अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के लम्बे शासनकाल के दौरान और कमजोर विपक्ष के चलते अब यह स्थिति हो गई है कि भाजपा के मंत्रियों और नेताओं पर सत्ता का चढ़ा नशा सर चढ़कर बोलने लगा है। जिसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काफी चिंतित हैं राज्य में लम्बे समय तक भाजपा के सत्ता में काबिज होने के कारण अब राज्य में पश्चिम बंगाल जैसी स्थिति निर्मित होती जा रही है, जिसके चलते मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के बोल बिगडऩे लगे हैं कहीं कोई मंत्री खुले मंच पर अफसरों को जूते मारने की धमकी दे रहे हैं तो वहीं भाजपा के नेता अधिकारियों को फोन करके रुपये मांग रहे हैं,
जहां तक अधिकारियों से भाजपा नेताओं के रुपये मांगने का चलन इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में शायद ही ऐसा कोई कस्बा या जिला बचा होगा जहां भाजपा का नेता या कार्यकर्ता आये दिन सरकारी अधिकारियों से किसी न किसी नाम से चंदाखोरी का दबाव न बनाते हों, हालांकि इस तरह की चंदाखोरी का चलन भाजपा शासनकाल में राजधानी के एक चंदाखोर जिनको लोगचंदामामा के नाम से जाने जाते हैं उनकी देखा देखी आज पूरे प्रदेश में चंदामामाओं की बाढ़ सी आ गई है। राज्य में स्थिति यह है कि आयेदिन सत्ताधीशों के द्वारा अधिकारियों से बदसलूकी की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं, शासकीय कर्मचारियों पर अभद्रता पर उतारू शिवराज के मंत्री आयेदिन राज्य के अफसरों को मंत्रियों और भाजपा नेताओं की अभद्रता का सामना करना पड़ता है। स्थिति यह है कि प्रदेश भाजपा के इतिहास में शायद ही कभी प्रदेश पदाधिकारियों की दो दिन की बैठक वह भी प्रदेश कार्यालय से दूर बुलाई गई हो, ऐसे में सत्ता में रहते पिछले १२ सालों में होने वाली इस बैठक में उठे प्रश्नों से यह साफ उजागर हो गया है
कि भाजपा और संघ दोनों अपने जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों के बिगड़े बोल से ज्यादा परेशान हैं, राज्य में पिछले दिनों चाहे स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह हों या भाजपा के नेता जो कि अवैध रेत भरे ट्रेक्टरों को रुकवाने के प्रयास में खनिज विभाग के अमले पर हमला कर देते हैं और इंस्पेक्टर का हाथ तोड़ देते हैं अधिकारियों द्वारा दी जा रही धमकी का यह आलम है कि राज्य के मालवांचल के विधायक सुदर्शन गुप्ता तो खुलेआम फोन पर अधिकारियों को जूते मारने और मुंह काला करने तक की धमकी दे डालते हैं, मजे की बात यह है कि इन सब घटनाओं के घटने के बावजूद भी यह जनप्रतिनिधि सारा दोष मीडिया पर मड़ देते हैं और यह कहते नहीं चूकते कि मैंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है, मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया। तो विधायक सुदर्शन देने वाले ऑडियो को भी फर्जी बताने में नहीं चूकते।
जहां तक मंत्रियों के बिगड़े बोलों का सवाल है तो उसमें विजय शाह तो नम्बर वन पर आते हैं और वह कब क्या बोल जाते हैं यह उन्हीं को मालूम नहीं होता है, एक समय तो उन्होंने मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी के बारे में भी कुछ बोलने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई और हाल ही में उन्होंने खण्डवा में बीईओ केएस राजूपत और उत्कृष्ट स्कूल की प्राचार्या ज्योत्सना सोनी को हटाने की घोषणा मंच से कर डाली और मंत्री महोदय ने अपने रुतबे का अंदाजा बताने में जरा भी हिचक नहीं की मंत्री ने मंच से जो कुछ बोला वो तो ठीक था लेकिन मंत्री महोदय की घोषणा के बाद पांच घण्टे के बाद दोनों के आदेश भी पहुंच गए। लगभग यही स्थिति ओमप्रकाश धुर्वे की है, उन्होंने सरेआम मंच से तहसीलदार, बिजली अफसर, पटवारी और बैंक मैनेजर के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल तो किया है।
मजे की बात यह है कि धुर्वे को बोल को तोलने का काम शिवराज मंत्रीमण्डल के खनिज कारोबारी राजनेता और अब मंत्री बने संजय पाठक ने धुर्वे के बोल के बाद जो सफाई दी उसमें कहा गया कि यहाँ कुछ अधिकारियों की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को लगातार शिकायतें मिल रही हैं इसलिये गुस्से में मंत्री धुर्वे ने कुछ कह दिये होंगे उन्होंने किसी को गाली नहीं दी, यह उल्लेखनीय है कि गणपत धुर्वे और संजय पाठक की एक खनिज खदान को लेकर जो द्वंद्व चली थी और उन दोनों के बीच क्या कुछ हुआ था यह भी चर्चाओं में है और इन दोनों के बीच चले द्वंद्व को विराम किसने दिलाया था यह भी क्षेत्र के लोग जानते हैं। कुल मिलाकर राज्य में पिछले कुछ दिनों से अपने आपको जनता का सेवक कहने वाले राजनेताओं में अब जनता और अधिकारियों के प्रति जो दबंगाई सिर चढ़कर बोल रही है उसके परिणामों को लेकर संघ और स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चिंतत हैं यदि समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति क्या होगी यह तो भविष्य बताएगा।
