सूचना का अधिकार मात्र फोटोकोपी अधिनियम नहीं अपितु सतर्कता व पारदर्शिता को बढ़ावा देने का एक अच्छा उपकरण  है
 

केंद्रीय सतर्कता आयोग के परिपत्र संख्या 40/11/06 दिनांक 22.11.06 में कहा गया है कि विभिन्न सरकारी संगठनों द्वारा कार्यवाहियों और लाइसेंस, अनुमति, मान्यता, अनापति जारी करने में असामान्य विलम्ब और मनमानेपन की आयोग में पर्याप्त संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं| इनमें से अधिकांश शिकायतें विलम्ब, एवं पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत की अवहेलना से सम्बंधित हैं| बहुत से मामलों में इन कार्यवाहियों के सन्दर्भ में मांगे गए प्रलेखों और सूचनाओं के सम्बन्ध में अस्पष्टता होना है| यह भी प्रवृति पाई गयी है कि आवेदनों पर टुकड़ों में/आपतिजनक प्रश्न पूछने के कारण भ्रष्टाचार सम्बंधित आरोप लगते हैं| भ्रष्टाचार के लिए गुंजाईस घटाने के लिए सरकारी संगठनों की नियामक, लागू करने और अन्य लोक क्रियाकलापों में अधिक पारदर्शिता व जवाबदेयता लाने की आवश्यकता है|

वांछित पारदर्शिता लाने और अस्वस्थ परमपराओं पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम की धारा 8 की शक्तियों के प्रयोजन में निम्नांकित दिशानिर्देश जारी किये जाते हैं:-
समस्त सेवाप्रदाता सरकारी संगठन अपनी वेबसाइट पर कानूनों, नियमों, और प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में सम्पूर्ण सूचना देंगे| समस्त प्रार्थना पत्रों के प्रपत्र/प्रारूप डाऊनलोड योग्य रूप में वेबसाइट पर उपलब्ध कराएँगे| यदि कोई संगठन प्रार्थना पत्र डाऊनलोड के लिए कोई प्रभार लेना चाहे तो वह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते समय लिया जायेगा| प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न किये जाने वाले प्रलेखों की सूचना  वेबसाइट पर स्पष्ट रूप से दी जानी चाहिए और यह प्रार्थना पत्र का भाग होना चाहिए| यथा संभव यह व्यवस्था की जानी चाहिए कि प्रत्याशी को प्रलेखों/सूचनाओं  में रही किसी भी कमी के बारें में प्राप्त होते ही तुरंत सूचित किया जाना चाहिए| बारबार टुकड़ों में  पूछताछ  को सतर्कता  के दृष्टिकोण से दुराचरण माना जाना चाहिए| द्वितीय चरण में प्रार्थना पत्रों की स्थिति वेबसाइट पर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए और उसे समय समय पर अद्यतन किया जाना चाहिए|
 जागरूक और जुझारू नागरिकों से अपेक्षा है कि वे अपने क्षेत्र के समस्त लोक कार्यालयों के सम्बन्ध में उक्त निर्देशों की अनुपालना की जांच  करें और यदि आवश्यक हो तो उचित मंच पर मामला उठाएं|