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बैतूल। सरकारी मंशा और जल्दबाजी कई बार घातक परिणाम लेकर आ जाती हैं। ऐसे मामलो में तब ज्यादा बवाल पैदा हो जाता है जब लोगो की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ हो जाता हैं। प्रदेश की भगवा भाजपाई सरकार ने राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के दो परिवारो को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। बताया जाता हैं कि धार्मिक रीति - रिवाजो एवं अपनी कटट्रपंथी छबि के कारण जाना पहचाना जाने वाला मुस्लीम सम्प्रदाय इस बात से बेहद खफा हैं कि सरकारी मंशा के ठीक विपरीत बैतूल जिले के मुख्यमंत्री कन्यदान योजना के सूत्रधार अधिकारियों ने जबरिया चिचोली ब्लॉक के ग्राम हरदू में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में एक मुस्लिम जोड़े का विवाह गायत्री रीति रिवाज से हिंदू पद्धति से विवाह करवा दिया। इस विवाह को निकाह में बदलने का कोई तरीका न देख कर अब युवक और युवती के माता - पिता पर प्रशानिक दबाव और लालच देकर उन्हे मनाया जा रहा हैं कि वे इस मामले को तूल न दे। मध्यप्रदेश शासन के केबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह की मौजूदगी में सम्पन्न करवाये गए जबरिया हिन्दु रीति रिवाज के उक्त विवाह के बाद मुस्लीम संगठनो एवं संस्थाओं के द्वारा उक्त विवाह को अस्वीकार करने के बाद अब मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। बताया गया कि भैंसदेही निवासी रूबीना परवीन का विवाह परतवाड़ा धूतरखेड़ा निवासी कदीर खान से तय हुआ। जिसमें दोनों पक्षों ने 19 मई को सामूहिक विवाह में विवाह कराने के लिए चिचोली जनपद में पंजीयन कराया। दोनों पक्ष विवाह के लिए कार्यक्रम स्थल हरदू पहुंचे तो वहां पर मुस्लिम पद्धति से विवाह कराने के लिए कोई मौलवी मौजूद नहीं था। ऐसी परिस्थिति में गायत्री मंत्रोच्चार के साथ उक्त दोनो मुस्लीम युवक - युवती का हिंदू रीति रिवाज से विवाह संपन्न कराया गया। जिसमें दूल्हे ने बकायदा दुल्हन को वरमाला पहनाई, मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाकर अग्नि के सात फेरे भी लिए। इस बारे में इस्लाम के जानकारो का कहना हैं कि इस्लाम ऐसे किसी भी प्रकार के विवाह को मान्यता नहीं देता हैं। ऐसा करके एक प्रकार से दोनो ने धर्म परिवर्तन कर लिया हैं। मुस्लीम सम्प्रदाय की युवती के पालक मामा हबीब खान का कहना था कि हमने 19 मई को पंजीयन करा लिया था तो इन्हें समय पर निकाह के लिए मौलवी की व्यवस्था करना चाहिए थी, जो नहीं की गई। ऐसी स्थिति में आयोजकों ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की इसी पद्धति से विवाह करा लो तो हमारे पास कोई दुसरा विकल्प नहीं था और अधिकारी कर्मचारी लगातार दबाव बना रहे थे इसलिए हमे उक्त विधि से विवश होकर विवाह करना पड़ा। हमारी मजबुरी का एक प्रकार से प्रशासन ने फायदा उठा लिया। हालाकि हमने उन्हें कुछ देर प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया था, जिससे कि मौलवी की व्यवस्था की जा सके। लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी और विवाह हो गया। | |
कुछ समय बाद में जब मौलवी आया तो भी इन्होंने हिन्दु रीति से हो चुके विवाह को निकाह में बदलने से साफ इंकार कर निकाह करने से मना कर दिया। मध्यप्रदेश मुस्लीम त्यौहार कमेटी के प्रांतीय सचिव एवं अंजुमन कमेटी सारनी के महासचिव अब्दुल रहमान खान के अनुसार शरीयत यह कहती है कि दो गवाह और एक वकील की मौजदूगी में तय किया मेहर और उसके कबुलनामे के बिना कोई भी विवाह हराम हैं। निकाह में मौलवी का मौजूद होना और खुदबा पढऩा भी जरूरी हैं। कोई भी निकाह शरीयत के अनुसार बिना काजी या मौलवी की मौजूदगी के करना या करवाना भी इस्लाम विरोधी कृत्य है जिसके लिए दोनो को सजा तक देने का प्रावधान हैं। बैतूल जिले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहुचर्चित कन्यादान योजना के ऊपर लगे सवाल ने दोनो सम्प्रदायो के बीच वैमनस्ता की भले ही लकीर न खीची हो लेकिन महज सरकारी लक्ष्यपूर्ति या सरकारी फायदे की मंशा से हुए इस विवाह को इस्लाम मान्यता नहीं देता है। इधर मामले को जोर पकड़ता देख कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार पर लोगो की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगा डाला हैं। बैतूल जिले के इस बहुचर्चित विवाह कार्यक्रम का आयोजन चिचोली जनपद के द्वारा करवाया गया था। चिचोली ब्लॉक के ग्राम हरदू में आयोजित सामूहिक विवाह में प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह की मौजूदगी में 250 जोड़े विवाह सूत्र में बंधे। इन जोड़ो में मात्र एक ही ऐसा जोड़ा था जो अल्पसंख्यक समुदाय से था। भाजपा सरकार के भगवा रंग में रंगीन इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक गीता उइके, पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल, पूर्व संसदीय सचिव रामजीलाल उइके और राजा ठाकुर उपस्थित थे। |
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