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जबलपुर। प्रदेश के वकील अपने लिए जिस एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, वह कमोबेश संशोधन के साथ यदि लागू हो गया, तो वकीलों को धमकी देना भी गैरजमानती अपराध हो जाएगा। इसके अलावा न्यायिक व्यवसाय करने वालों पर हमला, मारपीट, अपराधिक बल प्रयोग, डांट-डपट करना भी तीन माह के कारवास से दंडनीय व संज्ञेय अपराध माना जाएगा। प्रस्तावित एक्ट का स्वरूप कैसा होगा, हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित समिति 25 सितंबर तक यह रिपोर्ट पेश करेगी।
2012 में स्टेट बार काउंसिल के तात्कालिक अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट का यह मसौदा मप्र विधि व्यवसायी सुरक्षा विधेयक 2012 के नाम से तैयार किया था। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। इसकी धारा 3 में प्रावधान है कि वकीलों को धमकी देना, उन पर हमला, अपराधिक बलप्रयोग या डांट-डपट करना गैरजमानती अपराध माने जाएंगे। इसके लिए सजा का प्रावधान धारा 4 में किया गया है। इसके तहत धारा 3 में वर्णित किसी भी अपराध के लिए तीन माह सश्रम कारावास और, या दस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
जबलपुर। प्रदेश के वकील अपने लिए जिस एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, वह कमोबेश संशोधन के साथ यदि लागू हो गया, तो वकीलों को धमकी देना भी गैरजमानती अपराध हो जाएगा। इसके अलावा न्यायिक व्यवसाय करने वालों पर हमला, मारपीट, अपराधिक बल प्रयोग, डांट-डपट करना भी तीन माह के कारवास से दंडनीय व संज्ञेय अपराध माना जाएगा। प्रस्तावित एक्ट का स्वरूप कैसा होगा, हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित समिति 25 सितंबर तक यह रिपोर्ट पेश करेगी।
2012 में स्टेट बार काउंसिल के तात्कालिक अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट का यह मसौदा मप्र विधि व्यवसायी सुरक्षा विधेयक 2012 के नाम से तैयार किया था। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। इसकी धारा 3 में प्रावधान है कि वकीलों को धमकी देना, उन पर हमला, अपराधिक बलप्रयोग या डांट-डपट करना गैरजमानती अपराध माने जाएंगे। इसके लिए सजा का प्रावधान धारा 4 में किया गया है। इसके तहत धारा 3 में वर्णित किसी भी अपराध के लिए तीन माह सश्रम कारावास और, या दस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
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