अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । यूँ तो मध्यप्रदेश में बचपन से लेकर पचपन तक के लोगों के हितों के कल्याण के लिये तमाम तरह की योजनायें भाजपा सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द जो अधिकारियों का काकस बना हुआ है, वह काकस मुख्यमंत्री की हर मंशा को पलीता लगाने में लगा रहता है, राज्य में बच्चों के मामले में जितनी लापरवाही मुख्यमंत्री के इन चहेते अधिकारियों द्वारा बरती जा रही है
उसके चलते राज्य के माथे पर लगा कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं दूसरी ओर राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के लक्ष्मी दर्शन के फेर के चलते राज्य में स्थापित उद्योगों की चिमनियां जिस तरह से प्रदूषण का जहर फैला रही हैं उसके चलते राज्य के सतना, शहडोल, राीवा, सीधी, सिंगरौली और चितरंगी में पैदा होने वाले बच्चे प्रदूषण के कारण इतनी बीमारिया अपने साथ लेकर आ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी लक्ष्मी दर्शन के फेर में उलझे मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारियों का लक्ष्मी दर्शन का माहे नहीं छूट पा रहा है, राज्य में यूँ तो कुपोषण कई जिलों में व्यााप्त है और इस कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये राज्य सरकार के कर्ज में डूबे खजाने से करोड़ों रुपये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर कुपोषण के नाम पर खर्च किये गये
लेकिन यह पैसा कुपोषित बच्चों पर तो खर्च नहीं हुआ बल्कि प्रदेश के नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के इस निवाले पर डाका डाल ने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के चहेते एसके मिश्रा, एामपी एग्रो कारपोरेशन लिमिटेड और ठेकेदारों राजनेताओं के रैकेट ने अपनी तिजेरी भर ली, जिसका खुलासा हाल ही में पड़े आयकर के छापे से उजागर हुआ लेकिन मजे की बात यह है कि इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी को जरा भी इस बात का अफसोस नहीं है कि उनकी करगुजारी के चलते प्रदेश के नैनिहालों की क्या स्थिति है और न ही मुख्यमंत्री के द्वारा अपने चहेते अधिकारी पर कोई कार्यवाही करने की पहल की इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चााएं व्यप्त हैं तो लोग यक हकते हुए नजर आ रहे हैं कि आखिर यह फैसा गया कहाँ है,
इसवकी जांच किसी निष्पक्ष एजंसी से कराना चाहिए लेकिन ऐसा लगता नहीं है हालांकि सबकुछ लुटाकर होश में आने वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के शासनकाल में चल रही कुपोषण मिटाने की योजना को पुन: लागू करने की घोषणा की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस एमपी एग्रो के द्वारा राज्य में कपोषण मिटाने की कमान उनके पास थी तो वह अपनी इस जिम्मेदारी का ठीक से निर्वाहन ठीक से नहीं कर पाए और राज्य के कर्ज के बोझ के दले खजाने से करोड़ों रुपये इन चहेते अधिकारियां की लापरवाही और मिलीभगत के चलते यह सब बच्चों और गर्भवती महिलाओं के नाम पर घोटाला हुआ है उन सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर मुख्यमंत्री कार्यवाही करने से क्यों हिचक रहे हैं
हालांकि इस मुद्दे को भटकाने के लिये मुख्यमंत्री द्वारा कुपोषण के मामले में श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है, सवाल यह उठता है कि सरकारी द्वारा जारी करने वाले श्ेवत पत्र में क्या वह अपने चहेते अधिकारियों की कारगुजारी को उजागर करेंगे और जिन अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत से राज्य में अभी तक जितने भी कुपोषण की चपेट में आकर जो बच्चे काल के गाल में समा गये उनकी मौत के लिये इन अपने चहेते अधिकारियों को दोषी करार देते हुए आपराधिक मामला दर्ज कराने का भी उस श्वेत पत्र में खुलासा करेंगे तो वहीं एमपी एग्रो में कार्यरत अपने चहेते अधिकारी के खिलाफ के द्वारा की गई लापरवाही का विस्तृत विवरण उस श्वेत पत्र में आएगा,
हालांकि श्वेत पत्र को लेकर यह सवाल भी उठने लगे हैं कि जिस तरह से व्यापमं, डीमेट के बाद हाल ही में हुआ लेपटाप घोटाला जैसे तमाम घोटाले जो इन अधिकारियों की कारगुजारी के चलते राज्य में अभी तक घटित हुए हैं उसी प्रकार यह कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के नाम पर किये गये घोटालों पर भी पर्दा डालने का प्रयास श्वेत पत्र जारी करने के नाम पर सरकार द्वारा किये जाने की एक असफल कोशिश की जा रही है लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री ने श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है तो वह श्वेत पत्र जारी होगा लेकिन वह कैसा होगा और उसमें कुपोषण के लिये जिम्मेदार किन ठेकेदारों और अधिकारियों के रैकेट का किस तरह से खुलासा होगा इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
