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नई दिल्ली: दीवाली हो या होली चांदी वर्क वाली ये मिठाईयां खाई भी जाती हैं और मेहमान नवाजी में खूब खिलाई भी जाती हैं. कुछ लोग खूबसूरती के लिए ये मिठाईयां घर लाते हैं तो कुछ ये सोचकर कि आपकी सेहत में ये चांदी इजाफा कर सकती है. आप इतना कुछ सोचते हैं लेकिनi क्या आप ये जानते हैं कि चांदी की ये चमक तैयार कैसे होती है.
मिठाई पर हमने जो पड़ताल की है उसे देखने के बाद आप मिठाई खाने से पहले सौ बार सोचेंगे. हो सकता है खाना ही छोड़ दें. हमारी पड़ताल में खुलासा हुआ है कि आपको मांसाहारी मिठाई परोसी जा रही है. सजावट के लिए लगाया जाने वाला चांदी का वर्क असलियत में जानवर की खाल से बनता है.
चांदी के वर्क वाली मिठाई दिखने में जितनी सुंदर है. उसी चांदी के वर्क के बनने की कहानी बेहद ही घिनौनी है. सालों से लोग वर्क लगी मिठाई को शाकाहारी समझ कर खा रहे हैं. लेकिन इसी शाकाहारी मिठाई की हकीकत आपको हिला देगी. तस्वीरें देखकर आप विचलित हो सकते हैं लेकिन इन्हें देखना आपके लिए जरूरी हैं.
एबीपी न्यूज संवाददाता विनीता यादव ने यूपी के मेरठ आगरा और संभल में बड़ी पड़ताल की है. मिठाई में लिपटी चांदी की चमक के पीछे है ये भेड़ की खाल?
एबीपी न्यूज ने खुलासा किया है कि जिस चांदी के वर्क चढ़ी मिठाई को शाकाहारी समझ कर आप बरसों से खा रहे हैं वो दरअसल शाकाहारी नहीं है
जानवर के अंश का इस्तेमाल करके चांदी का वर्क बनाया जाता है
यूपी के आगरा से लेकर संभल और मेरठ तक चांदी के वर्क के कारोबार की पड़ताल एबीपी न्यूज ने की है
सरकार ने भी नोटिफिकेशन जारी करके चांदी के वर्क में जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है
यहां देखिए एबीपी न्यूज की ये आंखे खोल देने वाली रिपोर्ट-
बता दें कि देश में चांदी के वर्क की सालाना मांग करीब 275 टन की है. चांदी के वर्क का कारोबार फिलहाल भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में है जो कि पूरी तरह असंगठित क्षेत्र के हाथ में है. यही वजह है कि इसके कारोबार का सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है.
चांदी का बाजार
परंपरागत रूप से देश में चांदी का वर्क बूचड़खानों से ली गई जानवरों की खालों और उनकी आंतों के बीच रखकर हथौड़ों से पीटकर तैयार किया जाता है. इसके अलावा विदेशी मशीनों से भी चांदी का वर्क तैयार होता है, इसमें एक स्पेशल पेपर और पॉलिएस्टर कोटेड शीट के बीच चांदी को रखकर उसके वर्क का पत्ता तैयार होता है. इसमें जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं किया जाता. चूंकि ये मशीनें महंगी हैं और देश में गिनी चुनी कंपनियों के पास ही हैं ऐसे में इनका चांदी का वर्क महंगा भी पड़ता है और कम भी. एक अनुमान के मुताबिक देश में 90 फीसदी चांदी का वर्क पुराने तरीके से जानवरों के अंश का इस्तेमाल करके बनता है जबकि 10 फीसदी मशीनों से तैयार होता है.
सरकारी आदेश का असर
सरकार ने चांदी के वर्क को बनाने में जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य और फूड एक्सपर्ट बिजॉन मिश्रा का भी कहना है कि चांदी के वर्क बेचते समय बताना चाहिए कि ये मांसाहारी है या शाकाहारी. इसके पैकेट पर हरा और लाल निशान होना चाहिए.
ABP news se sabhar janhit me jari
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