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बैतूल।। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की 54 आदर्श आंगनवाड़ियों की तदर्थ समितियों को मोहरा बनाकर 27 लाख की सामग्री खरीदी घोटाले को अंजाम देने वाले जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) के खिलाफ नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर ने कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं। सामग्री खरीदी में घोटाला करने के कारण बैतूल के डीपीओ डीएस मीणा के 3 वार्षिक इंक्रीमेंट तत्काल प्रभाव से रोक दिए गए और 27 लाख की राशि का 50 प्रतिशत वसूल करने के आदेश दिए गए हैं। इस घोटाले में संलिप्तता पाए जाने पर जिले के 11 परियोजना अधिकारी को शोकॉज नोटिस थमाकर 7 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर उमाकांत उमराव ने 30 जनवरी को जारी किए अपने आदेश में कहा है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा बैतूल ने शासन के निर्देशों के विपरीत भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन करते हुए 27 लाख रुपए की सामग्री की खरीदी की है। शासकीय राशि की क्षति व वित्तीय अनियमितता किए जाने के कारण मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 10(चार) के तहत जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस मीणा की तीन वार्षिक वेतनवृद्घि असंचयी प्रभाव से रोके जाने की शास्ति अधिरोपित की जाती है। इसके साथ ही सामग्री खरीदी में किए गए 27 लाख के भुगतान में से 50 प्रतिशत राशि की ब्याज सहित वसूली का दंड अधिरोपित किया जाता है। आदेश में कहा गया है कि शासकीय धन के दुरूपयोग की वसूली नियमानुसार करने के लिए संयुक्त संचालक बाल विकास सेवा नर्मदापुरम संभाग को अधिकृत किया जाता है।
जिले के 11 परियोजना अधिकारियों को शोकॉज नोटिस
सामग्री खरीदी घोटाले में संलिप्तता पाए जाने के कारण जिले के 11 परियोजना अधिकारियों को भी शोकॉज नोटिस जारी कर दिए गए हैं। नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर उमाकांत उमराव ने जारी आदेश में कहा है कि नियम विरुद्घ तरीके से 27 लाख रुपए की सामग्री क्रय की गई और सामग्री 11 परियोजनाओं में उपलब्ध कराई गई। इससे स्पष्ट है कि आप भी उक्त क्रय की गई सामग्री की अनियमितता में संलिप्त हैं। क्यों न आपके खिलाफ सिविल सेवा के तहत एक वार्षिक वेतनवृद्घि रोकने और कुल क्रय की गई सामग्री की राशि का 50 प्रतिशत वसूली की कार्रवाई की जाए। नोटिस में कहा गया है कि 7 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत किया जाए अन्यथा एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
सामग्री लौटाने वाले परियोजना अधिकारी बचे
बैतूल जिले में केवल आठनेर परियोजना अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल नहीं रहे। आठनेर परियोजना में जब सामग्री की सप्लाई की गई थी तब परियोजना अधिकारी ने उसे वापस लौटा दिया था जिसके चलते वे किसी कार्रवाई का शिकार होने से बच गए।
क्या है पूरा मामला
जिले की 54 आदर्श आंगनवाड़ियों में चटाई, कुर्सी,बर्तन से लेकर दीवार खड़ी जैसी 18 सामग्री की खरीदी करने के लिए 27 लाख रुपए का आवंटन जारी किया गया है। हर आंगनवाड़ी में इस सामग्री की खरीदी ग्राम तदर्थ समिति के माध्यम से करने के लिए 50 हजार रुपए तक की सीमा तय कर दी गई है। इस आदेश को ताक पर रखते हुए एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा हर आंगनवाड़ी केन्द्र की समिति से इटारसी की 2 फर्मों के नाम पर सामग्री की सप्लाई के आदेश मंगा लिए गए हैं। इन समितियों को न तो यह पता है कि कौन-कौन सी सामग्री की खरीदी हो रही है और ना ही कहां से खरीदी की जा रही है इसके बारे में कुछ पता है। सप्लाई आदेश में बच्चों के उपयोग की 10 सामग्रियों का उल्लेख किया गया लेकिन न तो उनके दाम लिखे गए हैं और ना ही सामग्री के मापदंड ही हैं। प्लास्टिक की 4 चटाई सप्लाई करने का उल्लेख तो किया गया लेकिन उसका ना साईज है और न कीमत। एक पानी की टंकी की सप्लाई करने का उल्लेख आदेश में है लेकिन उसकी क्षमता और दाम गायब हैं। इस पूरे घोटाले के सितंबर माह में उजागर हुआ था और उसके बाद विभाग कमिश्नर पुष्पलता सिंह ने जांच के आदेश जारी किए थे। जांच में पूरा घोटाला उजागर होने के बाद जांच अधिकारी संयुक्त संचालक एकीकृत बाल विकास सेवा एनएस तोमर ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया। इसके बाद नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर ने 30 जनवरी 2017 को कठोर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।
तबादले के बाद भी नहीं किया रिलीव
सामग्री खरीदी घोटाले में दोषी पाए जाने के कारण 25 जनवरी को डीपीओ का तबादला कर दिया गया है। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने उन्हें अब तक रिलीव करने की जहमत नहीं उठाई है।