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के लम्बे शासनकाल के दौरान और कमजोर विपक्ष के चलते अब यह स्थिति हो गई है कि भाजपा के मंत्रियों और नेताओं पर सत्ता का चढ़ा नशा सर चढ़कर बोलने लगा है। जिसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काफी चिंतित हैं राज्य में लम्बे समय तक भाजपा के सत्ता में काबिज होने के कारण अब राज्य में पश्चिम बंगाल जैसी स्थिति निर्मित होती जा रही है, जिसके चलते मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के बोल बिगडऩे लगे हैं कहीं कोई मंत्री खुले मंच पर अफसरों को जूते मारने की धमकी दे रहे हैं तो वहीं भाजपा के नेता अधिकारियों को फोन करके रुपये मांग रहे हैं,
जहां तक अधिकारियों से भाजपा नेताओं के रुपये मांगने का चलन इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में शायद ही ऐसा कोई कस्बा या जिला बचा होगा जहां भाजपा का नेता या कार्यकर्ता आये दिन सरकारी अधिकारियों से किसी न किसी नाम से चंदाखोरी का दबाव न बनाते हों, हालांकि इस तरह की चंदाखोरी का चलन भाजपा शासनकाल में राजधानी के एक चंदाखोर जिनको लोगचंदामामा के नाम से जाने जाते हैं उनकी देखा देखी आज पूरे प्रदेश में चंदामामाओं की बाढ़ सी आ गई है। राज्य में स्थिति यह है कि आयेदिन सत्ताधीशों के द्वारा अधिकारियों से बदसलूकी की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं, शासकीय कर्मचारियों पर अभद्रता पर उतारू शिवराज के मंत्री आयेदिन राज्य के अफसरों को मंत्रियों और भाजपा नेताओं की अभद्रता का सामना करना पड़ता है। स्थिति यह है कि प्रदेश भाजपा के इतिहास में शायद ही कभी प्रदेश पदाधिकारियों की दो दिन की बैठक वह भी प्रदेश कार्यालय से दूर बुलाई गई हो, ऐसे में सत्ता में रहते पिछले १२ सालों में होने वाली इस बैठक में उठे प्रश्नों से यह साफ उजागर हो गया है
कि भाजपा और संघ दोनों अपने जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों के बिगड़े बोल से ज्यादा परेशान हैं, राज्य में पिछले दिनों चाहे स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह हों या भाजपा के नेता जो कि अवैध रेत भरे ट्रेक्टरों को रुकवाने के प्रयास में खनिज विभाग के अमले पर हमला कर देते हैं और इंस्पेक्टर का हाथ तोड़ देते हैं अधिकारियों द्वारा दी जा रही धमकी का यह आलम है कि राज्य के मालवांचल के विधायक सुदर्शन गुप्ता तो खुलेआम फोन पर अधिकारियों को जूते मारने और मुंह काला करने तक की धमकी दे डालते हैं, मजे की बात यह है कि इन सब घटनाओं के घटने के बावजूद भी यह जनप्रतिनिधि सारा दोष मीडिया पर मड़ देते हैं और यह कहते नहीं चूकते कि मैंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है, मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया। तो विधायक सुदर्शन देने वाले ऑडियो को भी फर्जी बताने में नहीं चूकते।
जहां तक मंत्रियों के बिगड़े बोलों का सवाल है तो उसमें विजय शाह तो नम्बर वन पर आते हैं और वह कब क्या बोल जाते हैं यह उन्हीं को मालूम नहीं होता है, एक समय तो उन्होंने मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी के बारे में भी कुछ बोलने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई और हाल ही में उन्होंने खण्डवा में बीईओ केएस राजूपत और उत्कृष्ट स्कूल की प्राचार्या ज्योत्सना सोनी को हटाने की घोषणा मंच से कर डाली और मंत्री महोदय ने अपने रुतबे का अंदाजा बताने में जरा भी हिचक नहीं की मंत्री ने मंच से जो कुछ बोला वो तो ठीक था लेकिन मंत्री महोदय की घोषणा के बाद पांच घण्टे के बाद दोनों के आदेश भी पहुंच गए। लगभग यही स्थिति ओमप्रकाश धुर्वे की है, उन्होंने सरेआम मंच से तहसीलदार, बिजली अफसर, पटवारी और बैंक मैनेजर के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल तो किया है।
मजे की बात यह है कि धुर्वे को बोल को तोलने का काम शिवराज मंत्रीमण्डल के खनिज कारोबारी राजनेता और अब मंत्री बने संजय पाठक ने धुर्वे के बोल के बाद जो सफाई दी उसमें कहा गया कि यहाँ कुछ अधिकारियों की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को लगातार शिकायतें मिल रही हैं इसलिये गुस्से में मंत्री धुर्वे ने कुछ कह दिये होंगे उन्होंने किसी को गाली नहीं दी, यह उल्लेखनीय है कि गणपत धुर्वे और संजय पाठक की एक खनिज खदान को लेकर जो द्वंद्व चली थी और उन दोनों के बीच क्या कुछ हुआ था यह भी चर्चाओं में है और इन दोनों के बीच चले द्वंद्व को विराम किसने दिलाया था यह भी क्षेत्र के लोग जानते हैं। कुल मिलाकर राज्य में पिछले कुछ दिनों से अपने आपको जनता का सेवक कहने वाले राजनेताओं में अब जनता और अधिकारियों के प्रति जो दबंगाई सिर चढ़कर बोल रही है उसके परिणामों को लेकर संघ और स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चिंतत हैं यदि समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति क्या होगी यह तो भविष्य बताएगा।
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