ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल.सुप्रिम कोर्ट द्वारा कुरियन चाको विरूद्ध केरल राज्य के मामले में बहुस्तरीय मार्केटिंग को धोखाधड़ी का संगठित अपराध घोषित किए जाने के बाद भी पुलिस को यह नही मालूम हैं कि इस तरह के प्रकरणों में विवेचना किस तरह से करनी हैं ताकि आरोपी को अदालत में सजा सुनाई जा सके? ऐसा ही एक मामला पुलिस चौकी बैतूल में पंजीबद्ध हुआ हैं
जिसमें पुलिस अधिकारी को बहुस्तरीय मार्केटिंग और नेटवर्किंग के जरिए जनता से पैसा इकठ्ठा किए जाने की प्रक्रिया में अपराध को समझना कठिन होता जा रहा हैं। लिहाजा पुलिस की विवेचना भटक गई हैं। पुलिस अधिकारी को महीने भर पुरानी विवेचना के बाद भी कंपनी के निवेशकों और नेटवर्करों की कोई जानकारी नही हैं। जबकि कंपनी ने बैतूल की जनता से दो करोड़ रूपए से ज्यादा इकठ्ठा किया गया हैं। पुलिस चौकी बैतूल गंज में एमएलएम कंपनी अमर शापर्स के विरूद्ध मामला अपराध पंजीबद्ध होने के बाद कंपनी के मालिक कृपाशंकर सिंग उर्फ आकाश इन दिनों जेल में हैं। बैतूल जिले की जनता से नेटवर्किग के जरिए आरोपी ने दो करोड़ रूपए इकठ्ठा करने की बात स्वीकार कर चुका हैं। इसके बावजूद मामले में तहकीकात कर रहे पुलिस अधिकारी को यह नही मालूम की कंपनी के लिए नेटवर्किंग किन लोगों ने करी थी, निवेशक कौन थें और कंपनी का वर्किग प्लान क्या था?
मामले में कानून और न्याय का सवाल यह हैं कि जब पुलिस अधिकारी के पास निवेशको और नेटवर्करो की सूची उपलब्ध नही हैं तब वह आरोपी को धोखाधड़ी का अपराध में किस तरह सजा करवा सकेंगी? सूत्रों की माने तो कानून का ज्ञान रखने वाले नेटवर्करों ने स्वयं को कंपनी का एैसा कामगार धोषित कर रखा है जिनके पास कोई नियुक्ति पत्र और वेतन नही मिलता था। कंपनी के लिए दो करोड़ रूपया जनता से इकठ्ठा करने वाले नेटवर्कर पुलिस अधिकारी को गुमराह करने में सफल मालूम पड़ते हैं। पुलिस की विवेचना केवल शिकायतकत्र्ता मदन हीरे अधिवक्ता की शिकायत तक सीमित हैं जबकि अपराध में दो करोड़ रूपए जनता से निटवर्करो ने वसूल किए है और शिकायत केवल तीन हजार रूपए के कंपनी के कूपन से किराना सामान नही मिलने की हैं। पुलिस की विवेचना की सीधा एक मतलब निकाला जाना चाहिए कि कंपनी में कोई नेटवर्कर नही थे इसलिए कोई संगठित अपराध नही हुआ हैं।
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