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शहडोल।गर्मी पूरे शवाब पर है और उल्टी-दस्त, मलेरिया व सनस्ट्रोक के मरीजों की प्रतिदिन संख्या बढ़ रही है। जिला अस्पताल शहडोल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज पहुंच रहे है। हालत यह है कि अस्पताल के बेड कम पड़ रहे है। मजबूर होकर मरीजों को जमीन पर लेटकर उपचार कराना पड़ रहा है। बीमार होने पर मरीज बड़ी उम्मीद के साथ जिला अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन यहां पहुंचने के बाद उन्हे पता चलता है कि वे नरक में पहुंच गए हैं। जिला अस्पताल ज्यादातर वे ही मरीज पहुंचते हैँं जिनकी हैसियत प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने की नहीं होती है। उनकी इस मजबूरी को अस्पताल के डाक्टर भी भलीभांति जानते हैं और वैसा ही उपचार करते हैं। इस अस्पताल में हर साल दवाओं के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं लेकिन मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर्स से दवाएं खरीदना पड़ती हैं। रोगी कल्याण समिति में आधा करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं किन्तु यदि कोई गरीब मजदूर दवाओं की मांग करे तो उसे बजट का रोना बता दिया जाता है। दीनदयाल अंत्योदय उपचार कार्डधारियों को ऐसी दवाएं लिख दी जाती हैं जो अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं रहती हैं और जान बचाने मरीज के परिजन मेडिकल स्टोर्स से दवाएं खरीदते हैं। अस्पताल प्रबंधन उन दवाओं का भी सप्लायर को भुगतान कर देता है जो दवाएं उसके पास रहती भी नहीं हैं। चूंकि डाक्टर ने मरीज की पर्ची पर दवाएं लिख दी हैं अब यदि वे दवाएं उपलब्ध भी नहीं हैं तो भी उनका भुगतान हो जाता है। इसके लिए बाबू से लेकर अधिकारी तक सभी की सेटिंग रहती है। जहां सब कुछ कमीशन पर तय होता हो वहां मरीजों की सुध लेेने वाला कौन है? अभी कुछ दिनों पहले ही संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने जब अस्पताल का निरीक्षण किया था तब अनेक अनियमितताएं उजागर हुई थीं और 16 डॉक्टरों को अस्पताल से नदारद पाया था। लेकिन संयुक्त संचालक के रवाना होते ही अस्पताल पुराने ढर्रे पर चल पड़ा है। अभी भी अस्पताल में डाक्टरों को ढूंढना टेढ़ी खीर है। दीवारें बनी पीकदान- जिला अस्पताल में धूम्रपान एवं पान गुटका खाकर आने वालो के लिए बनाया गया उल्लंघन आदेश दीवालों तक सिमट कर रह गया है। अस्पताल के अंदर दर्जनों जगह पर पान गुटका के पीक देखे जा सकते हैं, पर आज तक इनके ऊपर किस तरह की कार्रवाई हुई है, इसका जवाब अस्पताल प्रबंधन के पास स्वयं नहीं है। ऐसा नहीं है कि गुटका और पान खाकर मरीज के परिजन और अस्पताल कर्मचारी परिसर को गंदा न कर रहे हों, रोजाना सैकड़ो लोगो को अस्पताल परिसर के अंदर पान गुटका खाकर पहुंचते हुए देखा जा सकता है। अस्पताल परिसर के अंदर जितने जगहों पर परिसर के अंदर जितने जगहों पर नोटिस चस्पा किया गया है उतने ही जगहो पर लोगो ने अघोषित पीकदान बनाकर रखा हो। अस्पताल परिसर पहुंचते ही पान गुटका के पीक दिखाई देने लगते हैं। अस्पताल के मुख्य द्वार के दोनो तरफ ही लोगो ने दीवालो को पीकदान बनाकर रखा है। वहीं ओपीडी के पास वाली खिडक़ी को भी अस्पताल के कर्मचारी और परिजन पीकदान के रूप में उपयोग कर गंदा कर रहे हैं। इसके बाद सर्जिकल वार्ड की तरफ जाने वाली गलियारा में भी इसी तरह का नजारा देखा जा सकता है। गलियारा में बने दरवाजे को लोगो ने पीकदान से खराब कर दिया है और वह दरवाजा कभी भी टूट सकता है। मेडिकल वार्ड, शिशु वार्ड, प्रसूता वार्ड सभी जगहो को पान गुटका खाने वालो ने गंदा कर दिया है। रोजाना हो रहा नियम का उल्लंघन-सार्वजनिक जगहों पर गंदा करने वालो के लिए अस्पताल प्रबंधन ने भले ही दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश के साथ सौ रुपये जुर्माना लगाने के आदेश दिए हों पर अभी तक एक पर भी अस्पताल प्रबंधन जुर्माना लगाने में सामने नहीं आ पाया है। मरीज के परिजन सत्तु ने बताया कि इससे उन्हें और अन्य मरीजों को भी परेशानी है। लेकिन जब अस्पताल के कर्मचारी ही नियमों का पालन नहीं करते तब दूसरे लोग इस नियम का पालन करने में आनाकानी करते हैं।
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