क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल //टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल । प्रदेश सरकार द्वारा समस्त शासकीय स्कूलों में १६ जून से उत्सव के साथ विद्यार्थियो को प्रवेश दिलाया जाना था । परंतु शहर के जाने माने स्कूलों ंपर जिला प्रशासन की नजर नही पड़ी जहां एक भी विद्यार्थी उपस्थित नही हुऐ। बल्कि शिक्षक अपनी उपस्थिति लगाक र नदारत रहे। नही निकाली गई प्रभात फे री जिले में सभी शासकीय स्कूलों में १६ जून की सुबह छात्रो को लेकर प्रभात फेरी निकाली जानी थी तथा प्रचार प्रसार के लिए भी योजनायें बनाई गई थी परंतु यह सब कागजी दर्ज कर अपना कालम पूर्ति कर लिया गया जबकि जिले के संयुक्त संचालक जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त, डीपीसी, बीआरसीसी, बीजीए को यह जिम्मेदारी सौपी गई थी कि वे हर स्कूल में निरीक्षण करे कि प्रवेशोंंत्सव मनाया जा रहा है कि नही परंतु यहां कोई शासकीय अमला नजर नही आया। छात्र-छात्राओं का नही हुआ अभिषेक जिला शिक्षा केंद्र द्वारा प्र्रवेशोत्सव के दौरान कई समारोहों के आयोजन किये जाने थे जिसमें स्थानीय जन प्रतिनिधि उपस्थित होकर कार्यक्रम सम्पन्न कराया जाना था जिसके लिए तैयारी की गई थी परंतु ऐसे कोई कार्यक्रम नही कराये गये और नही किसी प्रतिनिधि को बुलाया गया जिसमें लोगों को जानकारी दी जा सके। जब छात्र ही नही आये तो किसका होता अभिषेक अगर एक छात्र आ जाता तो कहां है स्टाप कैसे किया जाता छात्र के साथ व्यौहार आखिर सुधरेगे शिक्षक। शासन से भेजा गया बजट जानकारी के अनुसार प्रवेशोत्सव मनाने के लिए समस्त स्कूल को शासन द्वारा बजट भेजा गया है जो प्राथमिक शालाओं को पांच हजार माध्यमिक के लिए सात हजार पांच सौ दिया गया है जो कंटंनजेंसी मद से भेजा गया था । जिसमें यह राशि प्रबंध समिति के खाते में जमा कराया गया और इंही के द्वारा १६ से ३० जून के बीच खर्च किया जाना है। आज पहले दिन एक भी शिक्षक न छात्र न प्रतिनिधि नजर नही आये ,जबकि जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा यह कार्यक्रम में लापरवाही बरतने वालों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करने के निर्देेश दिये गये थे। परंतु ऐसे गीदड़ भभकी से कौन डरता है जब ऊपर ही भ्रष्ठ है तो शिक्षक क्यों डरे इसीलिए वे जिला के निर्देशों का पालन न करते हुये हस्ताक्षर कर अपने निजी कार्य के लिए चले गये । नही दिखे विद्यार्थी व अभिभावक राज्य शासन के द्वारा समस्त जिलों को निर्देशित किया गया था कि सभी शासकीय प्राथमिक, मिडिल स्कूलों में छात्र के साथ-साथ उनके अभिभावक को बुलाये जिससे उनकी आवश्यकता एवं शिकायत प्राप्त हो सके जिससे हम शालाओ में और सुधार ला सके। तथा गणवेश की राशि चेक द्वारा भुगतान किया जा सके जिससे समय पर वे यह राशि आहरित कर ड्रेस बनवाले और स्कूल आना प्रारंभ करे परंतु यहां ऐसा कुछ नजर नही आया। मामला शहर के मध्य स्कूलों का शहर में दर्जन भर शासकीय स्कूल है जिनमें से प्रथम एमएलवी कन्या माध्यमिक शाला है जहां ९ का स्टाप है परंतु सभी हस्ताक्षर कर रफू चक्कर हो गये। सिर्फ शबनम परबीन प्रधानाचार्य एवं गोविंद प्रसाद सोधिया उपस्थित रहे जिनके द्वारा बताया गया कि यहां कोई प्रवेशोत्सव नही मनाया गया क्योकि बच्चें नही आये। इस स्कूल की एसी जर्जर हालत देख समय स्वयं अपने आप मेें रो रहा है क्योकि जहां नव निर्मित भवन बनाये तो गये है पर किसी काम के नही थोड़़ी सी वर्षा में ही पानी कक्षा के अंदर छात्र बैठेगें तो कहां? शहर के अंदर इतनी अनियमिता है तो ग्रामीणों का हाल लोग स्वयं समझ सकते है।
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