जिला दंडाधिकारी द्वारा धारा 144 के तहत आदेश जारी
उल्लंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध धारा 188 के तहत होगी दंडात्मक कार्रवाई
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नरसिंहपुर, 14 अप्रैल 2017. जन सामान्य के हित, सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा, पर्यावरण की हानि रोकने एवं लोक व्यवस्था को बनाये रखने के उद्देश्य से जिला दंडाधिकारी नरसिंहपुर डॉ. आरआर भोंसले द्वारा जिले की सीमा में गेंहूं एवं अन्य फसलों के डंठलों/ नरवाई में आग लगाई जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह आदेश जिला दंडाधिकारी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत आदेश जारी किया गया है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। आदेश में निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक कम्बार्इंड हार्वेस्टर के साथ भूसा तैयार करने हेतु स्ट्रारीपर अनिवार्य रूप से रखा जावेगा तथा हार्वेस्टर से फसलों की कटाई तभी की जायेगी जब संबंधित किसान स्ट्रारीपर से भूसा तैयार कराने के लिए सहमत हो अन्यथा नहीं।
इस सिलसिले में जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश नरसिंहपुर राजस्व जिले के सम्पूर्ण सीमा क्षेत्र में प्रभावशील होगा। उक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय होगा।
उल्लेखनीय है कि उप संचालक कृषि द्वारा जिला दंडाधिकारी के संज्ञान में लाया गया कि नरसिंहपुर जिले में गेंहूं की कटाई प्रारंभ हो चुकी है। गेंहूं की कटाई अधिकांशत: कम्बार्इंड हार्वेस्टर द्वारा की जाती है। कटाई के बाद बचे गेंहूं के डंठलों/ नरवाई से किसान भूसा न बनाकर इसे जला देते हैं। भूसे की आवश्यकता पशु आहार के साथ ही अन्य वैकल्पिक साधन के रूप में की जा सकती है।
भूसा र्इंट- भट्टा एवं अन्य उद्योगों में उपयोग किया जाता है। भूसे की मांग प्रदेश के अन्य जिलों के साथ अनेक प्रदेशों में भी होती है। एकत्रित भूसा 4 से 5 रूपये प्रति किलोग्राम की दर पर विक्रय किया जा सकता है। पर्याप्त भूसा उपलब्ध नहीं होने के कारण पशु पॉलीथिन जैसे अन्य हानिकारक पदार्थ खाते हैं जिससे वे बीमार होते हैं और पशुधन की हानि होती है। नरवाई का भूसा आज से दो- तीन माह बाद दोगुनी दर पर विक्रय होता है तथा किसानों को यही भूसा बढ़ी हुई दरों पर क्रय करना पड़ता है। नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में आवश्यक है।
नरवाई में आग लगाना कृषि के लिये नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है। इसके कारण विगत वर्षों में गंभीर स्वरूप की अग्नि दुर्घटनायें हुई हैं। साथ ही सम्पत्ति की व्यापक हानि हुई है। गर्मी के मौसम में इससे जल संकट में बढ़ोत्तरी होती है और कानून व्यवस्था के लिए विपरीत परिस्थितियां बनती हैं। खेत की आग अनियंत्रित होने पर जन- धन सम्पत्ति, प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे व्यापक नुकसान होता है।
खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु आग से नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति क्रमश: घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना नुकसानदायक है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उप संचालक कृषि के प्रतिवेदन और उपरोक्त परिस्थितियों में जनहित में जिला दंडाधिकारी द्वारा उक्त आदेश जारी किया गया है। तत्संबंध में जिला दंडाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है।
आदेश का करायें कड़ाई से पालन
जिला दंडाधिकारी ने जिले के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि उक्त आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जावे। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई करें।
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