और उसके किनारे बसे शहरों से दूषित जल इस नदी में उसी अनुपात से दिनरात प्रवाहित किया जा राहा है अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री ने फिर नर्मदा मुक्त करने को लेकर एक योजना बनाई है वह योजना कितनी सार्थक होती है, यह तो भविष्य बताएगा।
भोपाल। नर्मदा के प्रदूषण को लेकर भाजपा शासनकाल के दौरान शायद ही ऐसा कोई वर्ष रहा हो जब नर्मदा में फैल रहे प्रदूषण को लेकर भाजपा नेताओं ने चिंतन और मंथन न किया हो, एक ओर जहां नर्मदा में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सत्ताधीशों द्वारा चिंतन मनन और अध्ययन का सिलसिला जारी है तो दूसरी ओर वहीं नर्मदा किनारे स्थापित हो रहे उद्योगों द्वारा नर्मदा को प्रदूषित करने का दौर भी लगातार जारी है, हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा नर्मदा के प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की गई और अमरकंटक से लेकर नर्मदा किनारे आने वाले शहरों से दूषित जल को मिलने से रोक ने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जाने, नर्मदा किनारे सभी ग्रामों को खुले में शौच मुक्त किए जाने की योजना बनाई तो वहीं नर्मदा किनारे के गांव को नशामुक्त बनाये जाने की बात कही गई।
यही नहीं नर्मदा किनारे वृक्षारोपण भी करने की योजना तैयार की गई हालांकि इस तरह की योजनाएं और घोषणाएं वर्षों से शासन द्वारा चलाई जा रही हैं और इन योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च भी कर दिए गए यही नहीं पिछले सालों में मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल के द्वारा नर्मदा किनारे वृक्षारोपण करने की एक योजना बनाई थी जिसके तहत नर्मदा किनारे करोड़ों का वृक्षारोपण कर दिया गया लेकिन पता नहीं यह वृक्षारोपण कहाँ हुआ यह नर्मदा किनारे कहीं दिखाई नहीं दे रहा इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि नर्मदा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए कार्ययोजनाएं तो बनती हैं और कागजों में उन्हें संचालित किया जाता है लेकिन आज जिस अनुपात से यह योजना बनती है उसी अनुपात से नर्मदा प्रदूषित हो रही है।
नर्मदा किनारे के शहरों में स्थापित उद्योगों से प्रतिदिन दूषित कचरा और उसके किनारे बसे शहरों से दूषित जल इस नदी में उसी अनुपात से दिनरात प्रवाहित किया जा राहा है अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री ने फिर नर्मदा मुक्त करने को लेकर एक योजना बनाई है वह योजना कितनी सार्थक होती है, यह तो भविष्य बताएगा।
No comments:
Post a Comment