अवधेश पुरोहित @ toc News
भोपाल । पता नहीं मध्यप्रदेश में हावी नौकरशाही और बेलगाम अफसरों को आखिर क्या हो गया जो अब वह अपने ही विभाग के मंत्रियों पर निशाना साधने में पीछे नहीं रह रहे हैं। हालांकि प्रदेश में हावी होती अफसरशाही और बेलगाम अफसरों पर शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से लेकर ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव सहित तमाम विधायक और जनप्रतिनिधियों के द्वारा निशाना साधा जा चुका है। यही नहीं संघ भी प्रदेश में हावी नौकरशाही के कारण भाजपा सरकार की गिरती साख को लेकर परेशान है और इस मुद्दे को लेकर मंथन, चिंतन और मनन करने में लगा हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में हावी नौकरशाही पर लगाम लगती नजर नहीं आ रही है, स्थिति यह है कि राज्य में अफसरशाही कुछ भी कहने और करने से नहीं चूक रही है, राज्य में स्थिति इस तरह से बिगड़ गई है कि अब विभागीय मंत्री पर निशाना साधने में पीछे नहीं रह रही है,
ऐसा ही कुछ इंदौर प्रवास पर गए परिवहन आयुक्त से जब पूछा गया कि उनके द्वारा परिवहन मंत्री की तरह बसों की जाँच क्यों नहीं की जा रही है तो उन्होंने बिना किसी का नाम लिये यह कहने में हिचक नहीं की कि अखबारों में इतनी बार नाम छप गए कि अब छपास की इच्छा नहीं है। इसके उलट परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह सड़क मार्ग से यात्रा के दौरान काफिले को रोककर बसों की जाँच करने के साथ ही यात्रियों से उनकी परेशानी भी पूछने का अभियान चलाए हुए हैं। उनकी इस पहल की वजह से उनके फोटो अखबरों में छपने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी आयेदिन वायरल हो रहे हैं तो वहीं प्रदेश के कर्जदार और खाली खजाने की भी लगातार आय बढ़ रही है, परिवहन मंत्री की इस पहल को लेकर जहां आम यात्रियों द्वारा इसकी सराहना की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर ऐसा लगता है कि परिवहन मंत्री के इस अभियान से उनके विभाग के आयुक्त से लेकर उन कर्मचारियों को परेशानी हो रही है जिनके लक्ष्मी दर्शन के चलते राज्य में नियम कायदे और कानूनों को ताक में रखकर खटारा बसें सड़क पर दौड़ती नजर आ रही हैं,
तो वहीं परिवहन मंत्री के इस अभियान के दौरान यह बात भी सामने आई कि परिवहन अमले के द्वारा बसों की चेकिंग ठीक से न करने के कारण यात्रियों को बस की क्षमता से कई गुना भेड़ बकरियों की तरह भरकर बसें प्रदेश में धड़ल्ले से चल रही हैं। परिवहन मंत्री की इस व्यवस्था से जहां ऐसे बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों को क्षणिक राहत तो मिल ही रही है तो वहीं यह बात भी उजागर हुई कि भाजपा नेताओं की बसें बिना परमिट और बिना परिवहन के नियमों के कानूना का पालन किये ऐसी बसों का संचालन हो रहा है, परिवहन मंत्री के इस अभियान के बाद शायद यही वजह है कि राज्य के बस संचालकों में एक हड़कंप सा मच गया है और उन्होंने परिवहन मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है।
परिवहन और गृह मंत्री द्वारा चलाये जा रहे शराब माफियाओं और बस संचालकों में जहां हड़कंप मची हुई है तो वहीं इस तरह के कारोबार से जुड़े बस संचालक जिनमें वर्तमान में भाजपा के कई नेता भी शामिल हैं। अब परिवहन मंत्री के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। परिवहन मंत्री के इस अभियान से ऐसा लगता है कि परिवहन आयुक्त की व्यवस्था की पोल खुलती नजर आई है जिसकी वजह से वह अपने ही विभाग के मंत्री के खिलाफ असंतुष्ट से दिखाई दे रहे हैं, उनके द्वारा परिवहन मंत्री की अभियान क ा विरोध इस रूप में करना कि अखबारों में इतनी बार नाम छप गए हैं कि अब छपास की इच्छा नहीं रही है, यह प्रमाणित करता है कि कहीं न कहीं अपने विभाग के मंत्री के इस अभियान से परिवहन आयुक्त से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खुलती नजर आ रही है और शायद इसी वजह से वह प्रत्यक्ष नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन मंत्री के खिलाफ इस तरह से विरोध करते नजर आ रहे हैं।
