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नई दिल्ली: देश भर के 1100 केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना को लेकर विवाद शुरु हो गया है. सुप्रीम कोर्ट मे दायर एक याचिका में हिंदी-संस्कृत में होने वाली प्रार्थना को हिंदू धर्म को बढ़ावा देने वाली बताया गया है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए, केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना क्या हिंदुत्व को बढ़ावा है? सवाल पर चार हफ्तों के भीतर जवाब तलब किया है..
सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक बड़ा और गंभीर संवैधानिक मुद्दा बताते हुए इसे विचार करने के लिए जरूरी माना है. जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और केंद्रीय विद्यालय विद्यालय संगठन को नोटिस जारी किया. बेंच ने कहा, "केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को हाथ जोड़कर और आंख बंद कर प्रार्थना क्यों कराई जाती है?".
यह याचिका पेशे से वकील विनायक शाह ने दायर की है, जिनके बच्चे खुद भी केंद्रीय विद्यालय में पढ़े हैं. उन्होंने याचिका में केंद्रीय विद्यालयों में सुबह के समय होने वाली हिंदी-संस्कृत की प्रार्थना को असंवैधानिक बताया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के तहत इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है..
विनायक ने संविधान के अनुच्छेद 19 में मिले मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए याचिका में कहा है कि बच्चों को किसी एक धार्मिक आचरण के लिए विवश नहीं किया जाना चाहिए. उनकी दलील है कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए..
इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत 'रिवाइस्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्र विद्यालय संगठन' की वैधता को चुनौती दी गई है. इस अनुच्छेद में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है. जिसमें कहा गया है, "स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी. सभी बच्चे, अध्यापक और प्रधानाचार्य इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे.
केंद्रीय विद्यालय में होने वाली प्रार्थनाएं:.
असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मामृतं गमय
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दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना.
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना.
हमारे ध्यान में आओ प्रभु आंखों में बस जाओ.
अंधेरे दिल में आकर के प्रभु ज्योति जगा देना.
बहा दो प्रेम की गंगा दिलों में प्रेम का सागर.
हमें आपस में मिल-जुल कर प्रभु रहना सिखा देना.
हमारा धर्म हो सेवा हमारा कर्म हो सेवा.
सदा ईमान हो सेवा व सेवक जन बना देना.
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना.
वतन पर जां फिदा करना प्रभु हमको सिखा देना.
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना.
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ओ३म् सहनाववतु
सहनै भुनक्तु
सहवीर्यं करवावहै
तेजस्विनामवधीतमस्तु
मा विद्विषावहै
ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः.
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