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- चार जांच चौकियों पर 400 ट्रिप में डंपरों से रोजाना वसूली जाती है Rs.16 लाख की रिश्वत एक फीट पटिया लगाकर 100 घन फीट रेत ज्यादा भरते हैं
- अफसरों को कार्रवाई के लिए दिया फ्री हेंड सीधी बात आिखर कब रुकेगी नर्मदा की रेत चोरी एक ट्रिप पर दो हजार देकर 6800 रुपए की रेत ओवरलोड में लाने का लाइसेंस
भोपाल. अवैध रेत खनन और अोवर लोड के कारण पकड़े गए डंपर मालिक बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। उनके बेलगाम कारोबार पर असर पड़ा है। दो दिन से 73 डंपर खड़े हुए हैं।
उनका कहना है कि रसूखदार नेताओं के संरक्षण में चल रहे डंपरों को कभी कोई छूता तक नहीं। हम अचानक कैसे अवैध हो गए? दैनिक भास्कर ने नर्मदा की रेत की इस खुलेआम चोरी के अर्थतंत्र को इन्हीं से समझा। नाम न छापने की शर्त पर इस ऑपरेशन के अनुभवी कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार हर दिन ट्रक-डंपरों की 400 ट्रिप से चार कमाऊ चौकियों पर बंटने वाली रिश्वत की रकम ही 16 लाख रुपए है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर नर्मदा की रेत चोरी के इस कारोबार पर सख्ती शुरू हुई है। अगर विभागीय अफसर उनकी मंशा के मुताबिक पक्षपात से दूर रहकर कार्रवाई करेंगे तो अवैध रेत खनन रुकेगा।
राजेन्द्र शुक्ल, खनिज मंत्री
होशंगाबाद से भोपाल के बीच चार जिलों के चैक पोस्ट हैं।
ओवरलोड डंपर दो हजार रुपए रिश्वत देते हैं।
आपको पता है? इसमें जो भी लोग शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वरिष्ठ अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई है।
पकड़े गए डंपर वालों का कहना है बड़े खिलाड़ियों को राजनीतिक संरक्षण है। उनका बाल बांका नहीं होता।
हमने अफसरों को कार्रवाई के लिए फ्री हेंड किया है। किसी के संरक्षण का तो सवाल ही नहीं उठता।
एक बार कार्रवाई करने के बाद फिर मामला ठंडा हाे जाता है। यह समस्या हमेशा की है। जिस तरह से प्रशासन ने बड़ी संख्या में ओवर लोडेड डंपर पकड़े हैं। पूरे प्रदेश में कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
तब डंपर को करते हैं पास
होशंगाबाद से भोपाल तक रेत चार जिलों के बैरियर से पास होकर अाती है। चौकियों पर अफसरों की मिलीभगत के कारणओवरलोड डंपर पास हो जाते हैं।
विजय सनोडिया, मीडिया प्रभारी,
भोपाल सेंड ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन
25 के बजाय ढो रहे 40 टन रेत
25 टन रेत ढोने की क्षमता वाले डंपरों में 40 टन तक रेत ढोई जाती है। दस टायर वाले डंपरों को कोल माइन्स के लिए डिजाइन किया जाता है। लेकिन अारटीओ से रेत ढोने की मंजूरी है। इसे लेकर एनजीटी में भी मामला है। इसके कारण सबसे बड़ा नुकसान बार-बार मिटने वाली सड़कों को भी है।
रिश्वत चुकाते ही जांच से मुक्त जांच :
होशंगाबाद से भेापाल के बीच चार जिलों की खनिज जांच चौकियां रास्ते मेंं हैं- होशंगाबाद में भोपाल तिराहा, गडरिया नाला सीहोर, बंसल पुलिया रायसेन अौर 11 मील भोपाल में है। हरेक चौकी पर 500 रुपए की रकम तय।
रोजाना दो ट्रिप में 400 ट्रकों का मूवमेंट।
सुविधा:
जब तक यह भुगतान नहीं होता, न तो रॉयल्टी पर सील लगती और न ही डंपर आगे बढ़ते। फिर न तो डंपर के वजन की जांच होती और न यह देखा जाता कि रेत के अलावा इसमें और क्या जा रहा है।
नुकसान:
- इन चारों पोस्टों से गुजरने के बाद रेत दो हजार रुपए महंगी हो जाती है। रिश्वत का यह बोझ जनता पर।
- इस मिलीभगत में इनकी दलीलओवर लोड न करें तो खर्च ही नहीं निकलता।
- 500 घन फीट रेत की बाजार में कीमत 17000 रुपए है।
- इसमें 7 हजार रुपए रॉयल्टी, दो हजार रुपए रिश्वत,
- 5500 रुपए का डीजल, 1200 रुपए ड्रायवर व क्लीनर और खदान पर खर्च होते हैं।
- 16 लाख की कमाई का गणितहर चौकी पर 500 रुपए तय।
- दो ट्रिप में एक चौकी पर 1000 रुपए।
- चार चौकियों पर 4000 रुपए।
- 400 डंपरों से 16 लाख रुपए की वसूली।
- एक जिले के अफसरों के हिस्से में हर दिन चार लाख रुपए ।
इन कमाऊ चौकियों पर माइनिंग विभाग के करीब 200 बाबू व कर्मचारी लगे हैं।
इस बंदरबांट में 4800 रुपए डंपरवालों के...
एक ट्रिप में डंपर में अधिकतम 6800 रु. की अवैध (ओवर लोड) रेत आती है। डंपर की क्षमता बढ़ाने के लिए एक-एक फीट पटिए या स्टील की प्लेटें लगाई जाती है। इसमें 200 घन फीट रेत ज्यादा भरती है। 34 रुपए घन फीट के हिसाब से इस रेत की कीमत 6800 रुपए है। एक ट्रिप में दो हजार की रिश्वत अफसरों की जेब में जाने के बाद 4800 रुपए उनकी भी जेब में।
ये खबर भास्कर में छपी है। .... खूब निपटाया
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