बैतूल।। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की 54 आदर्श आंगनवाड़ियों की तदर्थ समितियों को मोहरा बनाकर 27 लाख की सामग्री खरीदी घोटाले को अंजाम देने वाले जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) के खिलाफ नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर ने कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं। सामग्री खरीदी में घोटाला करने के कारण बैतूल के डीपीओ डीएस मीणा के 3 वार्षिक इंक्रीमेंट तत्काल प्रभाव से रोक दिए गए और 27 लाख की राशि का 50 प्रतिशत वसूल करने के आदेश दिए गए हैं। इस घोटाले में संलिप्तता पाए जाने पर जिले के 11 परियोजना अधिकारी को शोकॉज नोटिस थमाकर 7 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर उमाकांत उमराव ने 30 जनवरी को जारी किए अपने आदेश में कहा है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा बैतूल ने शासन के निर्देशों के विपरीत भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन करते हुए 27 लाख रुपए की सामग्री की खरीदी की है। शासकीय राशि की क्षति व वित्तीय अनियमितता किए जाने के कारण मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 10(चार) के तहत जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस मीणा की तीन वार्षिक वेतनवृद्घि असंचयी प्रभाव से रोके जाने की शास्ति अधिरोपित की जाती है। इसके साथ ही सामग्री खरीदी में किए गए 27 लाख के भुगतान में से 50 प्रतिशत राशि की ब्याज सहित वसूली का दंड अधिरोपित किया जाता है। आदेश में कहा गया है कि शासकीय धन के दुरूपयोग की वसूली नियमानुसार करने के लिए संयुक्त संचालक बाल विकास सेवा नर्मदापुरम संभाग को अधिकृत किया जाता है।
जिले के 11 परियोजना अधिकारियों को शोकॉज नोटिस
सामग्री खरीदी घोटाले में संलिप्तता पाए जाने के कारण जिले के 11 परियोजना अधिकारियों को भी शोकॉज नोटिस जारी कर दिए गए हैं। नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर उमाकांत उमराव ने जारी आदेश में कहा है कि नियम विरुद्घ तरीके से 27 लाख रुपए की सामग्री क्रय की गई और सामग्री 11 परियोजनाओं में उपलब्ध कराई गई। इससे स्पष्ट है कि आप भी उक्त क्रय की गई सामग्री की अनियमितता में संलिप्त हैं। क्यों न आपके खिलाफ सिविल सेवा के तहत एक वार्षिक वेतनवृद्घि रोकने और कुल क्रय की गई सामग्री की राशि का 50 प्रतिशत वसूली की कार्रवाई की जाए। नोटिस में कहा गया है कि 7 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत किया जाए अन्यथा एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
सामग्री लौटाने वाले परियोजना अधिकारी बचे
बैतूल जिले में केवल आठनेर परियोजना अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल नहीं रहे। आठनेर परियोजना में जब सामग्री की सप्लाई की गई थी तब परियोजना अधिकारी ने उसे वापस लौटा दिया था जिसके चलते वे किसी कार्रवाई का शिकार होने से बच गए।
क्या है पूरा मामला
जिले की 54 आदर्श आंगनवाड़ियों में चटाई, कुर्सी,बर्तन से लेकर दीवार खड़ी जैसी 18 सामग्री की खरीदी करने के लिए 27 लाख रुपए का आवंटन जारी किया गया है। हर आंगनवाड़ी में इस सामग्री की खरीदी ग्राम तदर्थ समिति के माध्यम से करने के लिए 50 हजार रुपए तक की सीमा तय कर दी गई है। इस आदेश को ताक पर रखते हुए एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा हर आंगनवाड़ी केन्द्र की समिति से इटारसी की 2 फर्मों के नाम पर सामग्री की सप्लाई के आदेश मंगा लिए गए हैं। इन समितियों को न तो यह पता है कि कौन-कौन सी सामग्री की खरीदी हो रही है और ना ही कहां से खरीदी की जा रही है इसके बारे में कुछ पता है। सप्लाई आदेश में बच्चों के उपयोग की 10 सामग्रियों का उल्लेख किया गया लेकिन न तो उनके दाम लिखे गए हैं और ना ही सामग्री के मापदंड ही हैं। प्लास्टिक की 4 चटाई सप्लाई करने का उल्लेख तो किया गया लेकिन उसका ना साईज है और न कीमत। एक पानी की टंकी की सप्लाई करने का उल्लेख आदेश में है लेकिन उसकी क्षमता और दाम गायब हैं। इस पूरे घोटाले के सितंबर माह में उजागर हुआ था और उसके बाद विभाग कमिश्नर पुष्पलता सिंह ने जांच के आदेश जारी किए थे। जांच में पूरा घोटाला उजागर होने के बाद जांच अधिकारी संयुक्त संचालक एकीकृत बाल विकास सेवा एनएस तोमर ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया। इसके बाद नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर ने 30 जनवरी 2017 को कठोर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।
तबादले के बाद भी नहीं किया रिलीव
सामग्री खरीदी घोटाले में दोषी पाए जाने के कारण 25 जनवरी को डीपीओ का तबादला कर दिया गया है। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने उन्हें अब तक रिलीव करने की जहमत नहीं उठाई है।
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