भोपाल । पता नहीं मध्यप्रदेश में हावी नौकरशाही और बेलगाम अफसरों को आखिर क्या हो गया जो अब वह अपने ही विभाग के मंत्रियों पर निशाना साधने में पीछे नहीं रह रहे हैं। हालांकि प्रदेश में हावी होती अफसरशाही और बेलगाम अफसरों पर शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से लेकर ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव सहित तमाम विधायक और जनप्रतिनिधियों के द्वारा निशाना साधा जा चुका है। यही नहीं संघ भी प्रदेश में हावी नौकरशाही के कारण भाजपा सरकार की गिरती साख को लेकर परेशान है और इस मुद्दे को लेकर मंथन, चिंतन और मनन करने में लगा हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में हावी नौकरशाही पर लगाम लगती नजर नहीं आ रही है, स्थिति यह है कि राज्य में अफसरशाही कुछ भी कहने और करने से नहीं चूक रही है, राज्य में स्थिति इस तरह से बिगड़ गई है कि अब विभागीय मंत्री पर निशाना साधने में पीछे नहीं रह रही है,
ऐसा ही कुछ इंदौर प्रवास पर गए परिवहन आयुक्त से जब पूछा गया कि उनके द्वारा परिवहन मंत्री की तरह बसों की जाँच क्यों नहीं की जा रही है तो उन्होंने बिना किसी का नाम लिये यह कहने में हिचक नहीं की कि अखबारों में इतनी बार नाम छप गए कि अब छपास की इच्छा नहीं है। इसके उलट परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह सड़क मार्ग से यात्रा के दौरान काफिले को रोककर बसों की जाँच करने के साथ ही यात्रियों से उनकी परेशानी भी पूछने का अभियान चलाए हुए हैं। उनकी इस पहल की वजह से उनके फोटो अखबरों में छपने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी आयेदिन वायरल हो रहे हैं तो वहीं प्रदेश के कर्जदार और खाली खजाने की भी लगातार आय बढ़ रही है, परिवहन मंत्री की इस पहल को लेकर जहां आम यात्रियों द्वारा इसकी सराहना की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर ऐसा लगता है कि परिवहन मंत्री के इस अभियान से उनके विभाग के आयुक्त से लेकर उन कर्मचारियों को परेशानी हो रही है जिनके लक्ष्मी दर्शन के चलते राज्य में नियम कायदे और कानूनों को ताक में रखकर खटारा बसें सड़क पर दौड़ती नजर आ रही हैं,
तो वहीं परिवहन मंत्री के इस अभियान के दौरान यह बात भी सामने आई कि परिवहन अमले के द्वारा बसों की चेकिंग ठीक से न करने के कारण यात्रियों को बस की क्षमता से कई गुना भेड़ बकरियों की तरह भरकर बसें प्रदेश में धड़ल्ले से चल रही हैं। परिवहन मंत्री की इस व्यवस्था से जहां ऐसे बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों को क्षणिक राहत तो मिल ही रही है तो वहीं यह बात भी उजागर हुई कि भाजपा नेताओं की बसें बिना परमिट और बिना परिवहन के नियमों के कानूना का पालन किये ऐसी बसों का संचालन हो रहा है, परिवहन मंत्री के इस अभियान के बाद शायद यही वजह है कि राज्य के बस संचालकों में एक हड़कंप सा मच गया है और उन्होंने परिवहन मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है।
परिवहन और गृह मंत्री द्वारा चलाये जा रहे शराब माफियाओं और बस संचालकों में जहां हड़कंप मची हुई है तो वहीं इस तरह के कारोबार से जुड़े बस संचालक जिनमें वर्तमान में भाजपा के कई नेता भी शामिल हैं। अब परिवहन मंत्री के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। परिवहन मंत्री के इस अभियान से ऐसा लगता है कि परिवहन आयुक्त की व्यवस्था की पोल खुलती नजर आई है जिसकी वजह से वह अपने ही विभाग के मंत्री के खिलाफ असंतुष्ट से दिखाई दे रहे हैं, उनके द्वारा परिवहन मंत्री की अभियान क ा विरोध इस रूप में करना कि अखबारों में इतनी बार नाम छप गए हैं कि अब छपास की इच्छा नहीं रही है, यह प्रमाणित करता है कि कहीं न कहीं अपने विभाग के मंत्री के इस अभियान से परिवहन आयुक्त से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खुलती नजर आ रही है और शायद इसी वजह से वह प्रत्यक्ष नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन मंत्री के खिलाफ इस तरह से विरोध करते नजर आ रहे हैं।
No comments:
Post a Comment