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भोपाल । मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी क्षेत्र में करोड़ों साल पहले समाप्त हो चुके डायनासोर के तीस घोंसले मिले हैं। यह उपलब्धि राज्य के धार जिले में एक संगठन को हासिल हुई है।
घोंसलों की खोज करने वाले संगठन मंगल पंचायत परिषद के प्रमुख विशाल वर्मा का कहना है कि ये घोंसले लगभग साढ़े छह करोड़ साल पुराने हैं, जिनमें डायनासोर के सैकड़ों अंडों के खोलों के जीवाश्म जमा हैं। उनका दावा है कि धार जिले में खुदाई के दौरान मिले डायनासोर के ये घोंसले हजारों साल पहले हुए भौगोलिक बदलावों के बाद चट्टानों के नीचे दब गए थे। उनका अनुमान है कि इनमें से हर घोंसले में डायनासोर के कम से कम 10 अंडों के खोलों के जीवाश्म हैं।
मंगल पंचायत परिषद ने पहली बार दुनिया भर का ध्यान तब खींचा था, जब इसने वर्ष 2007 के दौरान धार जिले में डायनासोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ निकाली थी। वर्मा ने बताया कि उनके खोजकर्ता समूह को इन घोंसलों में डायनासोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह था, जिसमें डायनासोर के 12 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। राज्य सरकार धार जिले में उस क्षेत्र को राष्ट्रीय डायनासोर जीवाश्म उद्यान के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है, जहा डायनासोरों ने सहस्त्राब्दियों पहले अपने घोंसले बनाए थे।
डायनासोर के नए खोजे गए घोंसले प्रस्तावित उद्यान के करीब 20 किलोमीटर के दायरे में हैं, लेकिन ये वर्ष 2007 में खोजे गए घोंसलों से एकदम अलग हैं और डायनासोर के इतिहास की नई परतें खोल सकते हैं। डायनासोर के डेढ़ सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढ़ने का दावा करने वाले खोजकर्ता ने बताया कि वर्ष 2007 में खोजे गए घोंसलों में साबुत अंडों के जीवाश्म भू-सतह पर मिले थे। किन्हीं वजहों से इन अंडों के खोल तोड़कर डायनोसोर के बच्चे बाहर नहीं निकल सके होंगे।
बताते हैं कि ये घोंसले सौरोपाड परिवार के शाकाहारी डायनासोर के हैं। इस परिवार के डायनासोर नर्मदा घाटी के तत्कालीन रेतीले इलाकों में अंडे देने के लिए दूरस्थ क्षेत्रों से आते थे। नर्मदा घाटी में पाए जाने वाले डायनासोर आमतौर पर 20 से 30 फुट ऊंचाई के होते थे।
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