सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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नरसिंहपुर। तेंदूखेड़ा। एक तरफ जहां वनों के संरक्षण की दिशा में विभिन्न प्रकार की योजनाओं और मदों के माध्यम से राशि भेजी जा रही है लेकिन वनों की रक्षा करने वाले कम्रियों को रहने आज भी आवास गृहों की कमी बनी हुई है, वर्षों पुराने हो चुके आवास गृह अब गिरने की कगार पर है, भवन कब भरभराकर गिर जावे कहा नहीं जा सकता। साथ ही वन क्षेत्र के अंतर्गत जंगलों की विभिन्न बीटों के भवन तो बन चुके है, लेकिन कुछ बीट ग्राम ऐसे है जहां आज तक भवन आवासगृह नहीं बन सके। तहसील मुख्यालय तेंदूखेड़ा के अंतर्गत आने वाले वन डिपों, जो कभी अंग्रेजों के जमाने में नमक गोदाम हुआ करती थी जिसमें दरोगा रहा करता था धीरे-धीरे समय की बदलती रफ्तार के साथ इसमें वन कर्मियों डिप्टी रेंजर का आवास बन गया साथ ही इसी परिसर में ५ दशक पूर्व एक छोटा विश्राम गृह का अलग भवन भी बना। लेकिन पूर्व की नमक गोदाम अब इतनी जर्जर हो गयी है कि जहां तहां से इसकी दीवालें गिरने का इंतजार कर रही है। भवनों के उचित रखरखाव की दिशा में आवश्यक पहल न होने की स्थिति की अपेक्षा विभागीय अधिकारियों के माध्यम से नये आवास भवन बनाने प्रस्ताव भेजे गये है ऐसी जानकारी हमारे प्रतिनिधि को मिली है लेकिन उच्चाधिकारियों की लालफीताशाही कहें या वर्तमान अधिकारियों की निष्क्रियता कहें कि मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा ह। तेंदूखेड़ा वन क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न वीटों में बन रक्षकों ने अपने अपने आवास क्वाटर बना रखे है लेकिन जामनपानी और आलनपुर वीट में आज भी आवासगृह नहीं बन सके जो सोचनीय विषय है। बुद्धिजीवी वर्ग ने उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि तेंदूखेड़ा मुख्यालय में वन कर्मियों को पक्के भवन आवासगृह बनवाये जावें तथा स्वीकृत पड़े ग्राम जामनपानी आलनपुर की वस्तु स्थिति का बोध करते हुए निर्माण कराये जावे। वन विभाग द्वारा जहां-तहां बड़ी-बड़ी तेंदूपत्ता भंडारण गोदामें बनायी गयी है उनका कोई उपयोग नहीं हो पाता। उपेक्षित पड़ी है गोदामों के ऊपर छप्परनुमा टीन की चादरें भी उखडक़र हवा में उड़ गयी है। लाखों रूपया खर्च होने के बाद भी भवनों का उचित रखरखाव न होना सोचनीय विषय बना हुआ है।
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