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बैतूल।आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में इन दिनो भोले-भाले ग्रामिणो को ना-ना प्रकार की स्क्रीम बता कर उनके दिलो-दिमाग में लोभ लालच का बीज अंकुरीत करके उन्हे ठगने का काम जोरो पर चल रहा है। जिले में इस समय चिटफंड और फर्जी कंपनियों के खिलाफ लोगों के स्वर उभरने लगे है। अब ठगी के शिकार बने लोग खुल कर अपनी आपबीती सुनाने को आगे आने लगे है। अपने साथ न्याय के लिए प्रशासन के दरवाजे पर दस्तक देने वाले ठगी के शिकार बने लोगो की रामकथा कुछ कम चौकान्ने वाली नहीं है। जिला कलैक्टर कार्यालय तक करीब एक दर्जन लोगों ने पूना की एक बीड़ी कम्पनी द्वारा की गई ठगी को लेकर कलैक्टर की अनुपस्थिति में एसडीएम संजीव श्रीवास्तव से मुलाकात कर उन्हे अपना दुखड़ा बताया। एसडीएम ने जल्द ही इस तरह की कम्पनियों के कर्ताधर्ताओं को पकडऩे का आश्वासन दिया है। एसडीएम से मिलने आए महादेव बारस्कर ने बताया कि आठ अक्टूबर 2000 को इस कम्पनी ने बैतूल में अपना कामकाज शुरू किया था। इसमें एजेंटों के माध्यम से छह हजार 600 रूपए जमा कराने पर एक विभिन्न वस्तुओं का किट देने और 21 माह बाद 21 हजार रूपए देने की योजना बताई थी। इसमें उन्होंने चार आई कार्ड लिए थे। इस तरह से उन्होंने 28 हजार रूपए जमा किए थे लेकिन उन्हें आज तक कुछ भी नहीं मिला है। यह राशि उन्होंने करीब तीन साल पहले जमा कराई थी। उनका आरोप है कि शुरूआती दौर में कुछ लोगों को योजना के अनुसार फायदा भी दिया गया,लेकिन बाद में कम्पनी लोगों का पैसा लेकर फरार हो गई और अपना यहां का स्थानीय दफ्तर भी बंद कर दिया। इस कम्पनी के बैतूल के मुख्य एजेंट मोहम्मद रउफ का कहना है कि चेन सिस्टम के आधार पर यह कम्पनी काम करती थी और उसका भी पैसा डूबा है। उन दोनों व्यक्तियों का कहना था कि की मुहिम के बाद उन्हें यह उम्मीद जागी है कि इस तरह की कम्पनियों पर अब प्रशासन कार्रवाई करने के लिए आगे आएगा। बीड़ी कम्पनी की शिकायत इन लोगों द्वारा अभी की गई है। पूरे मामले में पड़ताल के बाद कम्पनी के कर्ताधर्ताओं तक पहुंचने के लिए पुलिस की भी मदद ली जाएगी। चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जन आक्रोश के बाद जिले के अन्य लोगों मे भी ऐसी कंपनियो के मकडज़ाल से बचने के प्रति जागरूकता आ रही है और ठगी का शिकार लोग सामने आकर इन कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए प्रशासन पर दबाव भी बन रहा हैं। पुलिस और प्रशासन को भी ऐसे मामले रोज सामने आने पर अब कुंभकरणी नींद से जाग कर कार्रवाई करने को विवश होना पड़ रहा है। जिले में ठग कंपनियों का जाल अब जागरूकता और प्रशासन की कार्रवाई के बाद तार-तार होता हुआ नजर आ रहा है और उनमें हडक़ंप की स्थिति देखी जा रही है। ठगी के बाद बंद होने वाली कंपनियों के स्थानीय एजेंट और सूत्र पहली बार सामने आए हैं। जय बाबा सैय्यद कमाल खान जनकल्याण समिति भोपाल के एजेंट के रूप में काम करने वाले सुनील सोनी, विनोद टिकाने, मनोज तुमराम, संतोष गवाड़े आदि ने एसपी को आवेदन देकर यह स्वीकार किया था कि वे एजेंट के रूप में काम करते थे और ठगी के शिकार वे भी बने हैं। इसी तरह बीड़ी गु्रप पूना के मुख्य स्थानीय कर्ताधर्ता रउफ मोहम्मद ने भी ठगी के शिकार लोगों के साथ एसडीएम के पास पहुंचकर बीड़ी गु्रप के कारनामों की जानकारी दी थी और कार्रवाई की मांग की थी। कभी रूपए दूने करने के नाम पर तो कभी लॉटरी से जमीन के प्लाट देने के आश्वासनों से हर शहर- कस्बे में कई फर्जी कंपनियां लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा रही हैं। यह कंपनियां इन्वेस्ट करने वाली बैंकिंग, ऑनलाइन सर्वे और माइक्रो फाइनेंस के नाम पर भी उन इलाकों में अपना नेटवर्क स्थापित कर रही हैं, जहां साक्षरता कम है। इस वजह से इन कंपनियों की लूट के शिकार लोग सामाजिक लिहाज के कारण खुलकर सामने नहीं आ पाते, जिससे धोखाधड़ी करने वालों का हौसला और भी बढ़ जाता है। भोले-भाले लोगों से हो रही इस धोखाधड़ी के खिलाफ चल रही मुहिम में जिला और पुलिस प्रशासन भी पूरा सहयोग कर रहा है, मगर ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता की गैर मौजूदगी ठोस कार्रवाई न होने का सबसे बड़ा कारण है। ठगी का शिकार निवेशक इस उम्मीद में भी शिकायत करने से बच रहा है कि कहीं कानूनी कार्रवाई में उसका पूरा पैसा ही न डूब जाए। चिटफंड कंपनियों को लेकर मीडिया द्वारा जो मुहिम शुरू की गई है वह वास्तव में सराहनीय है। इस मुहिम का सबसे अच्छा इंपेक्ट यह आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी एसी कंपनियों को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है और भविष्य में लोग ऐसी कंपनियों के जाल में फंसने से बचेंगे। ठगी के का शिकार होने के बाद तो हम लोग निराश होकर बैठ गए थे लेकिन मीडिया ने मुहिम शुरू की तो हमें भी एक उम्मीद जागी कि अब निश्चित ही ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई होगी और लोगों में जागरूकता आएगी। इसलिए हम लोगों ने ज्ञापन दिया था। प्रशासन की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि ऐसी कंपनियों के खिलाफ पहले ही पुलिस को भी ठोस कदम उठाना चाहिए। जिले में बैंकिंग से संबंधित कामकाज करने वाली किसी भी तरह की कंपनियां या व्यक्ति की जानकारी प्रशासन के संज्ञान में हो यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था बनाई जाएगी और जो पहले गड़बड़ कर चुकी है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
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