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आतंकवाद के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के नंगारहर में दुनिया भर में दहशत फैलाने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों पर करीब 21,000 पाउंड (9,797 किलो) वजनी के गैर-परमाणु बम गिराया है.
इस बीच, अमेरिकी सांसदों ने पूर्वी अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर अमेरिकी सेना द्वारा सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिराए जाने के बाद ट्रंप प्रशासन की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि इससे क्षेत्र में आतंकी गुटों को एक स्पष्ट संदेश गया है. वहीं, अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर भी देश-दुनिया के ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई की तारीफ की जा रही है. सोशल मीडिया पर तो यहां तक कहा जा रहा है कि आतंकवाद के पनाहगाह बने पाकिस्तान पर भी ऐसा ही बम गिराओ.
अमेरिका ने करीब 9,800 किलो वजनी गैर परमाणु बम को अफगानिस्तान पर गिराया है. हालिया महीनों में अफगानिस्तान में यह सबसे बड़ी अमेरिकी कार्रवाई है. ऐसा तो अमेरिका ने तब भी नहीं किया था जब अफगानिस्तान में तालिबान के साथ उसकी लड़ाई चरम पर थी. यहीं से अमेरिका के मंसूबों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कहा जा रहा है कि 11 टीएनटी विस्फोट की क्षमता रखने वाले इस बम को आईएसआईएस खोरसान(ISIS-K) गुट को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.
यह गुट अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है. सीरिया पर हाल में अमेरिकी हवाई हमले के बाद अमेरिका की यह दूसरी बड़ी सैन्य कार्रवाई माना जा रहा है. रक्षा विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि अमेरिका ने सुनियोजित सामरिक रणनीति के तहत इस गैर परमाणु बम का इस्तेमाल किया है. दरअसल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के सामरिक रुख में सख्ती आई है. इसलिए रक्षा विशेषज्ञ सबसे बड़े बम गिराए जाने की कई वजहें मान रहे हैं :
पाकिस्तान पर असर
इस बम को अफगानिस्तान के नंगरहार इलाके में गिराया गया है. यह पाकिस्तान की तोरहाम बॉर्डर की दूरी से महज 60 किमी दूर है. यानी संदेश साफ है कि पाकिस्तान, अब अफगान-तालिबान, अलकायदा या इस तरह के आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे. ऐसा नहीं होने पर वह पाकिस्तान की सरपरस्ती में चल रहे ठिकानों को भी निशाना बना सकता है. वैसे भी अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में पहले जैसी गर्मजोशी नहीं है. संभवतया इसीलिए, पाकिस्तान, चीन की शरण में गया है.
कितना घातक है ये बम?
GBU-43 नाम के इस बम के गिराए जाने के बाद जानकारी मिली है कि नांगरहार प्रांत की गुफाओं में छिपे आईएस आतंकियों के चीथड़े उड़ गए हैं. GBU-43 के प्रहार से आतंकियों को हुए नुकसान का अभी विस्तृत आकलन होना बाकी है.
GBU- 43 अमेरिका का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम है. इसे मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स कहा जाता है. इस बम का वजन करीब 10 हजार किलो है. ये बम 30 फुट लंबा और 3 फुट 4 इंच मोटा है. GBU-43 से एक बार में 11 टन TNT के बराबर धमाका होता है. इस बम को सुरंग और बंकर तबाह करने में महारत हासिल है. अमेरिका के रक्षा विभाग यानी पेंटागन के मुताबिक GBU-43 बम में 11 टन विस्फोटक है. इसे पहली बार इस्तेमाल किया है.
अमेरिका ने 2003 में इस बम का सफल परीक्षण किया था. इसका अभी तक कहीं इस्तेमाल नहीं हुआ था. ये बम इतना भारी है कि इसे अफगानिस्तान में लड़ाकू विमान की बजाय C-130 नाम के कार्गो विमान से गिराया गया. GBU-43 बम को गिराने के लिए जगह जीपीएस के जरिए जगह की पहचान की गई.
अमेरिका ने 2003 में फ्लोरिडा के एयर बेस में जब इस बम का परीक्षण किया था. उसके कुछ समय बाद ही रूस ने भी ऐसे ही बम का परीक्षण किया था, जिसे वो फादर ऑफ ऑफ बॉम्ब्स कहता है. GBU- 43 के इस्तेमाल से फिर दुनिया में हथियारों की विनाशलीला बढ़ सकती है.
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