सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (अन्नू भैया)
(नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम) प्रतिनिधि से संपर्क:- 94246 44958
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नरसिंहपुर। कर्मचारियों की अनुशासन हीनता पर कार्यवाही का चाबुक चलाने वाले अधिकारी की प्रशासनिक महकमे और समाज में निर्मित होने वाली क्षवि अन्य अधिकारियों के लिए मिसाल होती है और अपने काम के प्रति दिखाई जाने वाली गंभीरता से यह संदेश प्रवाहित होता है कि प्रशासन चुस्त-दुरूस्त है अब कोताही बर्दाश्त नही होगी, किंतु कार्यवाहियां यदि सिर-पैर की हो तभी सुहाती है। यदि प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों में दबदबा बनाने एवं स्वयं का हित साधने के उद्देश्य से कारण बताओ नोटिस व निलंबन आदेश जारी किये जाए तो सच का पर्दाफास होते देर नहीं लगती। जिला पंचायत सीईओ जब-जब कलेक्टर के प्रभार पर होते हैं तब-तब शासकीय कर्मचारियों पर कार्यवाहियों की गाज गिरती रहती है। यह अच्छी बात है कि उनके पॉवर में आते ही सभी कर्मचारी सीधी राह चलने लगते हैं। अब तक सैंकड़ों कर्मचारी श्री सोलंकी की तीखी नोंक वाली तलवार के शिकार हो चुके हैं किंतु हर कार्यवाही के बाद श्री सोलंकी पर उठने वाली अंगुलियों की तादाद भी बढ़ती ही जा रही है। विगत १० जून को जिला पंचायत सीईओ प्रभारी कलेक्टर की हैसियत से चांवरपाठा ब्लाक पहुंचे थे जहां उनके द्वारा किये गये औचक निरीक्षण के दौरान कई अधिकारी कर्मचारी दफ्तर से नदारद पाये गये इस फेहरिश्त में महिला बाल विकास परियोजना का कार्यालय भी शामिल था, जहां भृत्य के सहारे कार्यालय चलता मिला। उनके द्वारा प्रभारी महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं ६ अन्य कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जबाव मांगा गया था कि कार्यालयीन समय में वे कहां थे? और क्यों थे? लेकिन यह नोटिस जारी करते समय तत्कालीन प्रभारी कलेक्टर यह भूल गये कि परियोजना अधिकारी एवं कर्मचारियों को उन्होंने उसी दिन शाम ४ बजे जिला मुख्यालय में होने वाली आवश्यक बैठक में बुलाया था। बड़ा अधिकारी जब मातहतों को मीटिंग में बुलाता है तो बाहर से आने वाले कर्मचारी समय से कुछ घंटे पहले पहुंचने का लक्ष्य बनाकर घर से निकलते हैं, उन्हें यह भय रहता है कि कहीं कुछ मिनिट की देर हो गयी तो अधिकारी के कोप का भाजन न बनना पड़े। जब साहब की टेबिल पर नोटिस का जबाव आया होगा तो उन्हें भी अपनी गलती का अहसास हुआ होगा। सैकड़ों शिक्षकों को कार्यवाही की तलवार से हलाल कर चुके श्री सोलंकी ने इस विभाग में भी आंखे बंद करके कार्यवाहियां की है उन्हें दिखाई नहीं देता तो वह दफ्तर जहां कलेक्टर के प्रभार के दौरान वे स्वयं बैठते है।
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