नई दिल्ली। मोदी सरकार ने बैंकों की खस्ताहाल को सुधारने के लिए हाल ही में एफआरडीआई बिल पेश किया है। ये बिल दिवालिया होने के कगार पर बैंकों की दशा सुधारेगा, लेकिन मदी सरकार के इस फाइनैंशल रेजॉलुशन ऐंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल में बेल-इन को लेकर लोगों में डर का माहौल है।
गरीब तो गरीब अमीरों को भी अपना पैसा डूब जाने का डर लग रहा है। बैंक में एफडी करने वाले लोगों को इस बिल के बाद से पैसा डूब जाने का डर लगने लगा है। इसी डर की वजह से निवेशक सुरक्षित कानूनी विकल्प ढूंढ रहे हैं।
बैंक में डूब जाएगा आपका फिक्स्ड डिपॉजिट,
इस अफवाह ने उड़ाए अमीरों के भी होश FRDI के चलते डूब जाएगा आपका पैसा! इस बिल को लेकर अफवाह फैल रही है कि बैंकों के दिवालिया होने पर वो अपने डिपॉजिटर्स के पैसे को बिना उनकी अनुमति के इस्तेमाल कर सकता है। इस बिल को लेकर कॉरपोरेट के बड़े-बड़े सीईओज से लेकर बॉलीवुड स्टार्स भी घबराए हुए हैं। इस बिल के बाद से वो अपने मैनेजर्स से सलाह ले रहे हैं कि क्या उन्हें बैंक में जमा अपना पैसा निकाल लेना चाहिए।
फंस सकता है फिक्स्ड डिपॉजिट का पैसा
इस बिल के आने के बाद से बैंकों में पैसा फंसने के डर से लोग पैसा निकला रहे हैं. लेकिन बैंकों का कहना है कि इस बिल को लेकर लोगों में डर फैलाया जा रहा है। बैंकों का कहना है कि भले ही ये अफवाह फैलाई जा रही हो, लेकिन एफडी इंस्ट्रूमेंट्स से बड़े पैमाने पर निकासी नहीं हो रही है।
बेल-इन क्लॉज को लेकर दिक्कत
बैंकों की दलील भले ही इस बिल के फेवर में हो वहीं हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स के मैनेजरों और वकीलों का कहना है कि बेल-इन क्लॉज को लेकर उनके क्लाइंट जानकारी मांग रहे हैं। उनका कहना है कि बैंकों के बेल-इन में छोटे डिपॉजिटर्स तो बच जाएंगे, लेकिन हाई वैल्यू डिपॉजिट्स का पैसा फंस जाएगा। उनका कहना है कि बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में सरकार के इस बिल की वजह से बैंक डिपॉजिटर्स का पैसा यूज कर सकते हैं।
क्या है मकसद वहीं सरकार का
कहना है कि इस बिल का मकसद बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारना है। इस बिल का मकसद वित्तीय संस्थानों को बंद करने की व्यवस्थित प्रक्रिया स्थापित करना है। इस बिल में आरसी क्लॉज की मदद से बैंक, एनबीएफसी, इंश्योरेंस कंपनियों, स्टॉक एक्सचेंजों समेत बाकी की वित्तीय संस्थानों की स्थिति को सुधारना है।
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