उमेश के बहाने परिजनों को प्रताड़ना
उमेश की मां ने निशंक को हिजड़ा कहा
इसकी पूरे देश में थू थू हुई. पर आजकल सत्ता की ताकत मिलने के बाद नेता पगला जाते हैं, सो, यूपी सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटी. जिसे शख्स को उसकी हिम्मत, संगठन क्षमता और बहादुरी के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए, उसे इनामी बदमाश घोषित कर दिया गया. यही परिघटना उत्तराखंड में दुहराई गई है. निशंक सरकार के घपलों-घोटालों को उजागर करने वाले और सरकार के कारनामों की समुचित जांच के लिए न्यायालयों के दरवाजे खटखटाने वाले पत्रकार व एनएनआई के संस्थापक उमेश कुमार को अब आफिसियली अपराधी घोषित कर दिया गया है. उन पर ढाई हजार रुपये का इनाम घोषित हो चुका है. देहरादून के एसएसपी ने उमेश पर इनाम की घोषणा कल की.
इसके पहले उमेश के मकान-निर्माण आदि तोड़े जा चुके हैं, संपत्ति कुर्क की जा चुकी है, फर्जी मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं, गिरफ्तारी के लिए उनकी गाड़ी को पुलिस वाले टक्कर मार चुके हैं, नोएडा स्थित मकान पर उत्तराखंड पुलिस असफल धावा बोल चुकी है... और अब उमेश की गिरफ्तारी को नाक का सवाल बना चुकी उत्तराखंड सरकार ने उमेश के सिर पर ढाई हजार रुपये का इनाम रख दिया है. उत्तराखंड के गैर-भाजपाई नताओं ने उमेश के लगातार उत्पीड़न की निंदा की है. उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हरक सिंह रावत ने कल प्रेस कॉंफ़्रेंस कर कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार तानाशाह बनकर पत्रकारों पर ज़ुल्म कर रही है. प्रदेश कांग्रेस अब उसे सहन नहीं करेगी. हरक सिंह ने कहा कि अगर पत्रकार उमेश के खुलासों से निशंक को परेशानी है, तो वो उमेश से आमने-सामने लड़़े, परिवार को परेशान करना मुख्यमंत्री की बुजदिली साबित करता है. हरक ने कहा कि प्रदेश सरकार के घोटालों का खुलासा करने वाले उमेश के उत्पीड़न की हम निंदा करते हैं और उमेश का हर स्तर पर सहयोग किया जाएगा.
हरक ने सवाल उठाया कि प्रदेश की बीजेपी सरकार का सच देवभूमि के जनता के सामने रखने से पहले उमेश अच्छे पत्रकार थे, तो फिर अचानक से अपराधी कैसे बन गये. सबसे पहले उमेश ने ही 56 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट घोटालों की खबर चलाई थी. उसके बाद ही उत्तराखंड की बीजेपी शासित सरकार और मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल की तरफ से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उमेश को धमकियां आने लगीं. हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के बाद स्टर्डिया घोटाला, काशीपुर गैस एनर्जी घोटाला और नैनीताल में जनहित याचिका देने के बाद तो उमेश कुमार के परिवार पर भी सरकारी शिकंजा करने लगा है. उनकी पत्नी पर झूठे मुकदमे लगाये गये. भांजे को बे-वज़ह परेशान किया गया. इसी वज़ह से उनका चार साल का बेटा अपने जीवन का पहला पेपर तक नहीं दे पाया. अगर मुख्यमत्रीं को लड़ना है तो सीधे उमेश से शेर की तरह लड़ें, परिवार पर पीछे से हमला तो कायरों और गीदड़ों का काम होता है.
उधर, कल उमेश कुमार की मां ने विपक्ष के नेता हरक सिंह रावत के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य सरकार द्वारा अपने परिवार के उत्पीड़न की दास्तान सुनाई. उन्होंने बिलखते हुए पत्रकारों से कहा कि अगर निशंक को निपटना है तो उमेश से लड़ें, हिजड़ों की तरह वे परिवार को क्यों परेशान कर रहे हैं. मां ने कहा कि अगर उत्पीड़न बंद न हुआ तो वे मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह कर लेंगी. देहरादून में उमेश की मां और विपक्ष के नेता हरक सिंह रावत द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में कही गई बातों को अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसमें से दो सांध्य अखबारों की कवरेज इस प्रकार है....
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