भोपाल । यूँ तो मध्यप्रदेश में बचपन से लेकर पचपन तक के लोगों के हितों के कल्याण के लिये तमाम तरह की योजनायें भाजपा सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द जो अधिकारियों का काकस बना हुआ है, वह काकस मुख्यमंत्री की हर मंशा को पलीता लगाने में लगा रहता है, राज्य में बच्चों के मामले में जितनी लापरवाही मुख्यमंत्री के इन चहेते अधिकारियों द्वारा बरती जा रही है
उसके चलते राज्य के माथे पर लगा कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं दूसरी ओर राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के लक्ष्मी दर्शन के फेर के चलते राज्य में स्थापित उद्योगों की चिमनियां जिस तरह से प्रदूषण का जहर फैला रही हैं उसके चलते राज्य के सतना, शहडोल, राीवा, सीधी, सिंगरौली और चितरंगी में पैदा होने वाले बच्चे प्रदूषण के कारण इतनी बीमारिया अपने साथ लेकर आ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी लक्ष्मी दर्शन के फेर में उलझे मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारियों का लक्ष्मी दर्शन का माहे नहीं छूट पा रहा है, राज्य में यूँ तो कुपोषण कई जिलों में व्यााप्त है और इस कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये राज्य सरकार के कर्ज में डूबे खजाने से करोड़ों रुपये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर कुपोषण के नाम पर खर्च किये गये
लेकिन यह पैसा कुपोषित बच्चों पर तो खर्च नहीं हुआ बल्कि प्रदेश के नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के इस निवाले पर डाका डाल ने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के चहेते एसके मिश्रा, एामपी एग्रो कारपोरेशन लिमिटेड और ठेकेदारों राजनेताओं के रैकेट ने अपनी तिजेरी भर ली, जिसका खुलासा हाल ही में पड़े आयकर के छापे से उजागर हुआ लेकिन मजे की बात यह है कि इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी को जरा भी इस बात का अफसोस नहीं है कि उनकी करगुजारी के चलते प्रदेश के नैनिहालों की क्या स्थिति है और न ही मुख्यमंत्री के द्वारा अपने चहेते अधिकारी पर कोई कार्यवाही करने की पहल की इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चााएं व्यप्त हैं तो लोग यक हकते हुए नजर आ रहे हैं कि आखिर यह फैसा गया कहाँ है,
इसवकी जांच किसी निष्पक्ष एजंसी से कराना चाहिए लेकिन ऐसा लगता नहीं है हालांकि सबकुछ लुटाकर होश में आने वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के शासनकाल में चल रही कुपोषण मिटाने की योजना को पुन: लागू करने की घोषणा की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस एमपी एग्रो के द्वारा राज्य में कपोषण मिटाने की कमान उनके पास थी तो वह अपनी इस जिम्मेदारी का ठीक से निर्वाहन ठीक से नहीं कर पाए और राज्य के कर्ज के बोझ के दले खजाने से करोड़ों रुपये इन चहेते अधिकारियां की लापरवाही और मिलीभगत के चलते यह सब बच्चों और गर्भवती महिलाओं के नाम पर घोटाला हुआ है उन सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर मुख्यमंत्री कार्यवाही करने से क्यों हिचक रहे हैं
हालांकि इस मुद्दे को भटकाने के लिये मुख्यमंत्री द्वारा कुपोषण के मामले में श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है, सवाल यह उठता है कि सरकारी द्वारा जारी करने वाले श्ेवत पत्र में क्या वह अपने चहेते अधिकारियों की कारगुजारी को उजागर करेंगे और जिन अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत से राज्य में अभी तक जितने भी कुपोषण की चपेट में आकर जो बच्चे काल के गाल में समा गये उनकी मौत के लिये इन अपने चहेते अधिकारियों को दोषी करार देते हुए आपराधिक मामला दर्ज कराने का भी उस श्वेत पत्र में खुलासा करेंगे तो वहीं एमपी एग्रो में कार्यरत अपने चहेते अधिकारी के खिलाफ के द्वारा की गई लापरवाही का विस्तृत विवरण उस श्वेत पत्र में आएगा,
हालांकि श्वेत पत्र को लेकर यह सवाल भी उठने लगे हैं कि जिस तरह से व्यापमं, डीमेट के बाद हाल ही में हुआ लेपटाप घोटाला जैसे तमाम घोटाले जो इन अधिकारियों की कारगुजारी के चलते राज्य में अभी तक घटित हुए हैं उसी प्रकार यह कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के नाम पर किये गये घोटालों पर भी पर्दा डालने का प्रयास श्वेत पत्र जारी करने के नाम पर सरकार द्वारा किये जाने की एक असफल कोशिश की जा रही है लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री ने श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है तो वह श्वेत पत्र जारी होगा लेकिन वह कैसा होगा और उसमें कुपोषण के लिये जिम्मेदार किन ठेकेदारों और अधिकारियों के रैकेट का किस तरह से खुलासा होगा इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
No comments:
Post a Comment